Move to Jagran APP

उत्तर कोरिया पर क्यों आक्रामक नहीं जापान, किम से डर गया क्या?

उत्तर कोरिया के मामले में जहां अमेरिका काफी आक्रामक रवैया इख्तियार किए हुए है वहीं जापान इस मामले में हमे‍शा डिफेंसिव रहा है। क्या है इसकी वजह।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sat, 23 Sep 2017 02:06 PM (IST)Updated: Sun, 24 Sep 2017 01:24 PM (IST)
उत्तर कोरिया पर क्यों आक्रामक नहीं जापान, किम से डर गया क्या?
उत्तर कोरिया पर क्यों आक्रामक नहीं जापान, किम से डर गया क्या?

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में उत्तर कोरिया का मुद्दा जोर-शोर से सुनाई दे रहा है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के इसके प्रति आक्रामक भाषण के बाद उनके विरोधी स्‍वर भी साफतौर पर सुनाई देने लगे हैं। उन्‍होंने महासभा में दिए अपने पहले संबोधन में जो उत्तर कोरिया को तहस-नहस करने की धमकी दी उससे कई नेता इत्‍तफाक नहीं रखते हैं। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने खुलेतौर पर इसको लेकर अपना मतभेद उजागर किया है। इसके अलावा रूस ने भी अब साफ कर दिया है कि अमेरिका या तो इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से हल करे, नहीं तो उसको इस क्षेत्र में सैन्‍य कार्रवाई नहीं करने दी जाएगी। रूस ही नहीं चीन ने भी कहा है कि वह क्षेत्र में सैन्‍य कार्रवाई के सख्‍त खिलाफ है। यह सभी देश वह हैं जो संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में स्‍थाई सदस्‍यता रखते हैं। लिहाजा इनकी बात को नकारना अमेरिका के लिए कहीं से भी आसान नहीं होगा।उत्तर कोरिया पर सैन्‍य कार्रवाई का विरोध तो हो रहा है, लेकिन उसके नेता किम जोंग उन को बातचीत के लिए तैयार करने के प्रयास होते दिखाई नहीं दे रहे हैं।

loksabha election banner

जापान पर लगी हैं निगाहें

वहीं दूसरी तरफ पूरे विश्‍व समुदाय की निगाह जापान पर भी लगी है। जापान इस मामले में कभी भी आक्रामक नहीं हुआ है। हालांकि वह उत्तर कोरिया से कुछ डरा हुआ जरूर दिखाई देता है। ऐसा इसलिए भी है क्‍योंकि पिछले दो मिसाइल परीक्षण उसके ही ऊपर से किए गए हैं। ऐसे में उसको सबसे अधिक खतरा दिखाई देता है। इस बात को जानकार भी मानते हैं। इस बीच एक सवाल जापान के रवैये को लेकर भी होता रहा है कि आखिर वह इस मामले में इतना डिफेंसिव क्‍यों है।

संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता के नाम पर ये देश कर रहे हैं भारत के साथ धोखा 

मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम तैनात

यहां पर यह बात ध्‍यान में रखने वाली है कि पिछले दिनों ही जापान ने अपने यहां होकाइदो द्वीप के दक्षिण हिस्‍से में हाईटेक मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम पैटियट एडवांस्ड कैपेबिलिटी-3 (पीएसी-3) तैनात की है। इससे पहले इस मिसाइल सिस्‍टम को द्वीप के पश्चिमी हिस्से में भी लगाया जा चुका है। जापान ने यह फैसला उत्तर कोरिया द्वारा 29 अगस्त और 15 सितंबर को किए गए दो बैलेस्टिक मिसाइल टेस्‍ट के बाद लिया है। इन दोनों परीक्षणों के बाद जापान को अपने लोगों को अलर्ट तक जारी करना पड़ा था।

उत्‍तर कोरिया का सबसे बड़ा दुश्‍मन है ‘जापान’

