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कभी आतंकी था आतंकियों को मार गिराने वाला शहीद नजीर वानी, अब मिलेगा अशोक चक्र

शहीद लांस नायक नजीर वाणी ने कश्मीर के शोपियां में पिछले साल छह आतंकियों को मार गिराया था। अब उन्‍हें देश के सबसे बड़े वीरता पुरस्कार अशोक चक्र के लिये चुना गया है।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 11:11 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 11:35 AM (IST)
कभी आतंकी था आतंकियों को मार गिराने वाला शहीद नजीर वानी, अब मिलेगा अशोक चक्र

नई दिल्‍ली, एएनआइ। लांस-नायक नजीर वानी को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया जाएगा। पिछले साल जम्मू कश्मीर के शोपियां में एक ऑपरेशन के दौरान वह शहीद हो गए थे। उन्होंने 162 टेरिटोरियल आर्मी बटालियन ज्वाइन किया था। उन्हें 2 बार सेना मेडल भी मिल चुका है।

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शहीद लांस नायक नजीर वाणी ने कश्मीर के शोपियां में पिछले साल छह आतंकियों को मार गिराया था। अब उन्‍हें देश के सबसे बड़े वीरता पुरस्कार अशोक चक्र के लिये चुना गया है। बता दें कि सेना में शामिल होने से पहले वाणी खुद आतंकी गतिविधियों में शामिल रहते थे। लांस नायक नजीर वानी सेना की 34 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात थे। पिछले साल शोपियां में सेना के ऑपरेशन में उन्होंने 6 आतंकियों को मार गिराया था। इसी ऑपरेशन में वह शहीद भी हो गए थे। आतंकियों के खिलाफ उनकी बहादुरी को देखते हुए उन्हें दो बार सेना मेडल भी मिल चुका है।

बता दें कि अशोक चक्र शांति के समय सेना की ओर से दिया जाने वाला सर्वोच्‍च पुरस्‍कार है। इस साल कीर्ति चक्र के लिए चार जवानों और शौर्य चक्र के लिए 12 जवानों का चयन किया गया है।

आतंकी से अशोक चक्र तक का सफर
हमारे देश में ऐसे कई महान शख्‍स हुए हैं, जिन्‍होंने गलत रास्‍ता छोड़ सच्‍चाई और ईमानदारी का रास्‍ता चुना। इसके बाद वे उस मुकाम पर पहुंच गए, जहां वे दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए। नजीर वानी की जिंदगी भी ऐसे ही कई उतार-चढ़ाव से गुजरी। एक समय नजीर वानी एक आतंकी थे। लेकिन एक समय ऐसा आया, जब उन्‍हें यह अहसास हुआ कि वह जिस रास्‍ते पर चल रहे हैं, वो गलत है। इसके बाद वह आतंक का रास्‍ता छोड़कर देश सेवा में जुट गए। अब एक आतंकी से देश के लिए जान न्‍यौछावर करने वाले नजीर वानी आने वाली कई पीढि़यों को सेना में जाने के लिए प्रेरित करते रहेंगे।

जख्‍मी होकर भी आतंकियों के सामने टिके रहे
नजीर वानी पिछले वर्ष 23 नवंबर 2018 को 34 राष्ट्रीय रायफल्स के साथियों के साथ ड्यूटी पर थे, तब इंटेलिजेंस से शोपियां के बटागुंड गांव में हिज्बुल और लश्कर के 6 आतंकी होने की खबर मिली। बताया जा रहा था कि आतंकियों के पास भारी तादाद में हथियार हैं। ऐसे में तुरंत वानी और उनकी टीम को आतंकियों के भागने का रास्ता रोकने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। 23 नवंबर 2018 के इस एन्काउंटर में वानी और उनके साथियों ने कुल 6 आतंकियों को मार गिराया था। इनमें से दो को वानी ने खुद मारा था। एनकाउंटर में वह बुरी तरह ज़ख्मी हो गए थे और हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था। 26 नवंबर को अंतिम संस्कार से पहले वानी को उनके गांव में 21 तोपों की सलामी दी गई थी।

परिवार ही नहीं पूरे गांव ने दी थी नम आंखों से विदाई
नजीर वानी कुलगाम के गांव अश्‍मुजी के रहने वाले थे। उनकी बहादुरी से इस गांव को नई पहचान मिली है, जिसे सदियों तक याद रखा जाएगा। वानी के घर में उनकी पत्‍नी और दो बच्‍चे हैं, जिनकी उम्र 20 और 18 वर्ष है। जब वानी शहीद हुए, तब उनके परिवार के हर सदस्‍य की ही नहीं गांव के सभी लोगों की आंखें भी नम हो गई थीं। ये गर्व के आंसू थे, क्‍योंकि उनका बेटा आतंकियों का सामना करते हुए शहीद हुआ था।


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