40 फीसद तैयार हुआ पीएम मोदी का यह बड़ा सपना, पूरा होने पर बनेगा मिसाल
सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का 40 फीसद हिस्सा तैयार हो चुका है। इस प्रतिमा को टुकड़ों में चीन से भारत लाया जा रहा है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल से खासे प्रभावित हैं। उनकी बातों में बार-बार सरदार पटेल का जिक्र आता है। सरदार पटेल को वह अपना आदर्श भी मानते हैं। खासतौर पर आजादी के बाद भारत को एक सूत्र में पिरोने को लेकर किए गए काम को लेकर पीएम मोदी सरदार पटेल को याद करते हैं। शायद यही कारण है कि उन्होंने सरदार पटेल की भव्य स्मारक और प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' बनाने का निर्णय लिया।
40 फीसद प्रतिमा तैयार
सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' का 40 फीसद हिस्सा तैयार हो चुका है। इस प्रतिमा को टुकड़ों में चीन से भारत लाया जा रहा है। माना जा रहा है कि अगले आठ-दस महीनों में प्रतिमा का सारा हिस्सा भारत (गुजरात) पहुंच जाएगा। इसके बाद प्रतिमा की असेंबलिंग का काम शुरू होगा।
चीन में बन रही है प्रतिमा
नर्मदा नदी में एक द्वीप पर बन रही सरदार पटेल की प्रतिमा विश्व की सर्वोच्च प्रतिमाओं में से एक है। इस 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की कास्टिंग (ढलाई) चीन में हो रही है। अब तक प्रतिमा का कमर से नीचे का हिस्सा ढाला जा चुका है। इनमें दोनों पैर, पंजे आदि शामिल हैं। पानी के जहाज से कुछ हिस्से चीन से गुजरात पहुंच भी चुके हैं। सिर, हाथ, कंधा और अन्य हिस्सों की ढलाई का काम तेजी से चल रहा है।
भारतीय शिल्पकार, भारतीय लोहे से बन रही है प्रतिमा
विख्यात शिल्पकार और प्रतिमा के डिजाइनर राम वी. सुतार का कहना है कि वह नियमित तौर पर चीन जाकर ढलाई की निगरानी कर रहे हैं। उनके अनुसार अगले दस महीनों में ढलाई के बाद प्रतिमा का सारा हिस्सा गुजरात पहुंच जाएगा। इसके बाद गुजरात में सरदार सरोवर डैम के निकट इसकी असेंबलिंग शुरू हो जाएगी। ज्ञात हो कि 'लौहपुरुष' सरदार पटेल की इस प्रतिमा के लिए देशभर से लोहा इकट्ठा किया गया था। उसी लोहे से अब सरदार पटेल की यह भव्य प्रतिमा तैयार हो रही है।
सिर्फ प्रतिमा या स्मारक नहीं और भी बहुत कुछ...
सरदार पटेल का यह भव्य स्मारक और उनकी विशालकाय प्रतिमा न सिर्फ पर्यटकों को भारत की आजादी के आंदोलन की याद दियाएगी, बल्कि सरदार पटेल के जीवन के खास पहलुओं के बारे में भी बताएगी। यहां आकर पर्यटकों को सरदार पटेल की एकता की विचारधारा, देशभक्ति, समावेशी विकास और गुड गवर्नेंस के बारे में समझने का मौका मिलेगा। सरदार पटेल का यह स्मारक देश में बने अन्य स्मारकों की तरह नहीं होगा। बल्कि सामाजिक-आर्थिक विकास का जीता-जागता उदाहरण भी होगा। इसके आसपास कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं, कृषि विकास के लिए रिसर्च सेंटर और जनजातीय विकास के संबंध में कई विकासोन्मुखी पहल भी यहां दिखेंगी।
जिस स्तर का यह स्मारक बन रहा है वह गुजरात के नर्मदा जिले में विकास की रफ्तार को और तेजी देगा। इससे आसपास के लाखों-करोड़ों लोगों को फायदा होगा। यहां पर सरदार पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा ही नहीं बनेगी, बल्कि यह पूरा स्मारक 19700 स्क्वायर मीटर में फैला होगा। यहां 12 किमी के दायरे में तो मानव निर्मित झील ही होगी। यह स्मारक विश्व स्तरीय होगी और यहां कई तरह के कार्यक्रम होंगे।
- भारत के स्वतंत्रता संग्राम के बारे में यहां विस्तार से और बेहतरीन तरीके से बताया जाएगा। यही नहीं स्वतंत्रता संग्राम में सरदार पटेल के योगदान पर खास ध्यान दिया जाएगा।
- मेमोरियल गार्डन भी यहां बनाया जा रहा है।
- एक पुल के जरिए साधु आयलैंड को मुख्य भूमि से जोड़ा जा रहा है।
- मोमोरियल और विजिटर सेंटर भी यहां बनाया जा रहा है।
- पार्किंग और ट्रांसपोर्ट की बेहतर सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
- होटल और कनवेंशन सेंटर बनाए जा रहे हैं।
- भडूच तक नर्मदा नदी के किनारों का विकास।
- सड़क, रेल और टुरिज्म इंफ्रास्ट्रक्टर का विकास।
- ट्राइबल विकास के लिए स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बनाए जा रहे हैं।
- एजुकेशन रिसर्च सेंटर और नॉलेज सिटी का विकास।
- गरुडेश्वर से भड़भूत तक टूरिज्म कॉरिडोर।
- क्लीन टेक्नोलॉजी रिसर्च पार्क और एग्रीकल्टर ट्रेनिंग सेंटर