असली-नकली के झोल में फंसा 10 का सिक्का, जानिए भारतीय सिक्कों से जुड़े अहम राज
भारत में सिक्कों का इतिहास काफी पुराना है, आज हम आपको जागरण डॉट कॉम की खबर के माध्यम से सिक्कों से जुड़े अहम राज बताने की कोशिश करेंगे।
नई दिल्ली: तेजी से चलन में आए 10 रुपए के नए सिक्कों को लेकर अब बाजार में तरह-तरह की अफवाहें फैल रही हैं। जहां एक ओर इसके बंद होने की अफवाह के चलते सब्जी मंडी विक्रेता समेत तमाम दुकानदार इसे लेने से इनकार कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग नकली होने के भय से भी इसे लेने से बच रहे हैं। हालांकि बैंक अधिकारियों का कहना है कि ये सिक्के बंद नहीं हुए हैं, यह सिर्फ अफवाह है।
भारत में सिक्कों का इतिहास काफी पुराना है, आज हम आपको जागरण डॉट कॉम की खबर के माध्यम से सिक्कों से जुड़े अहम राज बताने की कोशिश करेंगे। उदाहरण के तौर पर हमारे सिक्कों पर ऐसे चिन्ह बने होते हैं जो यह तक बता देते हैं कि सिक्का कहां से आया है। हैरान रह गए न तो चलिए जानिए भारतीय सिक्कों से जुड़े ऐसे ही कुछ अहम राज।
सबसे पहले जानिए, भारतीय सिक्के कहां ढाले जाते हैं: भारतीय सिक्कों को टकसाल में ढाला जाता है।
टकसाल किसे कहते हैं: टकसाल वह सरकारी कारखाना होता है जहां सरकार के आदेश और बाजार की मांग को देखते हुए सिक्कों को ढाला जाता है। इसे अंग्रेजी भाषा में मिंट भी कहा जाता है।
भारत में कुल कितनी टकसालें हैं: भारत में फिलहाल देश की अलग-अलग जगहों पर कुल चार टकसालें हैं। मौजूदा समय में मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा स्थित टकसालों के पास ही सिक्कों को ढालने का अधिकार है।
- हैदराबाद की टकसाल: यह टकसाल काफी पुरानी है। हैदराबाद की टकसाल का निर्माण निजाम ने साल 1903 में करवाया था। साल 1950 आते आते यह टकसाल भारत सरकार के अधीन आ गई थी।
- नोएडा की टकसाल: साल 1986 में बनी नोएडा की इस टकसाल में साल 1988 से ही स्टेनलेस सिक्कों का निर्माण हो रहा है।
- मुंबई की टकसाल: हैदराबाद की तरह यह भी एक पुरानी टकसाल है। इसका निर्माण अंग्रेजों ने अपने लिए विशेष तौर पर करवाया था।
- कोलकाता की टकसाल: साल 1859 में कोलकाता की सबसे पुरानी टकसाल में सिक्कों की ढलाई का काम शुरु हुआ था।
हर टकसाल में ढले सिक्के की होती है एक विशेष पहचान:
मुंबई की टकसाल: मुंबई की टकसाल में ढले सिक्कों की खास बात यह होती है कि उसमें छपाई के साल के ठीक नीचे डायमंड शेप का चिन्ह होता है।
अगर आपके घर को कोई पुराना सिक्का है तो उसे गौर से देखिएगा, अगर उसमें बी एल्फाबेट छपा हो तो समझ जाइएगा कि वो सिक्का मुंबई की टकसाल में ढाला गया होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले मुंबई को बंबई कहा जाता था। हालांकि साल 1996 के बाद मुंबई की टकसाल में छपे सिक्कों पर बी की जगह एम एल्फाबेट छपा हुआ आने लगा।
हैदराबाद मिंट: हैदराबाद मिंट (टकसाल) में छपे सिक्के के नीचे स्टार मार्क होता है। वहीं कुछ सिक्कों में डायमंड चिन्ह भी बना होता था।
इस टकसाल में छपे सिक्कों पर तारीख और सन के ठीक नीचे एक डॉयमंड का चिन्ह बना होता था। हैदराबाद मिंट में छपे कुछ सिक्कों में टूटे हुए डायमंड के भीतर भी डॉट चिन्ह होता था।
नोएडा मिंट: नोएडा की टकसाल में ढलने वाले सिक्कों पर एक डाट का निशान होता था। यहां पर छपने वाले 50 पैसे के सिक्कों पर सबसे पहले डॉट का निशान बनाया गया था।
कोलकाता मिंट: कोलकाता मिंट में ढलने वाले सिक्कों में कोई निशान नहीं होता था। अंग्रेजों के समय में कोलकाता की टकसाल में जो सिक्के ढलते थे उसमे कोई भी मिंट मार्क नहीं होता था।