पत्थर फेंकने वाले हाथों में रोजगार दे सरकार
करनाल में हारमनी 2017 महोत्सव में भाग लेने आए कश्मीर से आए कलाकारों के दल ने कहा, घाटी के युवाओं से सीधे बात करे केंद्र सरकार
अश्विनी शर्मा, करनाल। जम्मू-कश्मीर के कलाकारों का दिल अपने राज्य की हालत देखकर, रोता है। उन्हें कुछ शिकायतें सरकार से भी हैं। वह कहते हैं कि पत्थरबाजी की समस्या पनपने की सबसे बड़ी वजह बेरोजगारी है। बेरोजगारी के कारण शिक्षित युवा भी दिशाहीन हो रहे हैं। पत्थर फेंकने वाले हाथों में रोजगार दिया जाए तो यह समस्या समाप्त हो जाएगी। वहीं केंद्र सरकार को किसी को मध्यस्थ बनाने के बजाय सीधे कश्मीरी युवाओं से बातचीत करनी चाहिए। निफा की ओर से ओर से हारमनी 2017 महोत्सव में कश्मीर से आए कलाकारों ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में यह बात रखी।
कश्मीर के साथ अन्य राज्यों जैसा बर्ताव जरूरी:
शाह कलंदर फोक थियेटर एंड कश्मीर संस्था के वरिष्ठ सदस्य गुलजार अहमद का कहना है कि उनका राज्य भारत का अभिन्न अंग है। वह खुद को भारतवासी कहकर गौरवान्वित महसूस करते हैं। उनकी शिकायत सरकार से है कि वह भी कश्मीर के साथ अन्य राज्यों जैसा ही बर्ताव करें। वहां के युवाओं पर ध्यान दिया जाए।
राय
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स्थापित हो उद्योग :
संस्था की वरिष्ठ सदस्य इफ्रा खान का कहना है कि रोजगार नहीं मिलने के कारण कश्मीर के कई युवा भटक रहे हैं। उनका इस्तेमाल किया जा रहा है। राज्य में कोई उद्योग नहीं है। यदि युवाओं को रोजगार मिलेगा तो पत्थरबाजी की समस्या भी समाप्त हो जाएगी।
हम चाहते हैं शांति :
श्रीनगर की प्रियंका व बड़गाम की निहारिका का कहना है कि हम अपने राज्य में शांति चाहते हैं। कश्मीर बहुत सुंदर हैं, लेकिन अब यहां पर्यटक भी नहीं पहुंच रहे हैं। वह चाहती हैं कि लोग धरती का स्वर्ग देखने के लिए पहुंचें।
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