बंद हो चुके 500-1000 रुपए के नोटों का जेल में हो रहा है इस तरह इस्तेमाल
मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले के बाद लोग कार्रवाई से बचने के लिए 500-1000 के नोटों को जलाने तक लग गए थे, मगर इनका इस तरह भी इस्तेमाल हो सकता है।
चेन्नई, एजेंसी। तमिलनाडु की राजधानी चेन्न्नई की पुझाल केंद्रीय जेल में उम्रकैद की सजा पाए कैदियों से नवंबर 2016 में अवैध घोषित किए गए 500-1000 के नोटों की कतरन से स्टेशनरी का सामान बनवाया जा रहा है। स्टेशनरी में फाइल पैड व अन्य लेखन सामग्री शामिल हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रद्दी नोटों से बनी स्टेशनरी का इस्तेमाल राज्य सरकार के विभागों व उसकी अन्य एजेंसियों में किया जा रहा है।
हर रोज उम्रकैद की सजा पाए करीब 25-30 प्रशिक्षित कैदियों से फाइल पैड बनवा रहे हैं। यह कार्य जेल की हस्त निर्मित स्टेशनरी निर्माण इकाई में हो रहा है।
नोटों की 70 टन कतरन आवंटित
तमिलनाडु के जेल विभाग के प्रभारी डीआईजी ए. मुरगसेन ने बताया कि रिजर्व बैंक ने हमें बेकार हुए नोटों की 70 टन कतरन सौंपने का प्रस्ताव दिया है। जेलों में उनसे स्टेशनरी बनवाने के लिए अधिकारियों ने अब तक 9 टन कतरन ले ली है। शेष कतरन को भी चरणबद्ध ढंग से ले लिया जाएगा।
अब तक करीब डेढ़ टन प्रतिबंधित करेंसी से फाइल पैड बनवाए जा चुके हैं। नोटों की कतरन से पुझाल जेल में रोज करीब एक हजार फाइल पैड बन रहे हैं।
इस तरह बन रही स्टेशनरी
- नोटों की कतरन से सबसे पहले लुगदी (पल्प) बनवाई जा रही है।
- लुगदी को विभिन्न आकार की डाई में डाल मोल्ड किया जाता है।
- इससे वह हार्ड पैड्स में तब्दील हो जाते हैं। यह सब हाथों से किया जाता है।
फाइल पैड के कोने पर लगाते हैं लाल कपड़ा
सरकारी दफ्तरों में इस्तेमाल होने वाले फाइल पैड का निर्माण में आधी सामग्री गत्ते की होती है। इन हार्ड पैड के कोनों पर लाल रंग का कप़़डा लगाया जाता है। इसके कवर पर 'अर्जेट' और 'ऑर्डिनरी' जैसे टैग लगाए जाते हैं। सरकारी स्टेशनरी की यह खास पहचान होती है।
कैदियों को मिलते हैं 160 से 200 रुपए
रोज स्टेशनरी निर्माण में लगे कैदियों को 160 रुपए से लेकर 200 रुपए रोजाना तक का पारिश्रमिक दिया जाता है। उनके पारिश्रमिक का निर्धारण, कुशल और अर्द्धकुशल श्रेणी के अनुसार होता है।
सिर्फ पुझाल जेल को चुना
प्रतिबंधित नोटों की कतरन से स्टेशनरी बनाने के लिए तमिलनाडु में पुझाल जेल को ही चुना गया। जबकि राज्य की छह जेलों में से वेल्लुर, सलेम व मदुरै में भी ऐसी स्टेशनरी बनाने की इकाइयां हैं। राज्य में हर माह करीब 1.5 लाख फाइल पैड बनाए जाते हैं।
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