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आजादी के 70 साल: 10 बड़े आतंकी हमले, जब जख्मी हुआ भारत का सीना

पिछले 70 सालों के दौरान देश में कई बड़े आतंकी हमले हुए। चलिए जानते हैं देश में हुए 10 बड़े आतंकी हमलों के बारे में...

By Digpal SinghEdited By: Published: Fri, 11 Aug 2017 01:58 PM (IST)Updated: Tue, 15 Aug 2017 12:46 PM (IST)
आजादी के 70 साल: 10 बड़े आतंकी हमले, जब जख्मी हुआ भारत का सीना

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। देश को आजाद हुए 70 साल हो चुके हैं। आजादी के साथ ही भारत को देश के बंटवारे के रूप में जो जख्म मिला था वह रह-रह कर टीस मारता रहता है। भारत के जिस हिस्से को अलग करके पाकिस्तान बनाया गया था, वहीं से भारत को बार-बार जख्म दिए जाते हैं। कभी यह जख्म 1948, 1965, 1972 और 1999 की जंग के रूप में सामने आते हैं तो कभी आतंकवादियों के जरिए नरसंहार करके पाकिस्तान भारत की आत्मा को छलनी करने की कोशिश करता है। हालांकि आमने-सामने के युद्ध में उसे हमेशा ही मुंह की खानी पड़ी है, शायद इसीलिए पाकिस्तान की धरती से बार-बार आतंकवादी भेजकर मासूमों का खून बहाया जाता है। पिछले 70 सालों के दौरान देश में कई बड़े आतंकी हमले हुए। चलिए जानते हैं देश में हुए 10 बड़े आतंकी हमलों के बारे में...

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1. 26/11 मुंबई आतंकी हमला:

देश में हुआ यह अब तक का सबसे बड़ा आतंकी हमला था। 26 नवंबर की रात को शुरू हुआ यह आतंकी हमला 29 नवंबर को अजमल आमिर कसाब के अलावा सभी आतंकियों के खात्मे के साथ समाप्त हुआ। दरअसल 26 नवंबर को 10 आत्मघाती हमलावर मुंबई में हथियारों से लैस होकर घुस गए थे। इसके बाद आतंकवादियों ने नरीमन हाउस, होटल ताज और होटल ओबेराय को कब्जे में लिया था। आतंकियों ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर भी जमकर नरसंहार किया। इस हमले में देसी-विदेशी कुल 166 लोग मारे गए और 293 लोग घायल हुए थे। एकमात्र आतंकी अजमल आमिर कसाब पकड़ा गया, जिसे पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया के बाद फांसी की सजा दी गई।

2. 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट:

12 मार्च 1993 को भारत के इतिहास में ब्लैक फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मुंबई के अलग-अलग हिस्सों में कुल 12 धमाके हुए। इन सिलसिलेवार धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। इन धमाकों के पीछे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और उसकी डी कंपनी का हाथ था। इन इलाकों में हुए धमाके माहिम सेतु के पास मछुवारों की कॉलोनी में, जवेरी बाजार, प्लाजा सिनेमा, सेंचुरी बाजार, काथा बाजार, होटल सी रॉक, सहार एयरपोर्ट टर्मिनल, एयर इंडिया बिल्डिंग, होटल जूहू सेंटूर, वर्ली, मुंबई स्टॉक एक्सचेंज बिल्डिंग।

3. 2002 अक्षरधाम मंदिर पर हमला: 

गुजरात के गांधीनगर में अक्षरधाम मंदिर परिसर में 24 सितंबर 2002 को आतंकवादियों के नापाक कदम पड़े। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के दो आतंकियों ने मंदिर परिसर में घुसकर बेकसूरों का खून बहाया। ऑटोमैटिक हथियारों और हैंड ग्रेनेड से आतंकवादियों ने लोगों पर हमला किया। इसमें 31 लोग मारे गए, जबकि 80 लोग घायल हो गए थे। एनएसजी ने दूसरे दिन दोनों आतंकवादियों को मार गिराया। इस हमले के संबंध में 6 आरोपियों को बाद में गिरफ्तार किया गया, हालांकि बाद में यह सभी आरोपी सुप्रीम कोर्ट से आरोपमुक्त हो गए।

4. 2005 दिल्ली सीरियल बम ब्लास्ट:

दीपावली से ठीक दो दिन पहले 29 अक्टूबर 2005 को दिल्ली में हुए सीरियल बम ब्लास्ट ने राजधानी को दलहा दिया। सरोजनी नगर की व्यस्त मार्केट और पहाड़गंज के मुख्य बाजार में हुए बम धमाकों ने कई लोगों की जान ले ली थी। तीसरा धमाका गोविंदपुरी में एक डीटीसी बस में हुआ। हालांकि बस कंडक्टर ने जब संदिग्ध सामान देखा तो उसने तुरंत बस को खाली करवा लिया, ड्राइवर और कंडक्टर की सूझबूझ से कई लोगों की जान बच गई। तीनों धमाकों में कुल 63 लोगों की मौत हुई, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।

5. 2006 मुंबई ट्रेन धमाके:

