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सर्जिकल स्ट्राइक: जमीन पर कमांडो और आसमानी आंख के जरिए आतंकियों का हुआ था सफाया

28-29 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए भारतीय फौज ने ये संदेश दिया कि वो अपने दम पर आतंकियों के खिलाफ अभियान चला सकती है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Fri, 29 Sep 2017 12:25 PM (IST)Updated: Fri, 29 Sep 2017 03:09 PM (IST)
सर्जिकल स्ट्राइक: जमीन पर कमांडो और आसमानी आंख के जरिए आतंकियों का हुआ था सफाया

नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क ]। 18 सितंबर 2016 को उड़ी में सेना मुख्यालय पर आतंकी हमले के बाद देश में जबरदस्त रोष था। देश की सभी दिशाओं और तबके से ये आवाज दिल्ली तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही थी कि अब बात नहीं बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई की जरूरत है। उड़ी हमले के तुरंत बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने कहा कि सरकार जनता की भावना को समझती है और अब सीमापार आतंकी ठिकानों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, हालांकि समय सीमा को लेकर सरकार ने जानकारी नहीं दी थी। उड़ी हमले के करीब 10 दिन बाद आतंकियों को अंदेशा भी नहीं रहा होगा कि उनके खिलाफ भारतीय फौज की तरफ से कार्रवाई की जाएगी। लेकिन 28 सितंबर की रात आतंकियों के लिए काली साबित हुई। भारतीय फौज के स्पेशल कमांडो गुलाम कश्मीर में निश्चित ठिकानों को निशाना बना रहे थे। स्पेशल कमांडो की कार्रवाई में धरती से हजारों किलोमीटर दूर कार्टोसेट भी अपनी अहम भूमिका निभा रहा था। कार्टोसेट के जरिए आतंकियों के ठिकानों के बारे में सटीक जानकारी मिलती रही और आतंकियों को उनके मांद में घुसकर सफाया करने में मदद मिली। 

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कार्टोसेट ने निभाई खास भूमिका

भारतीय सेना द्वारा पीओके में की गयी सर्जिकल स्ट्राइक में पहली बार कार्टोसेट सैटेलाइट द्वारा ली गयी तस्वीरों का प्रयोग किया गया था। इसरो ने कार्टोसेट के जरिए LOC के पार हुए सर्जिकल स्ट्राइक के लिए सैन्य बलों को बेहतरीन क्वालिटी की तस्वीरे प्रदान की थीं। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत अपनी रक्षा के लिए जमीन के साथ-साथ 'आसमान' से भी नजर रख रहा है। सूत्रों का कहना है कार्टोसेट सैन्य बलों को एरिया ऑप इंट्रेस्ट (AOI) आधारित तस्वीरें भी प्रदान कर रहा है। सशस्त्र बलों की मांग के अनुसार तस्वीरों को प्रदान किया जाता है।

आपको बता दें कि पहला कार्टोसेट उपग्रह कार्टोसैट-1 जो श्रीहरिकोटा में नव निर्मित लॉन्च पैड से 5 मई 2005 पर पीएसएलवी-सी6 द्वारा लांच किया गया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इसी साल जून में पीएसएलवी सी34 के ज़रिए एक साथ जिन 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर नया इतिहास रचा था उनमें कार्टोसेट 2 सीरीज़ के सैटेलाइट को भी अंतरिक्ष कक्षा में स्थापित किया गया था, जिसके जरिए ये तस्वीरें मिली थीं।

क्या है कार्टोसेट सैटेलाइट की खूबियां

विशेषज्ञों के अनुसार, इसकी मदद से आसमान से ज़मीन की बेहतरीन क्वालिटी की तस्वीरें ली जा सकती है। यदि भारत के प्रधानमंत्री चाहें तो अपने दफ़्तर में बैठे-बैठे दुनिया के किसी भी कोने की तस्वीरें देख सकते हैं। इस सैटेलाइट के माध्यम से सैन्य और असैन्य हवाईअड्डे पर कितने हवाई जहाज खड़े हैं, इसका भी आसानी से पता लगाया जा सकता है। आने वाले समय में यह आगे भी सीमा सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।

