कभी अंडरवियर कभी शू और अब लैपटॉप बम, जानें कितना तैयार हैं हम
जैसे जैसे तकनीकी तौर पर हम आगे बढ़ रह हैं, उसके खतरे भी सामने आ रहे हैं। अब आतंकी लैपटॉप बम के जरिए दुनिया को दहलाने की कोशिश में जुट चुके हैं।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । दुनिया के सभी मुल्कों में आम तौर पर ये सहमति है कि मौजूदा समय में आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा है। तकनीकी विकास के जरिए जहां आम लोगों के जीवन को और बेहतर बनाने की दिशा में वैश्विक स्तर पर प्रयास जारी हैं, वहीं आतंकी उन्हीं तकनीकों का इस्तेमाल दुनिया को दहलाने में जुटे हुए हैं। आतंकी पहले पारंपरिक तरीके से आम लोगों को शिकार बनाने की कोशिश करते थे। अब आतंकी वो खुद को हाइटेक बनाने में जुट गए हैं। आप सभी लोगों ने लोन वुल्फ अटैक, शू बम, अंडरवियर बम और कैटल बम के बारे में सुना होगा। अब आतंकी लैपटॉप बम के जरिए अपने नापाक मकसद को अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या भारत इस तरह के आतंकी हमलों का सामना करने के लिए तैयार हैं। लेकिन सबसे पहले हम बताते हैं कि लैपटॉप बम क्या है।
लैपटॉप बम का खतरा
आतंकी संगठन अब लैपटॉप बम से दुनिया को दहलाने की साजिश रच रहे हैं। इजरायल के सरकारी हैकरों को आइएस के बम निर्माण दस्ते के कंप्यूटर में सेंधमारी से ये अहम जानकारी मिली है।न्यूयॉर्क टाइम्स का कहना है कि लैपटॉप की बैटरी के आकार का बम बनाने की तैयारी में आइएसआइएस जुटा हुआ है। इसे आसानी से सिस्टम में छिपाया जा सकता है।
लैपटॉप बम एयरपोर्ट समेत दूसरे सार्वजनिक जगहों पर लगी एक्स-रे मशीनों की आंखों में धूल झोंकने में सक्षम है। इसके अलावा आइएस लैपटॉप में बैटरी की जगह रिमोट कंट्रोल से संचालित बम कुछ स तरह से फिट करना चाहता है कि थोड़ी देर में ऑन करके कोई कार्यक्रम चलाने पर उसमें विस्फोट न हो।अमेरिकी गृह विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आइएस और दूसरे आतंकी नई तकनीकों के इस्तेमाल से पश्चिमी देशों को खासतौर पर निशाना बना सकते हैं।
अंडरवियर बम
2009 में अलकायदा के हमलावर ने अंडरवियर में छिपाए बम से एम्सटरडम से डेट्रॉयट जा रहे विमान को उड़ाने की कोशिश की थी।
शू बम
2001 में पेरिस से मियामी जा रहे अमेरिकन एयरलाइंस के विमान में सवार आतंकी ने जूते में रखे बम से यात्रियों पर हमले की कोशिश की थी।
कैटल बम
2015 में बोको हराम की ओर से गाय, ऊंट में छिपाए बम से सुरक्षा एजेंसियों को निशाना बनाने की साजिश का खुलासा हुआ था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसी के मद्देनजर दस खाड़ी और अफ्रीकी देशों से आने वाली उड़ानों में सेलफोन से बड़े आकार के गैजेट लाने पर रोक लगा दी थी।
लोन वुल्फ अटैक
इसके जरिए आतंकी संगठनों से जुड़े हमलावर भीड़भाड़ वाले जगहों को निशाना बनाते हैं। आतंकी संगठनों पर विश्वभर में साझा अभियान के खबरों के बाद आतंकियों ने अपने तौर तरीकों को बदला। अब आतंकी संगठन टॉरगेट देश में स्लीपर सेल के जरिए पूरी जानकारी मुहैया कराते हैं। और आतंकी वारदातों को अंजाम देने की कोशिश करते हैं।
आतंक के चार बड़े चेहरे
आइएसआइएस- इसके पास करीब 31, 500 लड़ाके हैं। दुनिया भर में इस आतंकी संगठन ने करीब 35 हमले किे हैं जिनमें 1400 लोगों की मौत हो गई जबकि 3600 लोग घायल हुए।
तालिबान-एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2010 तक इस आतंकी संगठन में करीब 36 हजार से लेकर 60 हजार लड़ाके थे।
अल कायदा- इस आतंकी संगठन में 19 हजार लड़ाके हो सकते हैं।
बोको हराम- इसका प्रभाव क्षेत्र नाइजीरिया में है। बताया जाता है कि इस संगठन में करीब 9 हजार आतंकी हैं।
भारत पर मंडराता खतरा
इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिकल एंड पीस द्वारा जारी वैश्विक आतंकवाद सूचकांक में आतंकवाद से प्रभावित शीर्ष दस देशों में भारत छठे स्थान पर है। आतंकी घटनाओं में होने वाली मौतों में 1.2 फीसद इजाफे के साथ यह आंकड़ा 416 पहुंच गया है। 2010 के बाद आतंकी हमलों और मौतों की यह सर्वाधिक संख्या है। दुनियाभर में 2014 के दौरान कुल 32,658 लोग मारे गए। अगर हम इन आतंकी हमलों से दुनिया भर में होने वाले नुकसान की करें, तो 2014 में आतंकी घटनाओं के चलते 52.9 अरब डॉलर की चपत दुनिया को लगी, जो पिछले साल के नुकसान 32.9 अर्ब डॉलर से 61 फीसदी अधिक है।
