चीन के जाल में फंसा पाकिस्तान, भारत को आक्रामक होने की जरूरत
चीन और पाकिस्तान की बढ़ती हुई दोस्ती मूलत: भारत के खिलाफ एक संदेश है।चीन को हतोत्साहित करने का आसान तरीका है कि उसी के मैदान पर खेला जाए।
नई दिल्ली[डॉ. गौरीशंकर राजहंस]। चीन और पाकिस्तान की दोस्ती दिन-ब-दिन मजबूत होती जा रही है। पाकिस्तान इस बात को समझ नहीं पा रहा है कि चीन उसे बेवकूफ बनाकर धीरे धीरे उसकी भूमि और उसके संसाधनों को हड़प रहा है। आज की तारीख में चीन और पाकिस्तान दोनों एक दूसरे को ‘ऑल वेदर फ्रेंड्स’ बता रहे हैं या हर परिस्थिति में दोस्ती कायम रखने का दावा कर रहे हैं। वे एक दूसरे को फौलाद की तरह मजबूत भाई कह रहे हैं। चीन कह रहा है कि जैसे मुंह में, होठ और दांत के संबंध हैं उसी तरह चीन और पाकिस्तान के रिश्ते हैं। पाकिस्तान को बेवकूफ बनाने के लिए चीन के नेता कह रहे हैं कि यह दोस्ती हिमालय से भी ऊंची और गहरे से गहरे समुद्र की गहराई से भी गहरी है तथा शहद से भी अधिक मीठी है।
पाकिस्तान और चीनी मदद
पाकिस्तान से दोस्ती मजबूत करने के लिए चीन ने कहा था कि जब तक पाकिस्तान में बुनियादी ढांचा मजबूत नहीं होगा तब तक सही अर्थो में उसका विकास नहीं होगा और वह पड़ोसी देशों से मुकाबला नहीं कर पाएगा। इसके लिए पाकिस्तान के अनुरोध पर चीन ने पाकिस्तान को शुरू में 46 अरब डॉलर का अनुदान और कम ब्याज दर पर ऋण मुहैया कराया था। उसके तुरंत बाद 2015 में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग पाकिस्तान गए थे जहां उनका भव्य तरीके से स्वागत किया गया। इस दौरान शी ने चीन और पाकिस्तान के ‘आर्थिक गलियारे’ (सीपीइसी) का उद्घाटन किया था। उस दौरे में उन्होंने पाकिस्तान को मामूली ब्याज दर पर लंबी अवधि के लिए 62 अरब डॉलर का कर्ज दिया था।
पाक को सस्ते कर्ज के माएने
पाकिस्तान ने बार बार चीन से कहा था कि उसके देश का आर्थिक विकास बाधित इसलिए हो गया है कि उसे बिजली की पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिल रही है। इस कमी को दूर करने के लिए चीन ने सस्ती ब्याज दरों पर यह कर्ज पाकिस्तान को दिया है। चीनी नेताओं ने पाकिस्तानी नेताओं को समझाया है कि केवल बिजली की आपूर्ति ठीक ठाक होने से देश का विकास नहीं होगा। इसके लिए जरूरी है कि पाकिस्तान में सड़कों का जाल बिछाया जाए। रेलों की स्थिति मजबूत की जाए। बड़े बड़े डैम बनाए जाएं और उद्योगों की तरक्की के लिए बड़े बड़े औद्योगिक क्षेत्र बनाए जाएं। कृषि पर भी भरपूर ध्यान दिया जाए। उसकी उन्नति के लिए पाकिस्तानी जनता जी जान से प्रयास करे। अनाज रखने के लिए बड़े बड़े माल गोदाम बनाए जाएं और इसी क्रम में चीन ने पाकिस्तान से समझौता करके ‘गवादर’ में एक बड़ी सी समुद्री बंदरगाह बनाना शुरू किया है।
गवादर के विकास के मतलब
