जयंती से जल्द हो सकती है पूछताछ
जयंती नटराजन पर्यावरण मंजूरी में गड़बड़ी के लिए भले ही राहुल और सोनिया गांधी को जिम्मेदार ठहरा रही हों, लेकिन जल्द ही उन्हें इसका जवाब सीबीआइ के सामने देना पड़ सकता है। सीबीआइ जयंती नटराजन के पर्यावरण मंत्री के रहने के दौरान मंजूर किए गए पांच मामलों की प्रारंभिक जांच
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। जयंती नटराजन पर्यावरण मंजूरी में गड़बड़ी के लिए भले ही राहुल और सोनिया गांधी को जिम्मेदार ठहरा रही हों, लेकिन जल्द ही उन्हें इसका जवाब सीबीआइ के सामने देना पड़ सकता है। सीबीआइ जयंती नटराजन के पर्यावरण मंत्री के रहने के दौरान मंजूर किए गए पांच मामलों की प्रारंभिक जांच शुरू कर चुकी है। इसके साथ ही सीबीआइ संप्रग सरकार के दौरान पर्यावरण मंजूरी में की गई दूसरी गड़बडि़यों पर जस्टिस एमवी शाह आयोग की रिपोर्ट को भी खंगाल रही है।
सीबीआइ के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार जांच के दायरे में आए पर्यावरण मंजूरी के ये सभी मामले झारखंड में लौह अयस्क की खान से संबंधित हैं। इन सभी मामलों में पर्यावरण मंजूरी पर आपत्ति उठाई गई थी। लेकिन जयंती नटराजन के कार्यकाल में बिना किसी स्पष्टीकरण दिए सभी आपत्तियों को दरकिनार कर पर्यावरण मंजूरी दे दी गई।
वैसे सीबीआइ की पीई में कहीं भी जयंती नटराजन का नाम नहीं है। इसमें केवल संबंधित कंपनियों और पर्यावरण मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है। लेकिन अंतत: पर्यावरण मंत्री के रूप में नटराजन से सफाई मांगी ही जाएगी।
सीबीआइ जिन मामले में जांच कर रही है, उनमें सारंडा, अंकुआ और रुंगटा के साथ-साथ दो अन्य क्षेत्रों की भी खदानें भी हैं। इनमें सारंडा के जंगल में नवीन जिंदल की कंपनी जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड और अंकुआ के जंगल में सज्जन जिंदल की कंपनी जेएसडब्ल्यू स्टील को खनन की मंजूरी दी गई थी।
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