लंदन में जलकर खाक हुई 27 मंजिला इमारत, कईयों के मारे जाने की आशंका
लंदन की 27 मंजिला इमारत में आग लगने से पहले स्थानीय लोगों ने तेज धमाके की आवाज सुनी थी। यह धमाका इतना तेज था कि इससे कई इमारतों के शीशे तक टूट गए।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। पहले आतंकी हमला और अब लंदन की 27 मंजिला इमारत में लगी भीषण आग। यह लंदन ही नहीं बल्कि पूरे ब्रिटेन पर मंडरा रहे किसी बुरे साए की तरह ही है। पिछले कुछ महीनों पर नजर डालें तो ब्रिटेन में एक के बाद एक आफत आती रही हैं। पिछले दो माह के अंदर ही ब्रिटेन को दो आतंकी हमलों से दो चार होना पड़ा था। इसके बाद बुधवार की सुबह भी लंदनवासियों के लिए बुरी सौगात ही लेकर आई है। इस इमारत में लगी आग को कई किलोमीटर दूर से देखा जा सकता है। यह इमारत जलकर पूरी तरह से खाक हो चुकी है। इस हादसे में कईयों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। फिलहाल इस हादसे में छह लोगों की मौत की पुष्टि की गई है।
मौके पर 45 गाडि़या और 200 दमकलकर्मी
जिस 27 मंजिला इमारत में भीषण आग लगी है वह व्हाइट सिटी डिस्ट्रिक्ट की लेटिमर रोड पर स्थित है। इसका नाम ग्रेनफेल टावर है। इस आग को बुझाने के लिए करीब 45 से अधिक दमकल की गाड़ियां और 200 से अधिक दमकलकर्मी मौके पर मौजूद हैं। लेकिन अभी तक भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका है। दमकल विभाग के मुताबिक आग दूसरी मंजिल से शुरू होकर 27वीं मंजिल तक पहुंच गई। इस रिहाइशी बिल्डिंग में करीब 120 फ्लैट हैं और कइयों के आग में फंसे होने की आशंका है। यह अाग मंगलवार देर रात करीब एक बजे लगी थी।
स्थानीय लोगों ने सुनी धमाके की आवाज
बीबीसी के मुताबिक कुछ लोगों ने आग लगने से पहले इमारत से तेज धमाके की आवाज सुनी थी, जिससे इमारत के शीशे तक टूट गए थे। इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि जिस तरह से आग की लपटों ने इस इमारत को घेर रखा है, उससे यह कभी भी ध्वस्त हो सकती है। यदि ऐसा हुआ तो लोगों को सुरक्षित बचाना आसान नहीं रहेगा। रेजिडेंट ऑर्गेनाइजेशन ग्रेनफेल एक्शन ग्रुप के मुताबिक इमारत में फायर सेफ्टी के इंतजाम नाकाफी थे। उनका यहां तक आरोप है कि उन्हें केसीटीएमओ की तरफ से फायर सेफ्टी के नाम पर कोई इंस्ट्रक्शन भी नहीं दी गई थीं।
#WATCH: Fire engulfs 27-storey tower block in Latimer Road, west London. 40 fire engines & 200 firefighters at the spot. pic.twitter.com/OeRK7P33g9— ANI (@ANI_news) June 14, 2017
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आग लगने के कारणों नहीं चला है पता
मैट्रोपॉलिटन पुलिस के मुताबिक जिन लोगों को अभी तक इमारत से निकाला गया है उनमें से कई घायल अवस्था में हैं, जिन्हें उपचार के लिए विभिन्न अस्पतालों में भेजा गया है। लंदन के मेयर सादिक खान ने इस आग को भीषण बताते हुए इसको भीषण हादसा करार दिया है। एक प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक स्थानीय लोग भी घायलों की मदद के लिए आगे आए और उन्होंने दमकलकर्मियों के साथ मिलकर कुछ लोगों को इमारत से बाहर भी निकाला है। फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट के सहायक कमिश्नर ने फेसबुक पर जानकारी दी है कि दमकलकर्मी अपने साथ ऑक्सीजन के सिलेंडर लेकर राहत के काम में जुटे हुए हैं। इसके बाद भी हालात बद से बदत्तर होते जा रहे हैं। उनके मुताबिक आग बुझाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। फिलहाल आग लगने की वजह का अभी तक कुछ पता नहीं चला है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक उन्होंने लंदन में इतनी भीषण आग पहले कभी नहीं देखी है। कुछ का कहना था कि लोग इमारत के अंदर से मोबाइल की रोशनी दिखाकर बचाव के लिए इशारा तक कर रहे थे।
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जहरीला धुआं होता है सबसे घातक
दिल्ली फायर सर्विस के डायरेक्टर डॉक्टर जीसी मिश्रा बताते हैं कि इस तरह की आग में सबसे बड़ी परेशानी पूरी एहतियात के साथ लाेगों को बचाने की होती है। उनके मुताबिक इमारतों में होने वाली प्लास्टिक की चीजों का इस्तेमाल दमकलकर्मियों और वहां पर रहने वाले लोगों के लिए सबसे ज्यादा घातक साबित होता। इसकी वजह यह है कि इनके जलने पर जो जहरीला धुआं हवा में फैलता है वह कुछ ही समय में लोगों की जान ले सकता है। लंदन के बहुमंजिला टावर के संदर्भ में पूछे गए सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि इमारत में लगी भीषण आग के लिए उसका डिजाइन भी एक बड़ी वजह बनता है। सेफ्टी के लिहाज से इमारतों में पहले बीच की जगह का इस्तेमाल सीढ़ी या आपात स्थिति में निकासी के लिए किया जाता है, वहीं अब ज्यादातर इमारतों में बाहर की तरफ सीढ़ी के लिए जगह दी जाती है। उनके मुताबिक इस तरह की आग को बुझाने वाले दमकलकर्मी अपने साथ कुछ जरूरी इक्यूपमेंट साथ लेकर जाते हैं लेकिन कई बार धुएं का गुबार इतना होता है कि एक मीटर भी देखना मुश्किल होता है। ऐसे में दमकलकर्मी के लिए लोगों को बचापाना काफी मुश्किल होता है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी देशों में अपने अलग अलग नियम होते हैं जिनका पालन वहां पर इमारतों के निर्माण के दौरान किया जाता है। ब्रिटेन में भी इसको लेकर अपने नियम हैं।
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