इस बाबत Jagran.Com से बात करते हुए ऑब्‍जरवर रिसर्च फाउंडेशन प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने कहा कि उत्‍तर कोरिया का सबसे बड़ा दुश्‍मन कहीं न कहीं जापान ही है। ऐसा इसलिए भी कहा जा सकता है क्‍योंकि वह हमेशा ही जापान को ही तहस-नहस करने की बात करता आया है। इसके अलावा पिछले दो मिसाइल टेस्‍ट भी जापान के ऊपर से ही किए गए थे। उनका कहना है कि दक्षिण कोरिया को कहीं न कहीं किम अपने करीब पाता है, क्‍योंकि वह उनके अपने ही लोग हैं। इसके अलावा दक्षिण कोरिया के बाबत बात न करना और उस तरफ मिसाइल परीक्षण न करना किम के डर को भी दर्शाता है। डर इसलिए है कि दक्षिण कोरिया में अमेरिकी मिसाइल प्रणाली थाड तैनात है।

आखिर क्‍यों उत्तर कोरिया के मुद्दे पर अमेरिका के खिलाफ खड़ा हुआ जर्मनी 

तो इसलिए डिफेंसिव है ‘जापान’

वहीं दूसरी तरफ यदि जापान की बात करें तो जापान के पास इंटरसेप्‍टर मिसाइल तो है, लेकिन दक्षिण कोरिया के मिसाइल परीक्षण को तबाह कर सके ऐसी तकनीक उसके पास नहीं है। अगर यह तकनीक होती भी तो भी दक्षिण कोरिया की मिसाइल को तबाह करने का गलत अर्थ निकलता और ऐसा होने पर युद्ध छिड़ सकता है। प्रोफेसर पंत ने माना कि मिसाइल परीक्षण करना किसी भी देश का अधिकार है, जिसको रोकना मुश्किल है। वह मानते हैं कि जापान और दक्षिण कोरिया दोनों को ही इस मुद्दे पर अमेरिकी समर्थन हासिल है और सही मायने में दोंनों ही देश अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका की ओर देख रहे हैं। यही वजह है कि जापान काफी समय से उत्‍तर कोरिया के मुद्दे पर डिफेंसिव है। यह उसकी जरूरत भी है और मजबूरी भी है। उसके आक्रामक होने पर युद्ध की राह आसान हो सकती है। वह ऐसा नहीं चाहता है। यहां पर यह बात ध्‍यान में रखने वाली है कि जापान विश्‍व का केवल एकमात्र देश है जिसने एटम बम की महाविनाश लीला को झेला है।

गलत नहीं जापान का डर

उत्‍तर कोरिया से बढ़ते खतरे के मद्देनजर जापान का डर गलत भी नहीं है। इस बात से अमेरिका में भारत की पूर्व राजदूत मीरा शंकर भी इंकार नहीं करती हैं। उनका भी कहना है कि कोई भी देश युद्ध नहीं चाहता है। उनका यह भी कहना है कि प्रतिबंधों और दबाव के सहारे से उत्‍तर कोरिया को बातचीत के लिए राजी किया जा सकता है। चीन के लिए यह इसलिए भी कुछ आसान हो सकता है क्‍योंकि वह उत्‍तर कोरिया का सबसे बड़ा व्‍यापारिक सहयोगी देश है।

जानें, इस बार आखिर कैसे अलग था US प्रेजीडेंट ट्रंप का UNGA में दिया गया भाषण  

निकाले जा रहे राजदूत

उत्‍तर कोरिया के आक्रामक रवैये के चलते कुछ देशों ने अपने यहां से उत्‍तर कोरिया के राजदूत को देश निकाला तक दे दिया है। इसमें मैक्सिको और स्‍पेन का नाम शामिल है। स्‍पेन ने हाल ही में ने उत्तर कोरियाई राजदूत किम ह्योक चोल को सितंबर महीने के अंत तक देश छोड़ कर चले जाने को कहा है। इसके अलावा कुवैत ने भी ऐसा ही कदम उठाते हुए अपने यहां से दूतावास के अधिकारियों की गिनती कम करने का फैसला लिया है। इसके अलावा वहां पर अब किसी भी उत्‍तर कोरिया के नागरिक को वीजा देने से मना कर दिया गया है। वहां पर करीब छह हजार उत्‍तर कोरियाई नागरिक नौकरी करते हैं।

सुसाइड मिशन पर ‘किम’, मिटा दिया जाएगा उत्तर कोरिया का नामोनिशान 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.