Move to Jagran APP

7 साल बाद राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करेंगे ये 3 जज

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर लंबित केस पर सुप्रीम कोर्ट 11 अगस्त को सुनवाई करेगा।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 05 Aug 2017 04:09 PM (IST)Updated: Tue, 08 Aug 2017 04:33 PM (IST)
7 साल बाद राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करेंगे ये 3 जज
7 साल बाद राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करेंगे ये 3 जज

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई करनेवाले सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्य बेंच के नाम तय कर दिया गया है। तीन सदस्य इस बेंच में जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर शामिल हैं। ग्यारह अगस्त से ये पीठ अयोध्या में राम मंदिर मस्जिद टाइटल विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपनी सुनवाई करेगी। 

loksabha election banner

शुरू से संवेदनशील रहा है अयोध्या का मामला 

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हमेशा से एक विवादित मुद्दा रहा है और राम मंदिर को लेकर ऐतिहासिक काल से विवाद है। अगर इतिहास के पन्नों में झांकें तो पहली बार साल 1853 में हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के बीच इसको लेकर हिंसा हुई थी। यानि, ये बात आज से करीब डेढ़ सौ साल से भी ज्यादा पुरानी है। आज एक बार फिर से राम मंदिर निर्माण सुर्खियों में है और उसकी वजह है सुप्रीम कोर्ट में 11 अगस्त से राम मंदिर बाबरी मस्जिद टाइटल विवाद मामले की सुनवाई।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने यानि 21 जुलाई को ही कहा था कि वे राम मंदिर - बाबरी मस्जिद टाइटल विवाद मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जल्द सुनवाई के बारे में फैसले करेगा। तो आइये आपको बताते हैं राम मंदिर निर्माण आंदोलन चलाने वाली सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने क्या कहा और क्या है बाबरी मस्जिद-राम मंदिर आंदोलन का पूरा इतिहास।

क्या कहना है वकीलों का

अयोध्या के राम मंदिर और मस्जिद टाइटल विवाद मामले में ग्यारह अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में होने जा रही सुनवाई को लेकर Jagran.com से खास बातचीत में बाबरी मस्जिद के मामले में मुख्य मुद्दई मोहम्मद हाशिम अंसारी के बेटे इक़बाल अंसारी के वकील मोहम्मद शमशाद ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तीन सदस्य बेंच के पास सुनवाई को लेकर अचानक तय की गई तारीख अप्रत्याशित है। शमशाद ने कहा कि अभी आगे का कुछ भी नहीं पता है और ना ही कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है।  जबकि, दूसरी तरफ Jagran.com से खास बातचीत में हिन्दू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में सुनवाई को लेकर फैसला किया है उसके बाद अगले कुछ महीनों के अंदर अंतिम फैसला सुना दिया जाएगा।

भाजपा अध्यक्ष ने बताया- कैसे बनेगा राम मंदिर
राम नाम के मुद्दे पर दो सीट से सत्ता के शिखर तक पहुंची भारतीय जनता पार्टी लगातार राम मंदिर बनाने की पैरवी करती रही है। वो चाहे बात चुनाव के वक्त हो या फिर आम रैलियों के दौरान। हाल में जब भाजपा अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश का तीन दिवसीय दौरा किया तो उन्होंने राम मंदिर के मुद्दे पर अपना रुख साफ करते हुए कहा कि ये मुद्दा उनके घोषणा पत्र में है और राम मंदिर जरूर बनेगा।

अमित शाह ने कहा कि राम मंदिर का मुद्दा हमेशा से ही भाजपा के घोषणा पत्र में रहा है, लेकिन उन्होंने हमेशा यह कहा है कि कोर्ट के फैसले या फिर आपसी सहमति के आधार पर ही इस मंदिर का निर्माण किया जाएगा। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जब साल 1992 में विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे को ढहाया गया था, उसके बाद से ही राम मंदिर का मुद्दा भाजपा के घोषणा पत्र में है और उसको लेकर भाजपा के रुख में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं आया है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा- पहले रामभक्त हूं, निकलेगा मंदिर का हल
राम मंदिर निर्माण की चर्चा आज एक बार फिर जोरों पर है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद जब दूसरी बार योगी आदित्यनाथ अयोध्या के दौरे पर गए तो उन्होंने कहा कि वे पहले रामभक्त हैं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सकारात्मक राजनीति से ही राम मंदिर मुद्दे का हल निकलेगा। यूपी के मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या देश की पहचान है और वे बार-बार अयोध्या आते रहेंगे। उन्होंने उम्मीद जतायी कि सकारात्मक राजनीति से ही राम मंदिर समस्या का समाधान निकलेगा। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि थाईलैंड के राजा भगवान राम के वंशजों में से एक हैं और दूसरे देश भी भगवान राम को मानते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भारत का हर बच्चा रामलीला के बारे में जानता है। हर धर्म का व्यक्ति भगवान राम के प्रति अपने प्यार को दर्शाता है।

