जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए दिन-रात जुटे सेना के 30 हजार जवान
बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित जम्मू कश्मीर में जिंदगी की पटरी पर लाने की कवायद लगातार जारी है। सेना और एनडीआरएफ की टीम ने मिलकर अभी तक एक लाख नब्बे हजार लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। लेकिन अब राज्य में एक ओर महामारी का खतरा मंडरा रहा है तो दूसरी ओर अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ
जम्मू। बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित जम्मू कश्मीर में जिंदगी की पटरी पर लाने की कवायद लगातार जारी है। सेना और एनडीआरएफ की टीम ने मिलकर अभी तक एक लाख नब्बे हजार लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। लेकिन अब राज्य में एक ओर महामारी का खतरा मंडरा रहा है तो दूसरी ओर अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ने के मद्देनजर दवाओं की कमी भी खलने लगी है। वादी में अब भी करीब पांच लाख लोगों को मदद का इंतजार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से मदद की अपील की है।
बीएसएनएल के 54 टावर चालू कर दिया गए हैं। इसके अलावा कई जगहों पर लोगों को मुफ्त फोन करने की सुविधा दी गई है। इसके अलावा अब बारामुला-सिंथन-अनंतनाग मार्ग समेत कुछ दूसरे मार्ग भी खोल दिए गए हैं।
केंद्र ने स्थिति से निपटने के लिए सौ टन दवा और आवश्यक चीजें तो भेजी हैं। राज्य में करीब 30 हजार जवान दिन-रात राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। इनमें से 21 हजार जवान श्रीनगर में और नौ हजार जवान जम्मू में लगे हुए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य के बाढ़ प्रभावितों के लिए 200 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की है। आपदा में जिन लोगों की मौत हुई है, उनके परिजनों को साढ़े तीन लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा भूस्खलन से तबाह हुए लोगों को काम शुरू करने के लिए 75 हजार रुपये की पहली किश्त दी जा रही है। इस बीच वित्त मंत्रालय ने भी जम्मू-कश्मीर सरकार की सहायता के लिए राज्य को 865 करोड़ रुपये की किस्त समय से पहले से जारी कर दी है।