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सऊदी के शाह का पुत्र प्रेम पड़ा भारी, भतीजे को क्राउन प्रिंस के पद से हटाया

दो साल पहले किंग सलमान जब सऊदी अरब के शाह बने, तभी से उनके बेटे मुहम्मद बिन सलमान का दबदबा बहुत बढ़ गया था।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 22 Jun 2017 04:26 PM (IST)Updated: Thu, 22 Jun 2017 04:58 PM (IST)
सऊदी के शाह का पुत्र प्रेम पड़ा भारी, भतीजे को क्राउन प्रिंस के पद से हटाया
सऊदी के शाह का पुत्र प्रेम पड़ा भारी, भतीजे को क्राउन प्रिंस के पद से हटाया

 नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । हाल के दिनों में खाड़ी देशों में दो बड़ी घटनाओं ने दस्तक दी। मुस्लिम ब्रदरहुड के आरोप में जहां सऊदी अरब समेत 6 देशों ने कतर पर प्रतिबंध लगा दिया, वहीं एक बड़े उलटफेर में सऊदी के शाह सलमान ने अपने भतीजे मुहम्मद बिन नायफ को क्राउन प्रिंस के पद से हटा दिया। नायफ की जगह अपने बेटे मुहम्मद बिन सलमान को क्राउन प्रिंस बना दिया। सऊदी के शाह के इस फैसले का सीधा अर्थ ये है कि मुहम्मद बिन सलमान ही सऊदी अरब के अगले शाह होंगे। सऊदी शाह का ये फैसला इसलिए भी सुर्खियों में है क्योंकि सऊदी राजशाही व्यवस्था के तहत शाह अपने भाई या भतीजा को क्राउन प्रिंस के पद पर नियुक्त करता है। 

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 कौन हैं मुहम्मद बिन सलमान ?

मुहम्मद बिन सलमान का जन्म 31 अगस्त 1985 को जेद्दा में हुआ था। वो शाह सलमान की तीसरी पत्नी के सबसे बडे़ बेटे हैं। उन्होंने किंग सऊद यूनिवर्सिटी से कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की है। मुहम्मद बिन सलमान सऊदी कैबिनेट के लिए काम करने वाले एक आयोग में सलाहकार रह चुके हैं। 15 दिसंबर 2009 को उन्होंने रियाद के गवर्नर रहे अपने पिता का विशेष सलाहकार बन कर राजनीति में प्रवेश किया। अप्रैल 2014 में वह राज्यमंत्री बने। इसके कुछ महीनों के बाद जनवरी 2015 में पिता के शाह बनते ही वह देश के रक्षा मंत्री बन गए। लेकिन मुहम्मद बिन सलमान ऐसे समय क्राउन प्रिंस बने हैं जब उनके सामने आंतरिक और बाहरी चुनौतियां खड़ी हैं।

मुहम्मद बिन नायफ पर क्यों गिरी गाज ?

हाल ही में सऊदी अरब और यूएई के नेतृत्व में कतर को अलग-थलग करने का जो फैसला किया गया उसमें मुहम्मद बिन नायफ की भूमिका नहीं थी। वह बहुत ज्यादा सक्रिय भी नजर नहीं आ रहे थे। 2015 में सलमान के शाह बनने से पहले नए युवराज बहुत ज्यादा चर्चित नहीं थे। शाह सलमान के युवराज रहने के दौरान मुहम्मद उनकी रॉयल कोर्ट के मुखिया थे। शाह बनने के बाद सलमान ने अपने इस छोटे बेटे को एकाएक इतनी ताकत से नवाज दिया कि बहुत सारे लोग खासकर शाही परिवार में ही बहुत सारे लोग हैरान रह गए।

इससे पहले सऊदी में कभी ऐसा नहीं हुआ कि गद्दी के उत्तराधिकारियों की जमात में दूसरे नंबर पर खड़ा शख्स इतना मजबूत हो गया हो। किंग सलमान भी पिछले काफी समय से नायफ को कमजोर कर प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान को मजबूत करने की कोशिश करते दिख रहे थे। उन्होंने क्राउन प्रिंस नायफ के दरबार को भंग कर अपने कोर्ट में शामिल कर लिया जिसके बाद प्रिंस की शक्तियां काफी बढ़ गईं।

