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न्यायाधीश होकर भी न्याय नहीं मिलने का अफसोस

कर्नाटक हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रहे जस्टिस मंजुनाथ का कहना है कि उनका कैरियर तबाह करने के लिए न्यायपालिका के कुछ लोगों ने ही आक्रामक अभियान चलाया। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि एक न्यायाधीश होने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला।

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Tue, 21 Apr 2015 01:18 AM (IST)Updated: Tue, 21 Apr 2015 02:26 AM (IST)
न्यायाधीश होकर भी न्याय नहीं मिलने का अफसोस

बेंगलुरु। कर्नाटक हाई कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रहे जस्टिस मंजुनाथ का कहना है कि उनका कैरियर तबाह करने के लिए न्यायपालिका के कुछ लोगों ने ही आक्रामक अभियान चलाया। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि एक न्यायाधीश होने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला।

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उल्लेखनीय है कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने ही आपत्ति की थी। इसके चलते उन्हें मुख्य न्यायाधीश नहीं बनाया जा सका था।

सेवानिवृत्ति के अवसर पर आयोजित विदाई समारोह में जस्टिस मंजुनाथ ने कहा कि अपने खिलाफ लगाए गए कई आरोपों पर उन्होंने स्थिति स्पष्ट कर दी। इसके बावजूद उनके नाम पर फिर से विचार नहीं किया गया।

क्या है मामला

पिछले साल जुलाई में कानून मंत्रालय ने मंजुनाथ को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने से संबंधित फाइल सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम के पास लौटा दी थी। कोलेजियम के अध्यक्ष के तौर पर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढ़ा ने सुप्रीम कोर्ट के एक जज से संपर्क किया, जो खुद कर्नाटक हाई कोर्ट में रह चुके थे। इस जज ने अपने नोट में कोलेजियम के सामने कई मुद्दे उठाए।

जस्टिस मंजुनाथ ने कहा कि प्राकृतिक न्याय हमारे संविधान का बुनियादी चरित्र है। खतरनाक अपराधियों को भी अपना पक्ष रखने का मौका मिलता है, लेकिन मुझे आज तक पता नहीं चल सका कि सुप्रीम कोर्ट के जज ने अपने पत्र में मेरे खिलाफ क्या लिखा था।

पढ़ें : न्याय में देरी के लिए सिस्टम जिम्मेदार, जज नहीं : जस्टिस खेहर


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