Move to Jagran APP

OBOR के जरिए नहीं चलेगी चीन की दादागीरी, भारत को मिला तोड़

'वन बेल्ट, वन रोड' के जरिए भारत को चीन घेरने की कोशिश कर रहा है। लेकिन टीआइआर का सदस्य बनने के बाद चीन को भारत जवाब देने में सक्षम हो सकता है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 21 Jun 2017 11:23 AM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 08:42 PM (IST)
OBOR के जरिए नहीं चलेगी चीन की दादागीरी, भारत को मिला तोड़

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। अंतरराष्ट्रीय संबंध हमेशा एक जैसे नहीं होते हैं। दुनिया के सभी मुल्क अपनी जरूरतों के मुताबिक रिश्तों की परिभाषा गढ़ते हैं। एक बाजार के तौर पर भारत में चीन अपना भविष्य देखता है। लेकिन 'वन बेल्ट, वन रोड' के जरिए वो भारत को घेरने की कोशिश भी कर रहा है। चीन की इस कोशिश का भारत ने विरोध करते हुए कहा भी है कि भारतीय संप्रभुता के साथ किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है।

loksabha election banner

भारत ने चीन के 'वन बेल्ट वन रोड' (ओबोर) की काट खोज निकाली है। भारत अब ट्रांसपोर्ट इंटरनेशनॉक्स रूटियर्स यानी टीआइआर कन्वेंशन से जुड़ने वाला 71वां देश बन गया है। इसका सदस्य बनने से भारत अब दक्षिण एशिया और इसके बाहर अपना व्यापार बिना किसी रुकावट के बढ़ा सकेगा। साथ ही यह व्यापार का रणनीतिक केंद्र बनकर चीन के प्रभाव को भी रोकने में सक्षम होगा।

ओबोर को भारत ने दी  चुनौती

चीन द्वारा शुरू की गई 'वन बेल्ट, वन रोड' परियोजना सड़क, रेल, जल और वायु मार्ग से 65 देशों को जोड़ेगी। चीन अगले पांच साल में इस परियोजना में 800 अरब डॉलर का निवेश करेगा। ऐसे में टीआइआर का सदस्य बनकर भारत इस इलाके में अपनी पकड़ मजबूत कर चीन का प्रभुत्व रोकेगा।

क्या है टीआइआर ?

टीआइआर माल परिवहन के अंतरराष्ट्रीय मानक हैं। इनका प्रबंधन विश्व सड़क परिवहन संघ के हाथ में है। इसका सदस्य बनने से भारत 70 सदस्य देशों के बीच बिना किसी रुकावट माल की आवाजाही कर सकेगा। रूस, यूरोपीय संघ और मध्य एशियाई देश कन्वेंशन के सदस्य हैं।

यह भी पढ़ें: ये है OBOR का सच, चीन का गुलाम बन जाएगा पाकिस्तान

सीमा पर नहीं होगी जांच

कस्टम नियमों के तहत फिलहाल अन्य देशों में माल भेजने पर उनकी सीमा पर माल की पूरी जांच की जाती है। टीआइआर का सदस्य बनने से सीमा पर केवल सील देखकर माल को सदस्य देशों में ले जाने की अनुमति मिल जाएगी। रास्ते में किसी प्रकार के शुल्क व करों का भुगतान नहीं करना होगा।

उत्तर यूरोप पहुंचना होगा आसान

फिलहाल उत्तर यूरोप और रूस तक पहुंचने के लिए भारत को चीन या फिर यूरोप के अन्य देशों से होकर गुजरना पड़ता है। अब नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के जरिए समुद्री रास्ते से भारत वहां पहुंच सकेगा। साथ ही उन क्षेत्रों में चीन के प्रभुत्व को रोकने में मदद मिलेगी।

यह भी पढ़ें: OBOR पर चीन को भारत का स्पष्ट संदेश, नहीं बनेंगे पिछलग्गू

आइएनएसटीसी को मिलेगा जीवन

इंटरनेशनल नार्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर 7200 किमी लंबा जमीनी और समुद्री रास्ता है। इसे भारत, रूस और ईरान मिलकर बना रहे हैं। इसमें रेल, सड़क और समुद्री मार्ग शामिल है। इसके जरिए समय और लागत में कटौती कर रूस और ईरान, मध्य एशिया, भारत और यूरोप के बीच व्यापार को बढ़ावा दिया जा सकता है। सदस्य बनने से इस परियोजना की रफ्तार बढ़ेगी। चाबहार परियोजना की रुकावटें भी दूर होंगी।

यूरोप के साथ भारत के व्यापारिक रिश्ते

यूरोप के साथ भारत के महत्वपूर्ण व्यापार संबंध रहे हैं। वर्ष 2015-2016 में भारत के सकल व्यापार में यूरोप का योगदान 13.5 फीसदी था, जो चीन (10.8 फीसदी), अमेरिका (9.3 फीसदी), संयुक्त अरब अमीरात (7.7 फीसदी) और सऊदी अरब (4.3 फीसदी) से काफी ज्यादा है। जानकारों का कहना है कि भारत में 1600 से ज्यादा जर्मन कंपनियां और 600 संयुक्त जर्मन उद्यम काम कर रहे हैं, जिनसे पिछले दो वर्षों के दौरान भारत में 2 अरब डॉलर का सीधा विदेशी निवेश हुआ।

यह भी पढ़ें: जानिए, एशिया के सबसे लंबे पुल के बारे में जिससे चीन को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.