पिछले 15 वर्षों में दुनिया भर में मारे जाने वाले लोगों की संख्या में 15 गुना इजाफा हुआ है। कोई भी आतंकी घटना लम्बे समय के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में अपना व्यापक असर छोड़ती है। तात्कालिक नुकसान के इतर इस दीर्घकालिक प्रभाव के तहत लोगों में अवसाद घर कर जाता है। सामजिक वैमनस्यल बढ़ता है। राजनीतिक असर के रूप में नियम कानून कठोर किए जाने से विभिन्न देशों के बीच रिश्तों पर असर पड़ते हैं।
आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित 11 में से 10 देशों में शरणार्थी और आंतरिक विस्थापन की दर सर्वाधिक है। ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स 2015 के मुताबिक़ साल 2014 में दुनिया में 13,463 आतंकवादी वारदातें हुई। यह पिछले वर्ष से 35 फीसदी अधिक थी। इन दुर्भाग्यपूर्ण हमलों में जो लोग मारे गए, उनमे 78 फीसदी ईराक, नाइजीरिया, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और सीरिया के थे। यह जानकार आश्चर्य होगा की इन शीर्षस्थ बदनसीब देशों के बाद भारत का स्थान आता है, जहां 2014 में 416 लोग मारे गए।
पेरिस 13/11 को लेकर इतना बवाल मचा हुआ है! मुम्बई में भी तो 26/11 हुआ था? तब किसी पश्चमी देश ने हवाई हमलों की बात नही की और न ही पाकिस्तान पर प्रतिबन्ध लगाने की कोशिश की। आज भी दाऊद और हाफिज जैसे आतंकवादी पकिस्तान में खुले आम घूम रहे है।
कितना तैयार है भारत
सुरक्षा विशेषज्ञ भी मानते हैं कि मुंबई हमलों से सबक लेकर देश में काफी कुछ किया गया है। मानेसर के नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स मुख्यालय के अलावा क्षेत्रीय केंद्र चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई में बनाए गए हैं। देश में करीब 21 आतंकवादरोधी स्कूल शुरू किए गए हैं। केंद्र-राज्यों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान बढ़ा है। एनआईए ने आतंकरोधी जांच में अहम भूमिका निभाई है। बहु एजेंसी केंद्र को सुदृढ़ किया गया है। बावजूद इसके आतंक के नए चेहरों व प्रयोगों के आगे इतने इंतजामों को भी सुरक्षा विशेषज्ञ पर्याप्त नहीं मानते।
दुनिया में अब तक हुए 8 बड़े आतंकी हमले
मुंबई में 26/11 हमला
26 नवम्बर 2008 को भारतीय इतिहास में एक काले दिन के रूप में याद किया जाता है। इस दिन मुंबई में एक साथ कई जगह आतंकवादी हमले हुए थे। भारतीय इतिहास में इस हमले को सबसे उग्र हमला माना जाता है। आतंकियों ने ताज होटल, ओबरॉय होटल, नरीमन हाऊस, कामा अस्पताल और सीएसटी समेत कई जगह एक साथ हमला किया था। आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच 60 घंटे से भी ज्यादा समय तक मुठभेड़ चलती रही। इसमें 160 से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई।
अमेरिका में 9/11 हमला
9/11 हमला विश्व इतिहास का सबसे उग्र, बड़ा और भंयकर आतंकवादी हमला माना जाता है। इसमें लगभग 3000 लोग मारे गए और 8900 लोग घायल हो गए थे। 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर अलकायदा द्वारा आत्मघाती हमला किया गया। अलकायदा के आतंकवादियों ने चार यात्री जेट वायुयानों का अपहरण कर लिया।
पेशावर में स्कूल पर हमला
पाकिस्तान के पेशावर शहर में एक सैनिक स्कूल में तालिबान के हमले में 132 बच्चों समेत 140 से ज़्यादा लोग मारे गए थे। तालिबानी आतंकवादियों ने स्कूल की चारदीवारी से अंदर घुसकर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं। अपनी जान बचाने में कामयाब छात्रों ने इस दर्दनाक हमले का मंजर बयां करते हुए कहा था कि आतंकवादी एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाकर बच्चों को गोलियां मारते रहे। बच्चों को निशाना बनाने की इस घटना की दुनियाभर में निंदा हुई थी।
पेरिस में सिलसिलेवार आतंकी हमले
फ्रांस की राजधानी पेरिस में 14 नवंबर को नेशनल स्टेडियम के बाहर एक रेस्टोरेंट और कॉन्सर्ट हॉल में हुई गोलीबारी और धमाकों में 120 से ज्यादा लोग मारे गए। हथियारों से लैस आतंकियों ने 100 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया, जो बैटाक्लां म्यूजिक हॉल में रॉक कॉन्सर्ट देखने गए थे। यह धमाका उस वक्त हुआ जब फ्रांस और जर्मनी के बीच नेशनल स्टेडियम में फुटबॉल मैच चल रहा था।
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