सऊदी की आधिकारिक प्रेस एजेंसी द्वारा जारी एक आधिकारिक आदेश में किंग सलमान द्वारा अपने 31 साल बेटे सलमान को उत्तराधिकारी बनाने के फैसले की जानकारी सार्वजनिक की गई। प्रिंस सलमान पहले से ही सऊदी के उप प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री भी हैं। उधर नायफ को आतंरिक मंत्री के उनके पद से भी हटा दिया गया है। पश्चिमी देशों में नायेफ की छवि काफी अच्छी मानी जाती है। अल-कायदा की चुनौती से निपटने के लिए उन्होंने जो प्रयास किए, उनकी पश्चिमी देशों में काफी सराहना हुई थी।

दो साल पहले किंग सलमान जब सऊदी की गद्दी पर बैठे, तभी से उनके बेटे मुहम्मद बिन सलमान का दबदबा बहुत बढ़ गया था। सरकारी फैसलों में उनका काफी हस्तक्षेप था। पिछले कुछ समय में सऊदी ने जितने बड़े फैसले लिए हैं, उनके पीछे प्रिंस सलमान का असर भी देखा जा रहा है। फिर चाहे वह बजट हो, या फिर विदेशी सौदों को रोकना और सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कांट-छांट, प्रिंस का असर हर कहीं देखा जा सकता है। सऊदी की राजशाही के लिहाज से देखें, तो प्रिंस सलमान को उत्तराधिकारी बनाया जाना लीक से हटकर लिया गया फैसला है। आमतौर पर यहां सुल्तान बनने वाला शख्स बहुत बुजुर्ग होता है।

मुहम्मद बिन सलमान से उम्मीद

सऊदी के युवा वर्ग में सलमान को पसंद करने वालों की अच्छी-खासी तादाद है। उन्हें लगता है कि युवा सुल्तान उनकी और देश की समस्याओं को बेहतर तरीके से सुलझा सकेंगे। वहीं उनके नए तौर-तरीकों के कारण उन्हें नापसंद करने वालों की भी संख्या भी काफी है। ऐसे लोगों का मानना है कि सलमान ताकत के भूखे हैं और इतने सारे बदलाव कर सऊदी को अस्थिरता की तरफ ले जा रहे हैं। 

मुहम्मद बिन सलमान के सामने तीन चुनौतियां

2015 में मुहम्मद बिन सलाम ने रक्षा मंत्री के रूप में यमन में शिया हौती विद्रोहियों के खिलाफ सेना भेजी थी। तब से सऊदी सैनिक वहां लड़ रहे हैं। लेकिन इस लड़ाई में सऊदी सरकार को कामयाबी नहीं मिली है। युद्ध की वजह से यमन में उपजे मानवीय संकट के लिए सऊदी अरब पर सवाल भी उठते रहे हैं।

खाड़ी देशों ने जिस तरह से कतर पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया, उसमें मुहम्मद बिन सलाम की अहम भूमिका थी। कतर ने सऊदी सरकार के इस कदम को अपने खिलाफ आर्थिक घेरेबंदी करार दिया था। क्राउन प्रिंस के लिए इस समस्या को सुलझाने की चुनौती है।

सऊदी अरब 2030 तक तेल से अपनी निर्भरता घटाकर और निजी क्षेत्र को विकसित कर अपनी अर्थव्यवस्था को बदलने की कोशिश में जुटा है। मुहम्मद बिन सलाम को इस योजना का आर्किटेक्ट बताया जा रहा है। विजन 2030 के तहत रियाद की सरकारी कंपनी एरामको का करीब पांच फीसद हिस्सा बेचने की भी योजना है। 

जानकार की राय

दैनिक इंकलाब के संपादक शकील हसन शम्सी ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम को दो बिंदुओं पर समझने की जरूरत है।

1. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के दामाद सऊदी के किंग सलमान के बेटे मुहम्मद बिन सलमान के काफी करीब हैं। हाल ही में मुहम्मद बिन सलमान मे अमेरिका का दौरा किया था जिसके बाद ट्रंप के अमेरिकी दौरे की जमीन तैयार हुई थी।

2. इजरायल भी अब कोशिश कर रहा है कि सुन्नी बहुल अरब देशों के साथ रिश्तों में सुधार हो। अरब देश फिलिस्तीन आंदोलन का खुलकर समर्थन करते रहे हैं। फिलिस्तीन और इजरायल के बीच संघर्ष जगजाहिर है। सऊदी के किंग के इस फैसले को उस नजरिए से भी देखा जा सकता है। 

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