कुत्ते की तरह खाना खाने को कहती थी 'दीदी'
बसपा सांसद धनंजय सिंह के सरकारी आवास में काम करने वाली दूसरी घरेलू सहायिका मीना भी उनकी पत्नी डॉ. जागृति की क्रूरता की शिकार थी। पिटाई के चलते जान गंवाने वाली घरेलू सहायिका रेखा को बचाने के लिए जब भी वह बीच में पड़ती, उसकी भी जमकर पिटाई होती। भरी आंखों से मीना ने बताया कि भइया (सांसद
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। बसपा सांसद धनंजय सिंह के सरकारी आवास में काम करने वाली दूसरी घरेलू सहायिका मीना भी उनकी पत्नी डॉ. जागृति की क्रूरता की शिकार थी। पिटाई के चलते जान गंवाने वाली घरेलू सहायिका रेखा को बचाने के लिए जब भी वह बीच में पड़ती, उसकी भी जमकर पिटाई होती। भरी आंखों से मीना ने बताया कि भइया (सांसद) भी हमेशा चुपचाप देखते रहते थे, कुछ नहीं बोलते थे। मीना के शरीर पर जख्मों के इतने निशान हैं कि किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएं। उसके दाहिने हाथ में फ्रैक्चर है। जागृति ने माचिस से कई बार मीना के बाल जलाए थे। उसके सिर के आधे बाल अभी तक जले हुए हैं।
पढ़ें: सांसद पति की बेरुखी से आक्रामक बनी जागृति
उपचार के लिए आरएमएल अस्पताल में भर्ती मीना ने बृहस्पतिवार को बताया कि 'दीदी (जागृति) शाम को घर आतीं तो पता नहीं क्यों गुस्सा रहती थीं। उनके सामने जो भी पड़ता, उसकी शामत पक्की होती थी। दीदी किसी न किसी बात पर कमी निकाल कर मुझे, राखी और नाबालिग नौकर को इतना पीटती थी कि कई-कई दिन तक शरीर दर्द करता था। गलती होने पर खाने के समय वह अचानक हम लोगों के बीच आ जाती और कहती कि कुत्ता बनो और बिना हाथ लगाए सीधे मुंह से खाना खाओ। हम रोते या मना करते तो डंडे से बेरहमी से पिटाई कर देती थी।' उसके मुताबिक, कभी-कभी सांसद भी उनकी पिटाई कर देते थे। नई दिल्ली जिले के डीसीपी एसबीएस त्यागी ने बताया कि कुछ महीने पूर्व जागृति ने गर्म प्रेस मीना के पेट पर रख दी थी, जिसका घाव अब तक भर नहीं पाया है। हाल ही में किसी गलती पर मीना के दोनों कूल्हों को भी गर्म प्रेस से दागा था, जिसकी वजह से वह अपने बल पर उठने-बैठने में अब तक असमर्थ है। डॉक्टरों का कहना है कि मीना को इलाज के लिए काफी समय तक अस्पताल में रहना होगा। दूसरी तरफ, मेडिकल बोर्ड गठित न होने के कारण रेखा का पोस्टमार्टम बृहस्पतिवार को भी नहीं हो पाया। मीना और राखी दोनों 24 परगना, कोलकाता की हैं।
घर का खाना खा रहे धनंजय
सांसद धनंजय व जागृति को चाणक्यपुरी थाने में अलग-अलग कमरे में रखा गया है। सूत्रों की मानें तो धनंजय घर से खाना मंगवा रहे हैं, जबकि जागृति को मेस का खाना दिया जाता है। उन्हें रिश्तेदारों व परिचितों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। बुधवार रात दोनों को ठीक से नींद नहीं आई। वह कई बार जगे और बेचैनी महसूस करते रहे। दोनों पांच दिन की पुलिस रिमांड पर हैं।
बाल आयोग ने मांगी रिपोर्ट
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पुलिस को पत्र लिखकर नाबालिग नौकर की पिटाई से संबंधित जांच रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने मांग की कि अगर नाबालिग का यौन उत्पीड़न हुआ हो तो तत्काल पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाना चाहिए। वहीं, आरएमएल अस्पताल प्रशासन ने भी पुलिस से रिपोर्ट मांगी है ताकि वह अपने यहां कार्यरत डॉ. जागृति पर विभागीय कार्रवाई कर सके।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर