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गरीबों को समय पर कानूनी मदद न मिलने से खत्म हो रही विश्वसनीयता

पैरा लीगल वॉलंटियर्स (पीएलवी) की बैठक का उद्घाटन करते हुए जस्टिस खेहर ने कहा, गरीबों की मदद करना बहुत जरूरी है।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Sat, 29 Apr 2017 10:06 PM (IST)Updated: Sat, 29 Apr 2017 10:07 PM (IST)
गरीबों को समय पर कानूनी मदद न मिलने से खत्म हो रही विश्वसनीयता
गरीबों को समय पर कानूनी मदद न मिलने से खत्म हो रही विश्वसनीयता

नई दिल्ली, प्रेट्र : सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) जस्टिस जेएस खेहर का मानना है कि समय पर कानूनी मदद नहीं मिलने पर गरीबों का न्याय प्रक्रिया के प्रति विश्वास खत्म होता है। यही नहीं, गरीबों और अशिक्षितों को वक्त पर न्याय न मिलने से कानूनी प्रक्रिया भी प्रभावित होती है।

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पैरा लीगल वॉलंटियर्स (पीएलवी) की बैठक का उद्घाटन करते हुए जस्टिस खेहर ने कहा, गरीबों की मदद करना बहुत जरूरी है। इस काम में पैरा लीगल वॉलंटियर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। गांव स्तर पर कार्यरत पैरा वॉलंटियर के कार्यो का आंकलन होना चाहिए। दरअसल, दूर-दराज इलाकों में रहने वाले वकीलों की सेवा से महरूम रहते हैं। ऐसे में पैरा लीगल वॉलंटियर उन्हें कानूनी मदद देते हैं।

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जस्टिस खेहर ने कहा, इस संबंध में प्रभावी योजना बनाने का समय आ गया है। इसके तहत वॉलंटियर को अपनी कार्य योजना तैयार करनी चाहिए। वॉलंटियर विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा दी गई डायरी में रोजाना किए कार्यो को दर्ज करें। प्राधिकरण उसकी जांच करे, ताकि उन्हें प्रभावी तरीके से काम करने का सुझाव दिया जा सके।

प्रौद्योगिकी से उचित लाभार्थी तक पहुंचाई एक-एक पाई : रविशंकर प्रसाद

राजग सरकार ने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर यह सुनिश्चित किया है कि एक-एक पाई उचित लाभार्थी तक पहुंचे। केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पैरा लीगल वॉलंटियर्स की दो दिवसीय राष्ट्रीय बैठक के पहले दिन शनिवार को यह दावा किया। इसकी पुष्टि के लिए उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक रुपये में सिर्फ 15 पैसा ही उचित लाभार्थी तक पहुंचता है।

उन्होंने कहा, 'एक प्रधानमंत्री ने कभी कहा था कि मैं दिल्ली से एक रुपया भेजता हूं, तो 15 पैसे ही गांव तक पहुंचते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने यह बात कही थी, लेकिन अब जब हम 100 रुपया भेजते हैं तो यह सीधा गरीब के खाते में पहुंचता है। उसे 100 रुपये ही मिलते हैं।'

उनके अनुसार, सरकार ने प्रौद्योगिकी की मदद से पिछले दो साल में जन-धन खातों को मोबाइल फोन व आधार कार्ड से जोड़ 50 हजार करोड़ रुपये बचाए हैं। गैस, राशन और केरोसिन तेल की सब्सिडी तथा मनरेगा का भुगतान अब सीधे उनके बैंक खाते में हो रहा है।

गरीबों को न्याय दिलाने में प्रौद्योगिकी के प्रयोग पर जोर देते हुए प्रसाद बोले, समय तेजी से बदल रहा है। ऐसे में न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी को अनुकूल बनाया जाना चाहिए।


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