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केदारनाथ पूजास्थल बदलने पर विचार

लगभग तबाह हो चुके केदारनाथ मंदिर में भविष्य में पूजा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। मंदिर के मुख्य रावल [पुजारी] भीमरावलिंगम पूजा स्थल बदलने पर विचार कर रहे हैं। चार मई को केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने के तुरंत बाद रावल भीमरावलिंगम एक अनुष्ठान में शामिल होने बेंगलूर रवाना हो गए थे। वहां से 10 जून को वह महाराष्ट्र चले

By Edited By: Published: Sat, 22 Jun 2013 03:23 AM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2013 06:19 AM (IST)
केदारनाथ पूजास्थल बदलने पर विचार

देहरादून, जागरण संवाददाता। लगभग तबाह हो चुके केदारनाथ मंदिर में भविष्य में पूजा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। मंदिर के मुख्य रावल [पुजारी] भीमरावलिंगम पूजा स्थल बदलने पर विचार कर रहे हैं। चार मई को केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने के तुरंत बाद रावल भीमरावलिंगम एक अनुष्ठान में शामिल होने बेंगलूर रवाना हो गए थे। वहां से 10 जून को वह महाराष्ट्र चले गए। उन्हें फोन पर ही केदारघाटी में तबाही की सूचना मिली।

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शुक्रवार को देहरादून स्थित सहस्रधारा हेलीपैड से केदारघाटी के लिए उड़ान भरने से पहले भीमरावलिंगम ने केदारनाथ मंदिर से मुख्य शिला को अन्यत्र स्थापित करने की संभावना व्यक्त की। उन्होंने तर्क दिया कि देवताओं की पूजा का महत्व इंसानों की सुरक्षा से ही है। इस आपदा को देखते हुए और लगभग तबाह हो चुके केदारनाथ मंदिर के पूजास्थल को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है, मगर इसका निर्णय बदरी केदारनाथ मंदिर समिति व स्थानीय समुदाय से वार्ता के बाद लिया जाएगा। इस संबंध में बहुत जल्द गुप्तकाशी या कालीमठ में बैठक बुलाई जाएगी।

पिकनिक बनी चारधाम यात्रा: स्वरूपानंद

हरिद्वार। ज्योतिष पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा है कि मनुष्य ने अपने फायदे और आराम के लिए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है। चारधाम यात्रा के लिए धार्मिक नियमों की मान्यता सर्वोपरि होती थी। इसे वृद्धों और अपने सांसारिक जिम्मेदारियों को पूरा करने वालों के लिए मोक्ष का धाम माना जाता था। आज लोग चारधाम यात्रा को पिकनिक की तरह मनाने लगे हैं और होटलों व आरामगाहों को अय्याशी का अड्डा बना दिया गया है। चारधाम यात्रा कभी हरिद्वार और ऋषिकेश से पैदल हुआ करती थी, लेकिन अब लोगों ने आस्था को मजाक बनाकर रख दिया है। उन्होंने आपदा के लिए जल विद्युत परियोजनाओं को भी जिम्मेदार ठहराते हुए कहा जब तक इन परियोजनाओं को रोका नहीं जाता, तब तक ऐसी आपदाएं आती रहेंगी। उन्होंने कहा कि धारी देवी मंदिर को बचाने के लिए भी प्रयास करने चाहिए।

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