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इस वजह से NASA को टालना पड़ा अपना ये खास मिशन, लेकिन फिर रचेगा इतिहास

नासा जैसी अंतरिक्ष संस्‍था को भी पैसों की तंगी की मार झेलनी पड़ रही है। इस वजह से उसने मंगल पर इंसान को भेजने का इरादा फिलहाल टाल दिया है। लेकिन अब वह चांद पर दोबारा इतिहास लिखेगा।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 26 Jul 2017 10:18 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jul 2017 11:22 AM (IST)
इस वजह से NASA को टालना पड़ा अपना ये खास मिशन, लेकिन फिर रचेगा इतिहास

नई दिल्ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की हमेशा से ही चाहत रही है कि सुदूर ग्रहों पर इंसान के बसने की सही जगह तलाशी जाए। यदि ऐसा कोई ग्रह मिल जाए तो वहां पर इंसान के रहने के लिए बस्तियां बसाई जाएं। इसके लिए वैज्ञानिकों को मंगल से काफी कुछ उम्‍मीद थी। लेकिन अब मंगल पर इंसान का पहुंचना और उस पर बस्तियां बसाना फिलहाल सपना बनता ही दिखाई दे रहा है। दरअसल, नासा ने माना है कि मंगल ग्रह पर 2030 के दशक में इंसान को भेजना फिलहाल संभव नहीं है। इसके पीछे वजह नासा के पास पैसे का अभाव है। पैसे की तंगी से भविष्‍य के स्‍पेस मिशन प्रभावित हो रहे हैं। इसका खुलासा न्‍यूजवीक मैगजीन ने किया है। इसकी एक रिपोर्ट में नासा में स्‍पेस मैन मिशन प्रोग्राम के चीफ विलियम गेरस्‍टेनमैर के हवाले से कहा गया है कि नासा मंगल ग्रह के लिए मानवयुक्त अभियान को बढ़ावा देने का खर्च वहन नहीं कर सकती है। मैगजीन के मुताबिक उन्‍होंने मार्स पर इंसान को पहुंचाने के मिशन के लिए फिलहाल किसी तारीख का कोई उल्‍लेख नहीं किया है। उनके मुताबिक जितना खर्च क्‍यूरोसिटी रोवर के मार्स मिशन पर आया है उससे करीब बीस गुणा खर्च वहां पर मानवयुक्त अभियान पर आएगा।

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2030 के दशक में भेजने का था प्‍लान

यहां ध्‍यान दिलाना जरूरी होगा कि नासा ने मंगल ग्रह पर इंसान को भेजने के लिए 2030 का दशक तय किया था। लेकिन इससे कदम पीछे खींचने के बाद अब नासा ने अपने मून मिशन की घोषणा की है। अब एक बार फिर से नासा चांद पर उतरने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत नासा अपने चार अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजेगा। अगले वर्ष 2019 में इसकी ट्रेनिंग भी शुरू करने का प्‍लान है। फिलहाल नासा ने इसके लिए 2021 का समय निर्धारित किया है। यदि नासा इसको सफलतापूर्वक अंजाम देता है तो यह बड़ा और एतिहासिक कदम माना जाएगा। इससे पहले अपोलो-2 मिशन में बतौर कमांडर रहे नील आर्मस्ट्रांग  ने 20 जुलाई 1969 को चांद की धरती पर पहला कदम रखा था। इस मिशन से पहले वह 16 मार्च 1966 को जेमिनी-8 अभियान के तहत अंतरिक्ष में गए थे।

मार्स मिशन से 100 गुणा अधिक लागत

मिशन मार्स की बात करें तो नासा ने अगस्‍त 2012 में क्‍यूरोसिटी रोवर को एक अनमैन मिशन के तहत वहां भेजा था। इस पूरे मिशन की लागत करीब 2.5 अरब डॉलर आंकी गई थी। वहीं मौजूदा वित्‍त वर्ष में नासा को करीब 19.5 अरब डॉलर का बजट आवंटित किया गया है। पिछली बार की तुलना में यह महज दो फीसद ही अधिक है। गेरस्‍टेनमैर के मुताबिक फिलहाल हमारे पास मंगल ग्रह के लिए सतह प्रणाली उपलब्ध नहीं है। ऐसे में मंगल के दायरे में प्रवेश करना और उस पर उतरना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती है। इस पर मानवयुक्‍त अभियान पर आने वाली लागत की बात करें तो अगले ढाई-तीन दशक में यह 100 अरब डॉलर से लेकर एक लाख करोड़ डॉलर तक हो सकती है।

मिशन मून में इएसए भी देगी साथ

वहीं दूसरी तरफ चांद पर दोबारा इंसान को उतारने के लिए नासा ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी से हाथ मिलाया है। इस मिशन में नासा की मदद को एयरबस जैसी कंपनियां आगे आ रही हैं। इंसान को चांद पर ओरियन यान से भेजा जाएगा जिसका परीक्षण अगले वर्ष 2018 में किया जाएगा। टेस्टिंग के तहत पहले ओरियन को अनमैन मिशन के तहत चांद पर भेजा जाएगा। इसके बाद 2021 में ओरियन चार अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर लेकर जाएगा। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी इस यान का सप्लाई मॉड्यूल तैयार कर रही है। दरअसल अपोलो यान के रिटायर होने के बाद दुनिया में कोई ऐसा यान नहीं है जो इंसान को चांद या मंगल ग्रह पर ले जा सके। नील आर्मस्ट्रांग को भी अपोलो यान से ही चांद पर भेजा गया था।

स्‍पेस लॉन्‍च सिस्‍टम

नासा के ओरियन यान को ‘स्पेस लॉन्च सिस्टम’ नाम के रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। यह रॉकेट ओरियन अंतरिक्ष यान को आसानी से धरती की कक्षा से बाहर ले जाने में सक्षम है। नासा का ओरियन यान चांद पर इंसान को पहुंचाने वाले अपोलो यान का रिकॉर्ड तोड़ेगा। 70 मीट्रिक टन वजनी यह यान अपोलो यान से 30 हजार मील अधिक दूर तक जाएगा। यह कुल दो लाख 75 हजार मील की दूरी तय करेगा। जबकि अपोलो यान दो लाख 45 हजार मील दूर तक गया था। ओरियन यान का मिशन कुल 22 दिनों का होगा। यह मंगल समेत दूसरे छोटे ग्रहों और धूमकेतू पर यात्रियों के ले जाने में भी समर्थ होगा।

दो हिस्सों में तैयार होगा यान

ओरियन यान को नासा के वैज्ञानिक दो हिस्सों में तैयार करेंगे। इन दो हिस्सों को एल्युमिनियम के सात अलग-अलग टुकड़ों से बनाया जाएगा। यान के एक हिस्से में इसका तकनीकी सिस्टम होगा और दूसरे हिस्से में अंतरिक्ष यात्रियों के बैठने की जगह होगी। इस यान में दो से छह यात्रियों के बैठने की व्यवस्था है। इन दोनों हिस्सों को एक टनल के जरिए जोड़ा जाएगा, जिसके माध्यम से अंतरिक्ष यात्री विमान के तकनीकी सिस्टम तक आसानी से पहुंच सकें। इस टनल को इमरजेंसी पैराशूट से लैस किया गया है, ताकि ये किसी भी दुर्घटना की स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकें।


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