Move to Jagran APP

जानें, कैसे समाजवादी चाल से करोड़ों के मालिक बन बैठे लालू यादव एंड संस

चारा घोटाले की आंच झेल रहे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को मनी लांड्रिंग की आंच भी झेलनी पड़ सकती है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Mon, 10 Jul 2017 11:55 AM (IST)Updated: Tue, 11 Jul 2017 09:45 AM (IST)
जानें, कैसे समाजवादी चाल से करोड़ों के मालिक बन बैठे लालू यादव एंड संस
जानें, कैसे समाजवादी चाल से करोड़ों के मालिक बन बैठे लालू यादव एंड संस

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । 1947 से लेकर सत्तर के दशक के मध्य तक राष्ट्रीय राजनीति और प्रदेशों की राजनीति में कांग्रेस का दबदबा रहा। लेकिन उसी दौर में कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ पार्टी के अंदर और बाहर विरोध के सुर भी सुनने को मिलते थे। खासतौर से इंदिरा गांधी के खिलाफ समाजवादी नेताओं ने मोर्चा खोल रखा था। समाजवादी नेताओं ने भारतीय जनमानस को इस कदर झकझोरा कि इंदिरा गांधी उन लोगों को अपने लिए खतरा महसूस करने लगीं, नतीजा ये निकला कि देश को आपातकाल का दौर देखना पड़ा। लेकिन आपातकाल का एक दूसरा पक्ष ये भी रहा कि देश के राजनैतिक धरातल पर नौजवान समाजवादी नेताओं ने दस्तक दी। उस आंदोलन के ही उपज थे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव। क्या समाजवादी नेताओं के पास संपत्ति नहीं होनी चाहिए। क्या उन्हें सुख सुविधा से भरा हुआ जीवन व्यतीत करने का अधिकार नहीं है। ये सवाल हैं, जिनके कई जवाब हो सकते हैं। लेकिन लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार ने जिन तरीकों से संपत्ति अर्जित की वो सवाल करती है कि क्या गैर कानूनी ढंग से संपत्ति अर्जित करने के लिए समाजवाद इजाजत देता है। 

loksabha election banner

जब्त होगी लालू के मॉल की जमीन

रेलवे का होटल लीज पर देकर बदले में जमीन लेने के आरोप में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। सीबीआइ के एफआइआर के बाद इस मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मनी लांड्रिंग का केस दर्ज करने जा रहा है। मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत ईडी मॉल की जमीन के साथ-साथ होटल को भी जब्त कर सकता है।

ईडी इस मामले में मनी लांड्रिंग का केस दर्ज करने का मन बना चुका है। वह सीबीआइ से एफआइआर की प्रति मांग चुका है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मनी लांड्रिंग का यह सटीक केस है। इस मामले में लालू, उनकी पत्नी, बेटे के साथ-साथ चाणक्य होटल के मालिक विनय कोचर ने फायदा उठाया है। कोचर रांची और पुरी के आइआरसीटीसी के दो होटलों की लीज सस्ते में लेने में सफल रहे। वहीं इसके एवज में लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद को 94 करोड़ की जमीन 64 लाख रुपये में मिल गई। इसी जमीन पर तेजस्वी यादव बिहार का सबसे बड़ा मॉल बना रहे थे।

आरोप है कि रेल मंत्री रहते हुए लालू ने चाणक्य होटल के मालिकों के साथ मिलीभगत कर उन्हें रांची और पुरी के आइआरसीटीसी होटलों को सस्ते में लीज पर दे दिया था। इसके एवज में लालू यादव के सहयोगी प्रेमचंद गुप्ता के परिवार की कंपनियों के नाम पर पटना के प्राइम इलाके में तीन एकड़ जमीन ट्रांसफर कर दी गई। 2010 के बाद यह धीरे-धीरे लालू, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव की स्वामित्व वाली कंपनी के अधिकार में आ गई।

इस आधार पर जब्त होगी मॉल की जमीन

मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के अनुसार होटल को लीज पर देना और जमीन लेना दोनों ही अवैध कमाई का हिस्सा है। ईडी को इन्हें जब्त करने का अधिकार है। प्रवर्तन निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जल्द ही इस मामले में मनी लांड्रिंग का केस दर्ज कर लिया जाएगा। शुरुआती सुबूत जुटाने के साथ ही दोनों होटलों और मॉल की जमीन को अस्थायी रूप से जब्त कर लिया जाएगा। अदालत में आरोप सही साबित होने के बाद इन्हें स्थायी रूप से जब्त किया जाएगा।

पहली बार मनी लांड्रिंग का शिकंजा

- लालू यादव पहली बार मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून का सामना करेंगे। चारा घोटाले की जांच के समय मनी लांड्रिंग का कानून था ही नहीं।

- उस समय सीबीआइ ने उनके खिलाफ सिर्फ भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत जांच की थी।

- मनी लांड्रिंग पर कानून 2002 में बना था। उसकी जांच के दायरे में भ्रष्टाचार से की गई काली कमाई को 2010 में लाया गया था।

- झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा पहले राजनेता थे, जिनके खिलाफ मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून के तहत कार्रवाई हुई थी।
 

कायम है नीतीश कुमार की खामोशी

महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद के प्रमुख लालू प्रसाद के घर सीबीआइ छापे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खामोश हैं और यह खामोशी बिहार की राजनीति में हलचल मचाए हुए है। हलचल इस बात की भी है कि मुख्यमंत्री कोई ठोस वक्तव्य दे सकते हैं। सीबीआइ ने जिस मामले में छापेमारी की, उसमें नीतीश कुमार मंत्रिमंडल में शामिल उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी प्रमुख आरोपी हैं। इस लिहाज से नीतीश के स्टैंड का सबको इंतजार है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की खामोशी के कई मायने निकाले जा रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण मामला राज्य के उपमुख्यमंत्री और लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव से जुड़ा है। राजग के दौरान नीतीश की छवि यह रही है कि उन्होंने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी पर किसी भी तरह के मुकदमे के बाद कार्रवाई की। तत्कालीन परिवहन मंत्री आरएन सिंह ऊर्जा विभाग के एक पुराने मामले में आरोपी थे। उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। बाद में न्यायालय से उन्हें क्लीन चिट मिली। तत्कालीन सहकारिता मंत्री रामाधार सिंह का मामला भी सामने है। जीतनराम मांझी को भी मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। अब तेजस्वी को लेकर मुख्यमंत्री के स्टैंड का सबको इंतजार है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार रविवार की दोपहर राजगीर से राजधानी पटना लौट आए। उन्होंने सोमवार तक के अपने सभी कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया है। नीतीश का लोक संवाद कार्यक्रम भी नहीं होगा। मुख्यमंत्री कार्यालय से इस संबंध में जानकारी दी गई है कि अभी वह अस्वस्थ हैं। विगत सोमवार को लोक संवाद कार्यक्रम के बाद ही मुख्यमंत्री वायरल फीवर से ग्रस्त हो गए थे। जिस दिन लालू-राबड़ी के आवास पर सीबीआइ की छापेमारी हुई उस दिन मुख्यमंत्री राजगीर में थे। अगले दो दिनों तक वह वहीं रहे, पर सीबीआइ की छापेमारी पर वह खामोश रहे।

साथ में नीलू रंजन

यह भी पढ़ें: चारा घोटाले से लेकर रेलवे टेंडर तक, जानिए घोटालों की संपूर्ण 'लालू कथा'


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.