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संसद प्रस्ताव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए काटजू

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्केंडेय काटजू ने दोनों सदनों में अपने खिलाफ पारित प्रस्ताव के विरुद्ध सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस को क्रमशः ब्रिटिश और जापानी एजेंट कहने के बाद संसद में उनके खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ था।

By Manoj YadavEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2015 08:34 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jun 2015 08:55 PM (IST)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मार्केंडेय काटजू ने दोनों सदनों में अपने खिलाफ पारित प्रस्ताव के विरुद्ध सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। महात्मा गांधी और सुभाष चंद्र बोस को क्रमशः ब्रिटिश और जापानी एजेंट कहने के बाद संसद में उनके खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ था।

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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज काटजू ने फेसबुक पर अपनी एक पोस्ट में कहा कि संसद में उनके खिलाफ फैसला उन्हें सुनवाई का एक भी मौका दिए बगैर सुनाया गया। भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व अध्यक्ष काटजू ने अपने आपत्तिजनक बयान वाली फेसबुक पोस्ट की प्रति भी अपनी याचिका के साथ संलग्न की है। इस टिप्पणी के खिलाफ लोकसभा में 12 मार्च और राज्यसभा में 11 मार्च को प्रस्ताव पारित हुआ था।

काटजू ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि संसद के दोनों ही सदन उनकी निंदा करने के लिए अयोग्य हैं। चूंकि संसद (प्रतिवादी नंबर एक और नंबर दो) योग्यता की कमी और उनके जैसे एक व्यक्ति के खिलाफ प्रस्ताव लाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकसभा के नियम 171 के तहत आरोपी का सरकार के कामकाज से कोई ताल्लुक होना चाहिए। लेकिन वह बतौर याचिकाकर्ता एक निजी व्यक्ति हैं इसलिए वह इस नियम के अधीन नहीं आते हैं।

उन्होंने याचिका में अपनी विवादास्पद फेसबुक पोस्ट का हवाला भी देते हुए कहा कि उनकी गांधी और बोस पर टिप्पणी का आधार स्पष्ट करते हुए कहा कि गांधी जी ने पिछले कुछ दशकों से धार्मिक प्रतीकों का इतना अधिक इस्तेमाल किया था कि ब्रिटिश शासन की बांटों और राज करो की नीति की ही तरह भारतीय उपमहाद्वीप में मुसलमान आबादी ने खुद को राष्ट्रीय आंदोलन से अलग क र लिया। वहीं नेताजी की पोस्ट में उनका नजरिया था कि जाने-अनजाने वह जापानी अधिनायकवाद के पैरोकार हो गए थे।


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