जानकार की राय

सर्जिकल स्ट्राइक बारे में Jagran.Com से खास बातचीत में रक्षा मामलों के जानकार पी के सहगल ने कहा कि भारतीय फौज पेशेवर फौजों में से एक है। पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर में चलाए जा रहे प्रॉक्सी युद्ध की सेना मुंहतोड़ जवाब दे रही है। पिछले साल गुलाम कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए भारतीय फौज ने ये दिखाया कि वो विशेष अभियानों को भी न्यूनतम नुकसान के साथ अंजाम दे सकती है। सेना के जवानों में अदम्य साहस है और तकनीक के बेहतर इस्तेमाल के जरिए न केवल आतंकी संगठनों में डर पैदा किया, बल्कि पाकिस्तानी सेना को ये सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि वो आतंकियों की आड़ में नापाक मंसूबों पर लगाम लगाए। 

क्या हुआ था 28 की रात

उत्तरी कश्मीर के उड़ी में 18 सितंबर को सैन्य शिविर पर आतंकी हमले में 18 जवानों के शहीद होने के ठीक दस दिन बाद अत्याधुनिक हथियारों से लैस भारतीय सेना के कमांडों ने 28 सितंबर की रात को हेलीकॉप्टर से गुलाम कश्मीर में दाखिल होकर आतंकी कैंपों में सर्जिकल स्ट्राइक की। यह कार्रवाई गुलाम कश्मीर के चार क्षेत्रों भिंबर सेक्टर, तत्तापानी सेक्टर, लिपी सेक्टर व कैल सेक्टर में एक साथ हुई। चार घंटे चली इस कार्रवाई में इन सेक्टरों में चल रहे सात आतंकी शिविर तबाह करने के साथ करीब 40 आतंकियों को मार गिराया गया। मिशन को अंजाम देकर सभी कमांडों सुरक्षित भारतीय क्षेत्र में लौट आए। अभियान में शामिल कमांडों की हेलमेट पर लगे विशेष कैमरों व ड्रोन की मदद से पूरे ऑपरेशन को कैद भी किया गया।

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद की बदली तस्वीर

- 2016-17 में सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर में 242 आतंकियों को ढेर कर चुके हैं।

- आतंकी संगठनों में भर्ती के मुकाबले ढेर होने वाले आतंकियों की संख्या बढ़ी है।

- इस सर्जिकल स्ट्राइक से कुछ महीनों पहले ही भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में घुसकर पूर्वोत्तर में सक्रिय आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की थी।

- जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीजीपी एस पी वैद्य ने हाल ही में कहा था कि लश्कर-ए-तैयबा में कमांडर की जगह खाली है।

- लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबू दुजाना और अबू इस्माइल को सुरक्षाबलों ने मार गिराया।

सीमापार आतंकी मौजूद

सीमा पार अभी भी 500 से अधिक आतंकी भारतीय क्षेत्र में दाखिल होने के लिए तैयार हैं। ये आतंकी पुंछ सेक्टर, साब्जियां, कृष्णा घाटी सेक्टर, केरी सेक्टर, बालाकोट, शाहपुर, बीजी सेक्टर, लाम आदि सेक्टरों के पार मौजूद हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद 15 नए आतंकी प्रशिक्षण शिविर गुलाम कश्मीर में काम कर रहे हैं जिनमें अधिकतर लश्कर व हिजबुल के आतंकी हैं। इन शिविरों में इस समय चार हजार के करीब युवा प्रशिक्षण ले रहे हैं। गुलाम कश्मीर के दुल्ली, मश्कर, कोटली, समानी, मश्क, सीनसा, निकेयाल, बरनाला आदि क्षेत्रों में ये कैंप चल रहे हैं।

पाक सेना की पोस्टों में भी ठहरे हैं आतंकी

पाक की खुफिया एजेंसी आइएसआइ व आतंकी संगठनों के आका फिर से आतंकियों को सीमा के करीब ले आए हैं। इन आतंकियों को घुसपैठ के लिए पाक सेना की पोस्टों व बैरकों में रखा जा रहा है। आतंकवादियों का खाना-पीना भी पाक सेना के साथ ही हो रहा है। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाक सेना ने बौखलाहट में विशेष एसएसजी (स्पेशल सर्विस ग्रुप) कमांडो को सीमा पर तैनाती की गई है। 
 


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