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कुंभकोणम अग्निकांड में स्कूल संस्थापक को उम्रकैद

कुंभकोणम के एक स्कूल में हुए अब तक के भीषणतम अग्निकांड के मामले में स्थानीय अदालत ने स्कूल के संस्थापक को उम्रकैद जबकि आठ अन्य दोषियों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई है। एक दा

By Edited By: Published: Wed, 30 Jul 2014 10:46 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jul 2014 10:48 PM (IST)
कुंभकोणम अग्निकांड में स्कूल संस्थापक को उम्रकैद

थंजावुर (तमिलनाडु)। कुंभकोणम के एक स्कूल में हुए अब तक के भीषणतम अग्निकांड के मामले में स्थानीय अदालत ने स्कूल के संस्थापक को उम्रकैद जबकि आठ अन्य दोषियों को पांच-पांच साल कैद की सजा सुनाई है। एक दोषी को दो साल कैद की सजा सुनाई गई। मामले के 11 अन्य अभियुक्तों को बरी कर दिया गया। इस अग्निकांड में 94 स्कूली बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी।

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प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश मोहम्मद अली ने मामले में दस अभियुक्तों को दोषी करार दिया। मामले के प्रधान अभियुक्त और स्कूल के संस्थापक पलानीसामी को उम्र कैद और 47 लाख रुपये के जुर्माने के अलावा 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई। अदालत ने कहा कि दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। पलानीसामी की पत्नी एवं स्कूल की प्रशासनिक प्रतिनिधि सरस्वती, प्रधानाचार्या शांतालक्ष्मी, मध्याह्न भोजन आयोजक विजयलक्ष्मी और रसोइया वसंती को पांच-पांच साल के सश्रम कारावास और संयुक्त रूप से 3.75 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। अदालत ने शिक्षा विभाग के पांच में से चार अधिकारियों को पांच-पांच साल कैद और दस-दस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। एक अधिकारी को दो साल कैद और 40 हजार रुपये जुर्माने की सजा हुई। अदालत ने आदेश दिया कि जुर्माने से जुटाई गई रकम में से 50-50 हजार रुपये की राशि सभी 94 मृतक बच्चों के अभिभावकों को, 25-25 हजार रुपये की राशि गंभीर रूप से घायलों को और 10 हजार रुपये सामान्य घायलों को दिए जाएंगे।

16 जुलाई 2004 को विद्यालय में मध्याह्न भोजन बनाने वाली अस्थाई रसोई से फैली आग पहली मंजिल पर फूस की छत तक फैल गई, जिसमें 94 बच्चों की मौत हो गई और 18 अन्य झुलस गए। दिल दहलाने वाली यह घटना कासीरमण गली स्थित एक छोटी सी इमारत में श्रीकृष्णा एडेड प्राइवेट स्कूल, सरस्वती नर्सरी एंड प्राइमरी स्कूल और श्री कृष्ण ग‌र्ल्स हाई स्कूल में हुई थी। इस घटना से सुरक्षा नियमों को लेकर अधिकारियों की लापरवाही पर भी सवाल उठे थे। इन विद्यालयों में करीब 700 छात्र पढ़ रहे थे। मृत बच्चों के परिवार फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। मामले में ज्यादातर सरकारी अधिकारियों को बरी करने के अदालत के फैसले ने अभिभावकों को निराश किया है।


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