चीन ने पाकिस्तान को समझाया कि गवादर बंदरगाह पूरा होने पर पाकिस्तान, सिंगापुर और हांगकांग से ज्यादा समृद्ध हो जाएगा। यह केवल उसकी आंखों में धूल झोंकने के बराबर था। चीन वास्तव में पाक के जरिये कई पड़ोसी देशों को साधना चाहता है। सच यह है कि चीन ने पाकिस्तान में जो आर्थिक गलियारा बनाया है जिसका मुख्य उद्देश्य हिंद महासागर में प्रवेश पाना है और सच कहा जाए तो यह केवल भारत को घेरने की चीन की साजिश है जिसमें पाकिस्तान उसका अनजाने ही सहयोगी बन गया है। पाकिस्तान यह कहता है कि चीन ने जो आर्थिक गलियारा बनाया है उससे उसकी आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हो जाएगी। चीन ने पाकिस्तान को यह समझाया है कि यद्यपि अमेरिका पाकिस्तान को बीच बीच में आर्थिक सहायता दे रहा है। परन्तु विश्व की बदलती राजनीति में अमेरिका अब भारत के बहुत निकट आ गया है। यह पाकिस्तान के लिए खतरे की बात है। लिहाजा चीन और पाकिस्तान को मिलकर भारत और अमेरिका के गठजोड़ को प्रभावहीन बनाना चाहिए। पाकिस्तान चीन के झांसे में आ गया है और चीन जैसा कहता है वैसा ही वह कर रहा है। आर्थिक गलियारे के बहाने चीन पाकिस्तान के बाजार में बुरी तरह छा गया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार पाकिस्तान में जितने भी आर्थिक परियोजनाएं चल रही हैं उनमें सारा सामान चीन से आता है। चीन एक सूई तक भी पाकिस्तान से नहीं खरीद रहा है।
चीन-पाक दोस्ती, दुनिया की टिकी नजर
चीन और पाकिस्तान की बढ़ती हुई दोस्ती पर सारे संसार की निगाह हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आइएमएफ) ने कहा है कि पाकिस्तान जिस धड़ल्ले से सस्ती दरों पर चीन से भारी कर्ज ले रहा है, भविष्य में उसे चुकाना असंभव हो जाएगा। क्योंकि पाकिस्तान की आतंरिक आर्थिक हालत इतनी खस्ता है कि वह लाख चाहने पर भी यह कर्ज समय पर चीन को नहीं चुका पाएगा। फिर चीन का इतिहास ऐसा रहा है कि जिस जिस देश में वह घुसा है उस उस देश की अर्थव्यवस्था को उसने धीरे धीरे ध्वस्त कर दिया है।चीन और पाकिस्तान का जो आर्थिक गलियारा (सीपीइसी) बन रहा है वह उपद्रवग्रस्त बलोचिस्तान से होकर जाता है। बलोच लोग वर्तमान चीनी शासकों के घोर विरोधी हैं और कोई आश्चर्य नहीं कि वे इस प्रोजेक्ट को बीच में तोड़ फोड़ कर स्वाहा कर दें।
सीपीइसी का पाकिस्तान में विरोध
जिस क्षेत्र में यह आर्थिक गलियारा बन रहा है वहां चीनी महिलाएं अपने देशी लिबास में सड़कों पर घूमती रहती हैं। पाकिस्तान की महिलाएं इस बात का घोर विरोध कर रही हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान एक परंपरावादी देश है जहां महिलाएं और लड़कियां अपने पूरे बदन को ढककर चलती हैं। इसके अतिरिक्त कश्मीर के उस भाग में जिसे पाकिस्तान ने जबरन हड़पा हुआ है, हजारों की संख्या में चीनी सैनिक उग्रवाद का प्रशिक्षण वहां के युवकों को दे रहे हैं जो स्थानीय लोगों को पसंद नहीं है। जगह जगह प्रदर्शन कर उन्होंने इसका विरोध किया है। दरअसल कूटनीतिक और सामरिक मोर्चे पर देखा जाए तो पाकिस्तान और चीन के बीच बनने वाला आर्थिक गलियारा भारत के लिए सही संकेत नहीं कहा जा सकता है। भारत सरकार को इस खतरे को देखते हुए ही भविष्य में किसी भी प्रकार का कदम उठान चाहिए। यह बात तो साफ है कि भारत की अमेरिका से बढ़ती नजदीकी को देखते हुए इसमें कोई संदेह नहीं कि चीन और पाकिस्तान की बढ़ती हुई दोस्ती मूलत: भारत के खिलाफ एक संदेश है। समय आ गया है कि भारत सरकार ही नहीं भारत की जनता भी इस बारे में चौकन्नी रहे। तभी नापाक पड़ोसी का मुकाबला किया जा सकता है।
(लेखक पूर्व सांसद एवं पूर्व राजदूत हैं)
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