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इस बार दीवाली होगी खास, अयोध्या में दिखेगी त्रेता युग की झलक

आम जगहों की ही तरह अयोध्या में दिवाली मनाई जाती है। लेकिन इस बार की दिवाली खास है। यूपी सरकार ने छोटी दिवाली को भव्य अंदाज में मनाने जा रही है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Tue, 17 Oct 2017 11:40 AM (IST)Updated: Wed, 18 Oct 2017 10:45 AM (IST)
इस बार दीवाली होगी खास, अयोध्या में दिखेगी त्रेता युग की झलक

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। सनातन परंपरा में चार युगों का उल्लेख है,जिनमें सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग शामिल हैं। त्रेता युग में जब असुरों के आतंक से धर्मपरायण लोग त्राहिमाम कर रहे थे उस समय अयोध्या में राजा दशरथ के घर मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने जन्म लिया था। राम ने अपने रणकौशल के जरिए असुर सम्राट रावण का वध किया, जिसके उपलक्ष्य में विजयदशमी मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई। सोने की नगरी लंका में रावण के भाई विभीषण को राजपाट सौंप कर मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपनी धर्मपत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ पुष्पक विमान से अयोध्या पहुंचे। श्रीराम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए और इस तरह से दीपावली की शुरुआत हुई। बेशक, आज हम त्रेतायुग में नहीं है, लेकिन उसकी एक झलक बुधवार को अयोध्या में देखने को मिलेगी, जिसमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ खुद हिस्सा ले रहे हैं। आइए हम आपको ये बताने की कोशिश करेंगे कि अयोध्या में इस बार की दिवाली क्यों खास है।

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यह है परंपरा

दीप पर्व का पहला दीया अयोध्या के रामलला के समक्ष प्रज्‍जवलित करने की परंपरा रही है। त्रेता युग से यह परंपरा चली आई है। दीप प्रज्‍जवलन के लिए ओरछा धाम स्थित कल्पवृक्ष हनुमान मंदिर से दीया और बाती भेजे जाते हैं। इसके बाद दशरथ महल में दीप जलाए जाते हैं। यहां रखे दीपों की बाती से ही हनुमानगढ़ी सहित अन्य मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं। संतों की मानें तो करीब साठ साल पहले ही उन्होंने अयोध्या में भव्य दिवाली देखी थी। मान्यता है कि भगवान राम लंका विजय के बाद अयोध्या की ओर बढ़े। सूचना मिलते ही भरत नंदीग्राम से अयोध्या पहुंचे और लोगों को स्वागत की तैयारियां करने को कहा। घर-घर दीप जलाए गए। दीपावली की यह परंपरा तभी से चली आ रही है। अयोध्या में राम का राज्याभिषेक करने की परंपरा भी रही है।

पुष्पक विमान की तर्ज पर हेलिकॉप्टर

पुष्पक विमान की याद को ताजा करने के लिए हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। फैजाबाद हवाई पट्टी से राम-लक्ष्मण और सीता को लेकर हेलिकाप्टर सीधे अयोध्या के रामकथा पार्क पहुंचेगा, जहां भरत की जगह योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल रामनाइक उनकी अगवानी करेंगे। समय कुछ इस तरह रखा गया है कि 18 अक्टूबर को शाम 4 बजे जैसे ही योगी आदित्यनाथ फैजाबाद हवाई पट्टी पर उतरने के बाद सड़क मार्ग से अयोध्या के रामकथा पार्क पहुंचेंगे। वैसे ही साकेत से निकली शोभा यात्रा की रामलीला झाकियां भी पहुंचेंगी।

राम की पैड़ी पर जलाए जाएंगे 1,71000 दीप

- प्रमुख सचिव धर्माथ विभाग अवनीश अवस्थी ने बताया, छोटी दीपावली पर प्रतीकात्मक रूप से भगवान राम का राज्याभिषेक होगा।

- राम की पैड़ी पर 1 लाख 71 हजार दीप भी जलाए जाएंगे। उन्होंने बताया, इस कार्यक्रम के दौरान नाटक मंचन और धार्मिक गीत-संगीत का आयोजन भी किया जाएगा।

