क्यों सऊदी किंग सलमान ने नवाज शरीफ से पूछा, बताओ तुम किधर हो
राजनियक संबंध तोड़ने के फैसले के बाद विवादों को सुलझाने के लिये सऊदी अरब गए नवाज शरीफ ने सऊदी के किंग के सामने बैठक में यह मुद्दा उठाया।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। लगता है सऊदी अरब और कतर के बीच आकर पाकिस्तान को मध्यस्थता करना उसके लिए भारी पड़ गया है। आर्मी चीफ के साथ जेद्दा दौरे पर गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सऊदी किंग शाह सलमान ने दो टूक शब्दों में सवाल पूछते हुए कहा कि वह ये बताएं कि कतर के साथ हैं या फिर हमारे साथ?
पाकिस्तान को कतर पर दो टूक
दरअसल, कतर के साथ खाड़ी देशों के बीच पैदा हुए विवाद और उसके बाद कतर के साथ राजनियक संबंध तोड़ने के फैसले के बाद विवादों को सुलझाने के लिये सऊदी अरब गए नवाज शरीफ ने सऊदी के किंग के सामने बैठक में यह मुद्दा उठाया। पाकिस्तानी अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सऊदी अरब के शाह ने शरीफ से साथ बैठक में उनसे रूख स्पष्ट करने का कहा है।
कतर मुद्दे पर पाकिस्तान है सावधान
अखबार ने आगे बताया कि जब रियाद ने इस्लामाबाद से यह पूछा कि वह यह साफ करें कि किधर है उसके बाद पाकिस्तान ने सऊदी अरब से कहा कि मध्य पूर्व में उपजी राजनयिक अशांति में वह किसी का साथ नहीं देगा।अखबार में आगे कहा गया है कि आतंकवादी समूहों को बढ़ावा देने के मुद्दे पर खाड़ी देशों के कतर से राजनयिक संबंध तोड़ने के बाद पाकिस्तान काफी एहतियाती भरा कदम उठा रहा है। ऐसे में सऊदी अरब चाहता है कि पाकिस्तान उनका पक्ष लेकर सामने आए।
क्यों पाकिस्तान नहीं ले रहा किसी का पक्ष
दरअसल, सऊदी अरब भले ही पाकिस्तान से कतर के मुद्दे पर दो टूक फैसले लेने के लिए कह रहा हो लेकिन पाक के लिए यह फैसला इतना आसान नहीं है। उसकी वजह है पाकिस्तान का सऊदी अरब और कतर दोनों के साथ अच्छे संबंधों का होना। मध्य पूर्व के जानकार वइल अव्वाद ने Jagran.com से ख़ास बातचीत में बताया कि सऊदी अरब का पाकिस्तान के साथ अच्छे ताल्लुकात रहे हैं और दोनों के बीच दोस्ती काफी पुरानी है। सऊदी अरब पाकिस्तान स्थित वहां की खुफिया एजेंसी को काफी समर्थन दिया है। जबकि दूसरी तरफ पाकिस्तान में कतर से भी काफी पैसा आ रहा है। ऐसे में पाकिस्तान का किसी एक देश के समर्थन में खड़ा होना इतना आसान नहीं होगा।
किसके साथ खड़ा हो सकता है पाकिस्तान
इस सवाल का पाकिस्तान के लिए जवाब इतना आसान नहीं होगा। वइल अव्वाद का मानना है कि पाकिस्तान फिलहाल बीच बचाव की स्थिति में है और वह चाहता कि कतर के साथ खाड़ी देशों के संबंधों को बेहतर करने के लिए वह सक्रिय तौर पर मध्यस्थता की भूमिका निभाए। लेकिन, अगर स्थिति किसी एक चीज को चुनने की होगी तो फिर पाकिस्तान सऊदी अरब के पाले में खड़ा हो सकता है।
कतर के साथ सऊदी अरब क्या चाहता है
आज जिस तरह के मध्य पूर्व के बाकी देशों ने सऊदी अरब के साथ खड़े होकर कतर के साथ अपने राजनयिक संबंध तोड़ लिए हैं उसके बाद यह सवाल लगातर उठ रहा है कि आखिर इसकी क्या वजह है। वइद अव्वाल का मानना है कि सऊदी अरब का इसमें निजी हित छिपा हुआ है। सऊदी अरब चाहता है कि कतर उसे भी गैस दे। जबकि, अमेरिका का भी इसमें निजी हित दिख रहा है और सऊदी अरब- कतर के रिश्तों के बहाने इरान पर भी संबंध बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
जाहिर है, कतर और सऊदी अरब के बीच विवाद के कई कारण है, भले ही इसका कारण कतर को आतंकवाद से जोड़ा जा रहा हो। ऐसे में पूरे मुद्दे का समाधान कैसे होगा और स्थिति ठीक कब तक होगी इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
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