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एकल प्रवेश परीक्षा से पीछे नहीं हटेगा केंद्र

केद्र सरकार ने तमाम विरोधो के बावजूद इंजीनियरिंग की एकल प्रवेश परीक्षा से पीछे हटने से इंकार कर दिया है। केद्रीय मानव संसाधन व विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार प्रवेश परीक्षा के नए प्रस्ताव के जरिये आइआइटी की स्वायत्तता को कम नही कर रही है। प्रस्ताव के विरोध को देखते हुए सरकार ने आइआइटी के कानूनी प्रावधानो को खंगालना शुरू कर दिया है।

By Edited By: Published: Tue, 12 Jun 2012 03:26 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jun 2012 03:27 AM (IST)
एकल प्रवेश परीक्षा से पीछे नहीं हटेगा केंद्र

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने तमाम विरोधों के बावजूद इंजीनियरिंग की एकल प्रवेश परीक्षा से पीछे हटने से इंकार कर दिया है। केंद्रीय मानव संसाधन व विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार प्रवेश परीक्षा के नए प्रस्ताव के जरिये आइआइटी की स्वायत्तता को कम नहीं कर रही है। प्रस्ताव के विरोध को देखते हुए सरकार ने आइआइटी के कानूनी प्रावधानों को खंगालना शुरू कर दिया है।

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सूत्रों के मुताबिक, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आइआइटी कानून के उन प्रावधानों का परीक्षण शुरू कर दिया है, जो सीनेट के कार्यकलापों के खिलाफ जाते हैं। बताते हैं कि आइआइटी एक्ट-1961 के प्रावधानों के तहत सीनेट के कार्यकलापों में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों की प्रवेश प्रक्रिया के मानक तय करना शामिल नहीं है। वह सिर्फ अकादमिक मामलों में ही अपनी राय रख सकता है। सीनेट कोई भी प्रस्ताव पारित करता है तो उसे जल्द से जल्द आइआइटी बोर्ड के सामने प्रस्तुत करना होगा। बोर्ड चाहे तो उसमें संशोधन कर सकता है या फिर उसे रद कर सकता है। लिहाजा ऐसा नहीं माना जाना चाहिए कि सीनेट का कोई फैसला बदला नहीं जा सकता या उसे कुछ भी करने की स्वायत्तता है।

मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल अभी विदेश दौरे पर हैं। सूत्रों की मानें तो उनके मंत्रालय के अधिकारी आइआइटी कानपुर की सीनेट द्वारा उठाए गए बिंदुओं का जवाब भी ढू़ंढ़ चुके हैं। जरूरी हुआ तो सरकार उसके आधार पर आगे कदम उठाएगी। आइआइटी कानपुर की सीनेट ने सभी केंद्रीय इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों में एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। कुछ दूसरे आइआइटी भी उसकी राह पर जा सकते हैं। आइआइटी फैकल्टी फेडरेशन भी एकल संयुक्त प्रवेश परीक्षा का विरोध कर रहा है।

इस बीच, आइआइटी खडगपुर के निदेशक दामोदर आचार्य ने सिब्बल के प्रस्ताव को सही ठहराते हुए कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को प्रतिष्ठित संस्थानों में पहुंचने का मौका मिलेगा। वहीं, आइआइटी मद्रास के निदेशक भास्कर राममूर्ति ने नई व्यवस्था का समर्थन करते हुए अगले शैक्षणिक सत्र से लागू करने के लिए तैयार होने की बात कही है।

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