भाजपा सांसद ने कहा- पहले अयोध्या में राम मंदिर शुरू करेंगे, तब 2019 के चुनाव में जाएंगे
यूपी के उन्नाव जिले से भाजपा सांसद डॉ. सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण देशवासियों की आस्था से जुड़ा एक बड़ा विषय है। साक्षी महाराज ने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी मंदिर निर्माण शुरू करने के बाद ही उतरेगी। भाजपा सांसद ने पत्रकारों से बातचीत में बताया, 'मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने का काम जारी है। मंदिर निर्माण का काम कभी थमा नहीं था। अब सारे बंधन और बाधाओं को दूर करने की कोशिश जारी है। लोकसभा चुनाव से पहले हर हाल में सारी बाधाएं दूर करके ही चुनाव मैदान में जाएंगे।'

क्या है अयोध्या में राम मंदिर विवाद
राम मंदिर के लिए होने वाले आंदोलन के दौरान 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दीवानी मुकदमा भी चला। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अयोध्या टाइटल विवाद में फैसला दिया था। फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था कि विवादित जमीन को 3 बराबर हिस्सों में बांटा जाए। जिस जगह रामलला की मूर्ति है उसे रामलला विराजमान को दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए, जबकि बाकी का एक तिहाई लैंड सुन्नी वक्फ बोर्ड को दी जाए।

इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। अयोध्या की विवादित जमीन पर रामलला विराजमान और हिंदू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। वहीं, दूसरी तरफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अर्जी दाखिल कर दी। इसके बाद इस मामले में कई और पक्षकारों ने याचिकाएं लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई 2011 को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई करने की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में उसके बाद से ये मामला लंबित है।

अयोध्या विवाद : कब-कब क्या हुआ?
1528: अयोध्या में एक ऐसे स्थल पर मस्जिद का निर्माण किया गया, जिसे हिंदू भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं।

1853: इस मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसा हुई।

1859: ब्रिटिश सरकार ने तारों की बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिंदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी।

1885: मामला पहली बार अदालत में पहुंचा। महंत रघुबर दास ने फैजाबाद अदालत में बाबरी मस्जिद से लगे एक राम मंदिर के निर्माण की इजाजत के लिए अपील दायर की।

1949 दिसंबर, 23: कुछ हिंदुओं ने मस्जिद में कथित तौर पर भगवान राम की मूर्ति रख दी। इसके बाद उस स्थान पर हिंदू पूजा करने लगे। मुसलमानों ने नमाज पढ़ना बंद कर दिया।

1950 जनवरी, 16 : गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में एक अपील दायर कर रामलला की पूजा-अर्चना की विशेष इजाजत मांगी।
 
1950 दिसंबर, 5 : महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया।
 
1959 दिसंबर, 17 : निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने को मुकदमा किया।
 
1961 दिसंबर,18 : उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
 
1984: विश्व हिंदू परिषद ने राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने के लिए अभियान शुरू किया। एक समिति का गठन किया गया।

1986 फरवरी, 1: फैजाबाद जिला न्यायाधीश ने विवादित स्थल पर हिदुओं को पूजा की इजाजत दी। ताले दोबारा खोले गए। मुस्लिमों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया।
 
1989 जून: भारतीय जनता पार्टी ने विहिप को औपचारिक समर्थन देना शुरू करके मंदिर आंदोलन को नया जीवन दे दिया।

1989 जुलाई, 1: भगवान रामलला विराजमान नाम से पांचवां मुकदमा दायर किया गया।
 
1989 नवंबर, 9: राजीव गांधी की सरकार ने बाबरी मस्जिद के नजदीक शिलान्यास की इजाजत दी।
 
1990 सितंबर, 25: भाजपा अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथयात्र निकाली।
 
1990 नवंबर: आडवाणी को बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार कर लिया गया। भाजपा ने वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया। सिंह ने बाद में इस्तीफा दे दिया।
 
1992 दिसंबर, 6: हजारों की संख्या में कार सेवकों ने अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचे को गिरा दिया। इसके बाद सांप्रदायिक दंगे हुए। जल्दबाजी में एक अस्थाई राम मंदिर बनाया गया।
 
2002 जनवरी : प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या विभाग शुरू किया। इसका काम विवाद सुलझाने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों से बातचीत करना था।
 
2003 मार्च-अगस्त: इलाहबाद उच्च न्यायालय के निर्देशों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में उत्खनन किया। पुरातत्व सर्वेक्षण ने कहा कि मस्जिद के नीचे मंदिर के अवशेष मिले हैं।
 
2010 सितंबर, 30: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।
यह भी पढ़ें: लालू परिवार, नए घोटाले हर बार: आगे की राह में मुश्किलें और भी हैं!


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.