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पड़ताल: मनमोहन सरकार के समय ही शुरू हो गई थी NDTV के खिलाफ जांच

दैनिक जागरण ने आयकर विभाग की इस जांच के बारे में जब NDTV के प्रमुख प्रणय रॉय की प्रतिक्रिया जानने के लिए ईमेल भेजा तो उसका कोई जवाब नहीं मिला।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 09 Jun 2017 01:05 PM (IST)Updated: Fri, 09 Jun 2017 07:13 PM (IST)
पड़ताल: मनमोहन सरकार के समय ही शुरू हो गई थी NDTV के खिलाफ जांच
पड़ताल: मनमोहन सरकार के समय ही शुरू हो गई थी NDTV के खिलाफ जांच

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। एनडीटीवी के प्रमोटरों प्रणय रॉय और राधिका रॉय के ठिकानों पर सीबीआइ के छापे को भले ही विपक्षी दल तूल दे रहे हों, लेकिन हकीकत यह है कि एनडीटीवी के खिलाफ जांच की शुरुआत तत्कालीन संप्रग सरकार के कार्यकाल में ही शुरू हुई थी। आयकर विभाग ने एनडीटीवी के विरुद्ध पहला आदेश भी लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले 21 फरवरी 2014 को जारी किया था, उस समय केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम थे। सूत्रों के अनुसार प्रणय रॉय, राधिका रॉय और उनके स्वामित्व वाली कंपनियों के खिलाफ आयकर विभाग तथा प्रवर्तन निदेशालय ने संप्रग सरकार के कार्यकाल में 2011 और 2012 में जांच शुरू की थी। उन पर विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन और कर चोरी का आरोप था।

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NDTV प्रमोटरों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का शिकंजा

आइसीआइसीआइ को 48 करोड़ रुपये का चूना लगाने के मामले में एनडीटीवी के प्रमोटरों के खिलाफ मनी लांड्रिंग का शिकंजा कस सकता है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस पर विचार कर रहा है और उसने सीबीआइ से एफआइआर की प्रति मांगी है। मनी लांडिंग रोकथाम कानून के तहत ईडी को साजिशन की गई काली कमाई को जब्त करने का अधिकार है।

ईडी के एक अधिकारी ने कहा कि आइसीआइसीआइ बैंक के अधिकारियों और एनडीटीवी के प्रमोटरों की मिलीभगत से बैंक को 48 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। साजिश में शामिल अधिकारियों और प्रमोटरों को भी इससे फायदा हुआ। उन्होंने कहा कि बैंक को नुकसान पहुंचाकर धन कमाया गया, उसे जब्त किया जा सकता है। ईडी इस पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि सीबीआइ से एफआइआर की प्रति और अन्य दस्तावेज देने को कहा गया है। दस्तावेजों की जांच करने के बाद ही मनी लांड्रिंग का केस दर्ज करने का फैसला किया जाएगा।

मीडिया का हवाला दे नहीं बच सकते एनडीटीवी प्रमोटर्स: प्रदीप सिंह

प्रणय रॉय, राधिका रॉय और एनडीटीवी के दिल्ली और देहरादून स्थित चार ठिकानों पर पड़े सीबीआई छापे के बाद जिस तरह इसे लगातार मीडिया की स्वायत्ता पर हमला करार दिया जा रहा है उसको लेकर Jagran.com से ख़ास बातचीत करते हुए वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने कहा कि सरकार पर ऐसा आरोप लगाना ठीक नहीं है। प्रदीप सिंह ने बताया कि चूूंकि छापे के वक़्त सरकारी जांच एजेंसी एनडीटीवी हाउस नहीं गई बल्कि अन्य जगहों पर छापे मारे। ऐसे में अगर कहीं मीडिया हाउस के बहाने कुछ गलत एक्टिविटी हो रही है तो उसे इसके चलते छूट नहीं दी जा सकती है। उन्होंने आगे बताया कि इस सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह पूरे मामले को 'लॉजिकल कॉन्क्लूजन' तक पहुंचाए।  