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनों में 7 बम धमाके हुए। यह धमाके उस वक्त हुए, जिस समय (शाम 06:24–06:35) लोग दफ्तरों से घरों की ओर लौट रहे थे। इसी वजह से इन धमाकों में मृतकों की संख्या भी 210 तक पहुंच गई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। सभी बम ट्रेनों की फर्स्ट क्लास कोच में प्रेशर कूकर में छिपाकर रखे गए थे। इन धमाकों में इंडियन मुजाहिद्दीन नाम के आंतकवादी संगठन का हाथ था। खार रोड - शांताक्रूज, बांद्रा - खार रोड, जोगेश्वरी, माहिम जंक्शन, मीरा रोड - भयंदर, माटुंगा रोड - माहिम जंक्शन और बोरीवली में यह धमाके हुए थे।


6. 2008 जयपुर धमाके:

राजस्थान की राजधानी और पिंक सिटी नाम से मशहूर जयपुर में 13 मई 2008 को शाम साढ़े सात बजे के आसपास 15 मिनट के अंदर 9 बम धमाके हुए। आतंकियों ने इन धमाकों से पिंक सिटी को लाल करने की साजिश रची और इन धमाकों में 63 लोगों जान चली गई, जबकि 200 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। आतंकवादियों ने कुल 10 बम रखे थे और 10वें बम को फटने से पहले ही बरामद करके डिफ्यूज कर दिया गया। जयपुर में अपनी तरह का यह पहला आतंकी हमला था और इंडियन मुजाहिद्दीन ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली थी। बड़ी चौपाड़, मनक चौक पुलिस स्टेशन क्षेत्र, जोहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपाड़ और कोतवाली इलाके में यह बम साइकिलों पर रखे हुए थे।


7. 2008 असम में धमाके:

असम में 30 अक्टूबर 2008 को विभिन्न इलाकों में कुल 18 धमाके हुए। आतंकियों ने उत्तर पूर्व राज्य को खून से रंगने की बड़ी साजिश रची थी। इन धमाकों में कुल 81 लोगों की मौत हो गई और साढ़े चार सौ से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। धमाके दोपहर के वक्त हुए और गुवाहाटी के आसपास के इलाकों को भी दहलाने की आतंकियों की साजिश थी। धमाके राज्य की राजधानी गुवाहाटी के पान बाजार, फैंसी बाजार और गणेशगुड़ी में हुए। तीन धमाके कोकराझार हुए, जबकि बोंगईगांव और पारपेटा रोड पर भी आतंकियों ने खूनी खेल खेला। गणेशगुड़ी में एक कार में बम रखा गया था और राज्य के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के सरकारी आवास से सिर्फ 100 मीटर की दूरी पर यह धमाका हुआ।

8. 2001 भारतीय संसद पर हमला:

आतंकियों के हौसले इस कदर भी बढ़ गए हैं कि उन्होंने भारत में लोकतंत्र के मंदिर कहे जाने वाले संसद भवन पर हमला कर दिया। 13 दिसबंर 2001 को पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादी एके 47, हैंड ग्रेनेड और पिस्तौलों के साथ संसद भवन के परिसर में घुसने में सफल रहे। हमले के वक्त संसद भवन में करीब 100 राजनेता मौजूद थे। मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने आतंकियों को मार गिराया, लेकिन इस कार्रवाई में 6 पुलिसकर्मी व संसद भवन ने 3 कर्मचारी शहीद हो गए।

9. समझौता एक्सप्रेस विस्फोट:

भारत और पाकिस्तान के नागरिकों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को भी आतंकवादियों ने नहीं बख्शा। हफ्ते में दो दिन चलने वाली यह ट्रेन 18 फरवरी 2007 को ट्रेन दिल्ली से पाकिस्तान में लाहौर की ओर जा रही थी। आतंकवादियों ने ट्रेन के दो डिब्बों में बम रखे थे जो दिल्ली से करीब 80 किमी दूर पानीपत के पास फट गए। इन धमाकों में 68 लोगों की मौत हो गई, जबकि दर्जनों लोग घायल हो गए थे। मृतकों में ज्यादातर पाकिस्तानी नागरिक थे। इन धमाकों के लिए अभिनव भारत संगठन को भी जिम्मेदार ठहराया गया और लश्कर-ए-तैयबा पर भी समझौता एक्सप्रेस धमाके का आरोप है।


10. अजमेर दरगाह धमाका:

मुस्लिमों के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल अजमेर दरगाह को भी आतंकियों ने निशाना बनाया। 11 अक्टूबर 2007 की शाम आतंकवादियों ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के अहाता-ए-नूर के पास जोरदार बम धमाके को अंजाम दिया। इस धमाके में 3 लोगों की मौत हो गई, जबकि 15 अन्य घायल हो गए थे। ब्लास्ट के लिए दरगाह में दो रिमोट बम प्लांट किए गए थे, लेकिन एक ही फटा, जिससे भारी जनहानि नहीं हुई। सुरक्षा की चाकचौबंध व्यवस्था वाली इस दरगाह पर धमाका होना एक बड़ी बात थी। इस धमाके में भी शक की सुई लश्कर-ए-तैयबा की तरफ घूमी। हालांकि बाद में सुनील जोशी, देवेंद्र गुप्ता और भावेश पटेल को एनआईए कोर्ट ने दोषी ठहराया था। 


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