पी. चिदंबरम के बयान से इस कदर क्यों भड़की है भारतीय जनता पार्टी
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि स्वायत्तता के जरिए चिदंबरम आतंकवादियों का प्रचार करेंगे और इस दिशा में यह पहला कदम है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। पूर्व केन्द्रीय वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की तरफ से कश्मीर की स्वायत्तता पर दिए बयान ने ऐसा राजनीतिक तूल पकड़ा कि खुद कांग्रेस पार्टी भी किनारा करते हुए दिखाई दे रही है। पी. चिदंबरम के बयान के बाद जहां भारतीय जनता पार्टी उन्हें गद्दार बताकर उन पर कार्रवाई की मांग कर रही है, तो वहीं दूसरी तरफ खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चिदंबरम को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कश्मीर पर पाकिस्तान की भाषा बोल रही है कांग्रेस।
सवाल ये उठता है कि ऐसे वक्त में जब दो अहम राज्य गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है और चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है इस बीच पी. चिंदबरम ने ऐसा बयान क्यों दिया? क्या चिदंबरम के इस बयान से कांग्रेस को किसी तरह का नुकसान पहुंचेगा?
कश्मीर पर क्या बोल गए पी. चिदंबरम
दरअसल, पूर्व केन्द्रीय वित्तमंत्री और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने जम्मू कश्मीर को और अधिक स्वायत्तता देने की वकालत की थी। चिदंबरम ने कहा था कि कश्मीर में आज़ादी मांगने वाले लोग वास्तव में स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा- ‘जम्मू कश्मीर के लोगों से मेरी बातचीत से मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि जब वे आज़ादी की मांग करते हैं तो अधिकांश स्वायत्तता की मांग करते हैं।’
चिदंबरम ने कहा कि कश्मीर घाटी में यही मांग है कि संविधान के अनुच्छेद 370 का सम्मान किया जाए। इसका मतलब ये है कि वे ज्यादा स्वायत्तता चाहते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या वह अब भी यही मानते हैं कि जम्मू एवं कश्मीर को ज्यादा स्वायत्तता दे दी जानी चाहिए? उन्होंने कहा, 'हां।' चिदंबरम ने जुलाई 2016 में भी जम्मू एवं कश्मीर को ज्यादा स्वायत्तता देने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि जिस विचार के तहत कश्मीर को बड़े पैमाने पर स्वायत्तता दी गई थी, उसे बहाल करना चाहिए। यदि यह नहीं किया गया तो देश को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
कश्मीर पर बोलकर पी. चिदंबरम ने किया देशद्रोह का काम
Jagran.com से खास बातचीत में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कश्मीर की स्वायत्तता पर दिए पी. चिदंबरम के बयान को देशद्रोही कदम बताया है। स्वामी ने कहा, “चिदंबरम ने स्वायत्तता पर जो बयान दिया है उस बारे में संविधान के अंदर कोई प्रावधान नहीं है। यह मूलत: जो देश के आदिवासी लोग हैं उनके लिए ऐसा प्रावधान है कि उनकी ज़मीन न खरीदी जाएं, या फिर पेड़-पौधे उखाड़े न जाएं। लेकिन, एक प्रांत के लिए इस तरह की स्वायत्तता देने का कोई प्रावधान संविधान में नहीं है। ऐसे में उन्होंने ऐसा बोलकर देशद्रोही काम किया है।”
चिदंरबम पर कार्रवाई करने पर हो विचार
सुब्रमण्यम स्वामी ने आगे कहा कि स्वायत्तता के जरिए ये आतंकवादियों का प्रचार करेंगे और इस दिशा में चिदंबरम का बयान पहला कदम है। ऐसे में चिदंरबम गद्दार के रूप में देश के सामने उभरकर सामने आए हैं और उनकी कड़ी निंदा करनी चाहिए और चिदंबरम के ऊपर कार्रवाई करने के बारे में भी सरकार को सोचना चाहिए।
कश्मीर पर मोदी सरकार का प्लान विफल करने की कोशिश
जब Jagran.com की तरफ से सुब्रमण्यम स्वामी से यह सवाल किया गया कि चिदंबरम ने ऐसा बयान क्यों दिया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि दरअसल जिस तरह पिछले दिनों मोदी सरकार ने अलगाववादियों पर कार्रवाई की है और उनके उग्रवादी नेता के फॉरेन एक्सचेंज का खुलासा कर सारा विद्रोह दबा दिया। उसके बाद सरकार ने कहा कि हम कश्मीर में सभी पक्षों से बातचीत करने को तैयार हैं, उसे विफल करने के लिए यह बयान दिया गया है। मोदी सरकार ने जो कश्मीर में कामयाबी पायी है और सारे विद्रोह ठंडे पड़ गए हैं, उसे बिगाड़ने के लिए चिदंबरम ने ये हरकत की है।
चिदंबरम का बयान नहीं है देशद्रोही
हालांकि, दूसरी तरफ Jagran.com से खास बातचीत में पूर्व सांसद और वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दिकी ने पी. चिदंबरम के दिए बयान पर मचे हंगामे को फिजूल करार दिया है। सिद्दिकी ने बताया कि कश्मीर का राजनीतिक समाधान तो ढूंढ़ना ही पड़ेगा और वो समाधान देश के संविधान के अनुरूप ही हो सकता है। ऐसे में स्वायत्तता संविधान के अंदर ही आती है, क्योंकि जो कश्मीर को स्वायत्तता मिली हुई है वह उसी के अंतर्गत है वो उसके बाहर नहीं है। ऐसे में स्वायत्तता की बात करने को देशद्रोही कदम बताया जाता है तो यह गलत होगा। क्योंकि, इससे तो सिर्फ संविधान पर ही सवाल उठाया जा रहा है। ऐसे में अलगाववादियों को कमजोर करने की जरूरत है और कश्मीर के लोगों को वो सारे अधिकार देने की जरूरत है जो भारत के सभी नागरिकों के अधिकार है।
हालांकि, सिद्दिकी ने आगे कहा कि जो बात पी. चिंदबरम आज उठा रहे हैं वह उनके मुंह से अच्छी नहीं लग रही है, क्योंकि जो सवाल आज वे उठा रहे हैं उसका जवाब उन्होंने खुद नहीं दिया, जिस वक्त वे भारत के गृहमंत्री थे।