गौरतलब है कि सीबीआइ ने पिछले हफ्ते एनडीटीवी के प्रमोटरों प्रणय रॉय और राधिका रॉय समेत आइसीआइसीआइ बैंक के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। सीबीआइ के अनुसार इस संबंध में एनडीटीवी और आइसीआइसीआइ बैंक के एक निवेशक की शिकायत पर केस दर्ज किया गया है।

5 जून को पड़े थे सीबीआइ छापे
सीबीआइ ने आइसीआइसीआइ बैंक को करोड़ों रुपये का चूना लगाने और कर्ज चुकाने के लिए शेल (मुखौटा) कंपनियों के मार्फत करोड़ों रुपये के काले धन के इस्तेमाल के आरोप में एनडीटीवी के मालिक प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है। जांच एजेंसी ने यह एफआइआर क्वांटम सिक्यूरिटीज के निदेशक और एनडीटीवी के पूर्व कर्मी संजय दत्त की शिकायत के आधार पर दर्ज की है।

सीबीआइ ने सोमवार को प्रणय, राधिका और एनडीटीवी के दिल्ली व देहरादून स्थित चार ठिकानों पर छापे मारे थे। आरोप है कि प्रणय और राधिका ने एनडीटीवी के अधिकांश शेयरों पर कब्जे के लिए एक तीसरी कंपनी को शेयर बेचने का फैसला किया। यह कंपनी भी राधिका रॉय प्रणय रॉय होल्डिंग्स के नाम से उनकी ही थी। चूंकि एनडीटीवी शेयर बाजार में सूचीबद्ध कंपनी है, इसीलिए इसकी जानकारी सेबी और स्टॉक एक्सचेंज को देना जरूरी था। लेकिन यह जानकारी नहीं दी गई। यही नहीं, ये शेयर खरीदने के लिए पहले इंडिया बुल्स से 2007 में 439 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया। बाद में इंडिया बुल्स का कर्ज लौटाने के लिए आइसीआइसीआइ बैंक से 375 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया।

ऋण राशि में से 91 करोड़ रुपये डाइवर्ट करने का आरोप

आरआरपीआर (राधिका रॉय और प्रणय रॉय की कंपनी) ने आइसीआइसीआइ बैंक से जो लोन लिया था, उसमें से 91 करोड़ रुपये डा. प्रणय रॉय और राधिका रॉय को डाइवर्ट किए गए जो लोन एग्रीमेंट के प्रावधानों के विरुद्ध थे। दरअसल आइसीआइसीआइ बैंक ने आरआरपीआर को यह लोन कारपोरेट खर्च के लिए दिया था।

मीडिया को खामोश करने की कोशिश
एनडीटीवी ने अपने मालिकों पर छापे को दुर्भावनापूर्ण और प्रेस की आजादी पर सियासी हमला करार दिया है। चैनल ने एक बयान में कहा, सत्तारूढ़ दल के नेताओं को एनडीटीवी टीम की आजादी और निडरता पच नहीं रही है। सीबीआइ के छापे मीडिया को खामोश करने की एक और कोशिश है।

मात्र 4 रुपये में खरीदा 140 रुपये का शेयर
एनडीटीवी के शेयर की कीमत 140 रुपये थी जबकि उसके प्रमोटरों यानी राधिका रॉय, प्रणय रॉय और उनकी कंपनी ने यह शेयर मात्र 4 रुपये की दर से खरीदा।

नहीं मिली रॉय की प्रतिक्रिया
दैनिक जागरण ने आयकर विभाग की इस जांच के बारे में जब एनडीटीवी के प्रमुख प्रणय रॉय की प्रतिक्रिया जानने के लिए ईमेल भेजा तो उसका कोई जवाब नहीं मिला।

1,100 करोड़ का काला धन सफेद करने का आरोप
आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि एनडीटीवी ने ब्रिटेन, मॉरीशस, नीदरलैंड, स्वीडन और संयुक्त अरब अमीरात में शैल (मुखौटा) कंपनियां बनाकर 1,100 करोड़ रुपये की मनी लांड्रिंग की। एनडीटीवी समूह की नीदरलैंड स्थित शेल कंपनियों में 642 करोड़ रुपये आए और इस पर टैक्स नहीं दिया गया। एनडीटीवी इस मामले को लेकर विवाद समाधान पैनल में गया, लेकिन वहां एनडीटीवी की अपील खारिज हो गई।
 


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