अरबों का है जगत गुरू का सम्राज्य
जगत गुरू कृपालु जी महाराज का मनगढ़ से लेकर विदेशों तक अरबों का सम्राज्य फैला हुआ है। पांच सौ करोड़ की लागत से बना बरसाना का प्रसिद्ध प्रेम मंदिर लोगों की आस्था के केंद्र के साथ ही पयर्टक स्थल बना हुआ है।
प्रतापगढ़। जगत गुरू कृपालु जी महाराज का मनगढ़ से लेकर विदेशों तक अरबों का सम्राज्य फैला हुआ है। पांच सौ करोड़ की लागत से बना बरसाना का प्रसिद्ध प्रेम मंदिर लोगों की आस्था के केंद्र के साथ ही पयर्टक स्थल बना हुआ है।
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मनगढ़ के एक सामान्य परिवार में जन्मे जगत गुरू कृपालु जी महाराज ने अपनी विद्वता से खुद की यश कीर्ति देश से लेकर विदेशों तक में फैलाई, साथ ही प्रतापगढ़ का भी नाम पूरा दुनिया में रोशन किया। यही नहीं, जगह-जगह आश्रम और धाम स्थापित करके लोगों के मन में भक्ति की आस्था जगाने का भी प्रयास किया। कृपालु महाराज ने मनगढ़ के साथ ही दिल्ली, उड़ीसा, वृंदावन, मसूरी के अलावा नेपाल [काठमांडू], यूएसए [वाशिंगटन डीसी], सिंगापुर, कनाडा में भी आश्रम स्थित हैं। मनगढ़ में 200 करोड़ की लागत से भक्तिधाम बनाया गया है। इसमें राधा कृष्ण की आकर्षक मूर्ति लोगों को बरबस आकर्षित कर लेती है। इसके अलावा यहां पर सत्संग हाल, कृपालु जी हास्पिटल, बालिका विद्यालय भी स्थापित है।
इसके अलावा बरसाना [मथुरा] में 500 करोड़ की लागत से प्रेम मंदिर बना है। मनगढ़ और बरसाना में हमेशा देश के अलावा विदेशी सत्संगियों का जमावड़ा रहता है। कृपालु जी महाराज को काशी विद्वत परिषद से चांदी का सिंहासन भी मिला था, जिसे उन्होंने चीन युद्ध के दौरान भारत सरकार को दान में दिया था।
बंद पड़ा है कृपालु महाराज का आवास ' रंगीली महल'
कृपालु महराज की आस में उनका आवास यानि रंगीला महल बंद पड़ा है। उसके सामने सन्नाटा पसरा हुआ है। भक्तिधाम मनगढ़ में आवास को इस कदर बनाया गया है कि हाल में करीब सैकड़ों लोग एक साथ बैठ सकते है। साथ ही मंदिर तक जाने के लिए जगत गुरू के आवास से लिफ्ट का सहारा लिया गया है। बीते तीन दिनों से उक्त रंगीली महल के सामने सुरक्षा कर्मी तैनात है। हाल के मुख्य द्वार पर ताला लगा हुआ है। यह वही भवन है, जहां पर सोमवार की दोपहर कृपालु महराज उत्तरी छोर का दरवाजा खोलकर भ्रमण करने जा रहे थे और पैर फिसल जाने के कारण गिरकर चोटिल हो गए थे। तब से आज तक भवन बंद पड़ा हुआ है।
वही दूसरी तरफ रंगीली भवन के इस परिसर में कृपालु महाराज के लिए एक पार्क का निर्माण भी कराया गया था, जिसमें वे सुबह शाम भ्रमण किया करते थे। इस पार्क में बैठने से लेकर तरह-तरह के फूल, औषधिदार वृक्ष, गायों के साथ ही मोर की मूर्तियां बनाई गई है, जो दूर से देखने में बहुत सुंदर व रमणीय लगता है।
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