रोहतक: अभी तक नहीं मिल पाया कश्मीरी छात्रों को इंसाफ
कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और मसर्रत आलम ने श्रीनगर में जो भारत विरोधी रैली की उसकी आग पूरे देश में देखने को मिली। लेकिन हरियाणा के रोहतक में एक इंजीनियरिंहग कॉलेज ने तो सारी हदें पार कर दीं। यहां इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर के
रोहतक। कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और मसर्रत आलम ने श्रीनगर में जो भारत विरोधी रैली की उसकी आग पूरे देश में फैलने लगी है। लेकिन हरियाणा के रोहतक में एक इंजीनियरिंग कॉलेज ने तो सारी हदें पार कर दीं। यहां इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर के 13 छात्रों को बाहर का दरवाजा दिखा दिया गया।
इस मामले में एक बात जान लेने वाली ये है कि इन सभी छात्रों को प्रधानमंत्री विशेष छात्रवृत्ति योजना के तहत एडमिशन मिला था और कॉलेज प्रशासन ने इन छात्रों को ये कह कर निकाल दिया है कि इस योजना के तहत कोई फंड हमको नहीं मिल रहा है।
केंद्र सरकार की ये योजना सिर्फ कश्मीरी छात्रों के लिए ही है और ऐसे में इन छात्रों को ये कह कर निकाल दिया गया कि इन लोगों की फीस ही नहीं आ रही है।
इस रस्साकसी में केंद्र बिंदु भाजपा बनी हुई है। वह किस तरह से आइए हम आपको बताते हैं। पहला जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी के साथ हाथ मिलाकर सत्ता में है। दूसरा हरियाणा में पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा अपना झंडा बुलंद किए हुए है। तीसरा केंद्र में भाजपा की सरकार है। तो ऐसे में ये छात्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जल्द से जल्द न्याय की उम्मीद तो कर ही सकते हैं।
क्या है पूरा मामला
रोहतक इंस्टिट्यूट ऑफ इंजिनियरिंग ऐंड मैनेजमेंट (आरआइइएम) से निकाल दिए गए 13 कश्मीरी स्टूडेंट्स शुक्रवार को डेप्युटी कमिश्नर और महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी (एमडीयू) प्रशासन से मिले। इन स्टूडेंट्स ने 2013 में प्राइम मिनिस्टर स्पेशल स्कॉलरशिप स्कीम (पीएमएसएसएस) के तहत बीटेक कोर्स में एडमिशन लिया था। आरआइइएम के रजिस्ट्रार का कहना है कि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 60 पर्सेंट से ज्यादा नंबर वाले 10 स्टूडेंट्स की ही स्कॉलरशिप की इजाजत दी गई है। हालांकि, इंस्टिट्यूट से निकाले गए सभी स्टूडेंट्स का दावा है कि उनके 60 पर्सेंट से ज्यादा नंबर हैं और उनके कोर्स को दो साल से ज्यादा हो चुके हैं।
छात्रों के वक्तव्य
इस मामले पर निकाले गए छात्र तौफीक अहमद का कहना है कि हमने अपने कोर्स के दो साल पूरे कर लिए हैं और अब कॉलेज प्रशासन हमसे कह रहा है कि आपकी स्कॉलरशिप मानव संसाधन मंत्रालय से मंजूर होकर नहीं आई है, तो ऐसे में आपको कॉलेज की फीस, हॉस्टल की फीस और ट्यूशन की फीस खुद भरनी होगी। लेकिन जिन छात्रों को स्कॉलरशिप पर एडमिशन मिला है वो इतने गरीब हैं कि वो ये फीस वहन नहीं कर सकते हैं।
कॉलेज से निकाले गए एक और छात्र शाहनवाज राशिद का कहना है कि जब उसने इस मामले में कॉलेज प्रशासन से बात की तो उन्होंने बताया कि आपकी स्कॉलरशिप नहीं आई है, लेकिन हमें ये भी बताया गया कि ये जरूर आएगी और अगर नहीं आती है तो कॉलेज ने आश्वासन दिया है कि वो खुद भुगतान करेगा। लेकिन जब आधा कोर्स हो गया है तो हमें अचानक से निकाला जा रहा है।
कॉलेज प्रशासन का बचाव
कॉलेज प्रशासन ने अपना बचाव करते हुए कहा है कि साल 2013 में हमने 23 छात्रों का एडमिशन किया था वो इस शर्त पर कि जो मानव संसाधन मंत्रालय जम्मू-कश्मीर के छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान कर रहा है वो उसी के तहत यहां पर पढ़ाई करेंगे। एडमिशन के समय उन्हें बता दिया गया था कि आपकी स्कॉलरशिप आती रहेगी तब तक आप पढ़ते रहो नहीं तो आपको खुद भुगतान करके पढ़ना होगा। एआइसीटीई की वेरिफकेशन के बाद इसको मानव संसाधन मंत्रालय भेज दिया गया और वहां से सिर्फ 10 छात्रों को मिली।
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