- 14 हजार लीटर सरसों और तिल के तेल का इंतजाम। 

- शोभा यात्रा के दौरान 10 अलग-अलग रथ को सजाया जाएगा। इस भव्य शोभा यात्रा में श्रीराम की पूरी सेना का दृश्य भी दर्शाया जाएगा। साथ ही मुख्य आकर्षण का केंद्र एक रथ में सवार राम, सीता और लक्ष्मण का रथ होगा।

- सआदतगंज इलाके (अयोध्या और फैजाबाद को जोड़ता है) में एक भव्य द्वार बनाया जा रहा है, जिसको 201 क्विंटल फूल और लाइट से सजाया जाएगा।

थाईलैंड और इंडोनेशिया के कलाकार देंगे प्रस्तुति

- राम कथा पार्क पर थाईलैंड और इंडोनेशिया के कलाकार रामलीला का मंचन कर अपनी प्रस्तुति भी देंगे।यह प्रस्तुति 35-35 मिनट की होगी।

- सरयू घाट पर इस मंचन का सीधा प्रसारण एलईडी द्वारा किया जाएगा। साथ ही पूरे अयोध्या के 3 बड़े चौराहे, 7 तिराहों पर लगभग 20-25 छोटी-छोटी एलईडी भी लगाई जाएंगी, जहां आम जनता इसका आनंद उठा सकेगी।

- इस दौरान सीएम योगी और राज्यपाल रामनाईक 108 कन्याओं को भोजन भी कराएंगे।

- पहली बार सरकारी खर्च पर 7 किलोमीटर में बसी अयोध्या की हर सड़क और गली मोहल्ले को लाइटिंग से सजाया जाएगा। 

108 फुट ऊंची भव्य राम की मूर्ति लगाने की योजना

गंगा-जमुनी तहजीब को कायम रखते हुए उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने अयोध्या में भगवान राम की भव्य प्रतिमा लगवाने में सहयोग की पेशकश की है। बोर्ड ने अयोध्या में एशिया की सबसे बड़ी भगवान राम की प्रतिमा लगवाने के उप्र सरकार के निर्णय को सराहनीय बताया। शिया वक्फ बोर्ड ने शुक्रवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी की। इसमें बोर्ड चेयरमैन वसीम रिजवी ने आपसी बातचीत से 2018 में अयोध्या मामले का हल निकलने की उम्मीद जताते हुए कहा कि भगवान राम की भव्य मूर्ति प्रदेश का गौरव बढ़ाएगी। उन्होंने कहा कि अवध के नवाबों की हुकूमत में अयोध्या में स्थित मंदिरों का सम्मान किया गया। नवाब शुजाउद्दौला ने हनुमानगढ़ी मंदिर के लिए वर्ष 1739 से 1754 के मध्य अयोध्या में भूमि दी और निर्माण के लिए फंड भी दिया था।

इसका उल्लेख अवध के इतिहास की किताबों में मौजूद है। बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद की तरह एक मामला नवाब वाजिद अली शाह के समय में भी अयोध्या में हुआ था, जिसकी जांच के लिए नवाब ने एक कमेटी गठित की थी। साथ ही मुजतहिद सैयद मुहम्मद नसीराबादी और फरंगी महल से फतवा लिया था। जिसमें कहा गया था कि विवादित स्थल पर मस्जिद बनाया जाना इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है। चेयरमैन ने कहा कि बोर्ड अयोध्या मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए सक्रिय है। बोर्ड ने इस संबंध में सभी पक्षकारों से बात भी कर ली है। उच्च न्यायालय में बोर्ड अपना पक्ष भी रख चुका है।

अयोध्या से जुड़ी खास जानकारी

अयोध्या में 8 हजार से ज्यादा मंदिर हैं, लेकिन एक तपस्वी जी की छावनी वाली गली में 22 सौ अकेले मंदिर हैं। अयोध्या में एक स्वर्ग द्वार भी है। सरयू किनारे बसी यह जगह स्वर्ग द्वार मोहल्ला कहलाता है। यहीं भूत वाली गली भी है।


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