बुरहान वानी और सब्जार नहीं बल्कि ये युवक हैं जम्मू-कश्मीर की पहचान
संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में जम्मू-कश्मीर के 14 छात्रों ने कामयाबी हासिल कर अब तक का रिकॉर्ड बनाया है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । जम्मू-कश्मीर की पहचान एके 47 की गूंज नहीं है। घाटी की पहचान गिलानी, यासीन मलिक, बुरहान वानी या सब्जार नहीं हैं। एक तरफ घाटी में कुछ गुमराह युवक पाकिस्तान की सरपरस्ती में झेलम और चिनाब से सिंचित घाटी की धरा को लहूलुहान कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बिलाल और दूसरे छात्र इंसानियत,जम्हूरियत और कश्मीरियत की मिसाल पेश कर रहे हैं। बिलाल मोहिद्दीन और दूसरे छात्रों की कामयाबी झेलम और चिनाब की पुकार है। ये चीड़ के पेड़ों की आवाज है। मुख्यधारा से भटक गए उन युवकों को संदेश है कि बंदूक की गोली से उन उम्मीदों को पूरी करने का हसरत मत पालो जिसका कोई वजूद नहीं है।
जम्मू-कश्मीर को शानदार कामयाबी
संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में ये पहला मौका है जब जम्मू-कश्मीर के 14 छात्रों ने बाजी मारी है जो अब तक का रिकॉर्ड है। उत्तर कश्मीर के लंगेट इलाके के रहने वाले बिलाल मोहिद्दीन टॉप 10 में जगह बनाने में कामयाब रहे। भारतीय वन सेवा के अधिकारी बिलाल फिलहाल लखनऊ में तैनात हैं। 2012 में वो कश्मीर प्रशासनिक सेवा के लिए भी चुने गए थे। 2014 बाद में भारतीय वन सेवा की परीक्षा में भी कामयाबी मिली। अपनी कामयाबी पर उन्होंने बताया कि ये तो तय था कि वो परीक्षा में सफल होंगे लेकिन 10वें स्थान पर आने की उम्मीद नहीं थी। बिलाल ने कहा कि ये उनका चौथा प्रयास था। उन्हें उम्मीद है कि एक सीट जम्मू-कश्मीर के लिए अधिसूचित होने की वजह से उन्हें अपने लोगों का सेवा करने का मौका मिलेगा।
जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के रहने वाले फखरुद्दीन को भी यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी मिली है।उन्होंने कहा ये तो जैसे सपनों को जमीन पर उतरने जैसा है। पेशे से डेंटिस्ट रहे फखरुद्दीन ने बताया कि उन्होंने बिना किसी कोचिंग के ये कामयाबी हासिल की है। श्रीनगर के रामवन की रहने वासी बिस्मा काजी को भी कामयाबी हासिल हुई है। पिछले साल जम्मू-कश्मीर से 12 लोग संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में कामयाब हुए थे।
जानकार की राय
जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी एम एम खजूरिया ने Jagran.com से खास बातचीत में कहा कि पिछले कुछ वर्षों से राज्य के युवाओं का सिविल सेवा में बेहतर प्रदर्शन से आम युवक भी मुख्य धारा की तरफ लौटेंगे। इस कामयाबी से आम कश्मीरियों का अलगाववादियों से मोहभंग होगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर के युवकों को अखिल भारतीय सेवा में जितनी कामयाबी मिलेगी वो राज्य के विकास के लिए बेहतर होगा।
2015 में अतहर को मिली थी ऑल इंडिया में दूसरी रैंकिंग
अनंतनाग के अतहर आमिर राज्य के सबसे युवा आईएएस ऑफिसर बने। अतहर ने 2015 में सिविल सेवा परीक्षा में देश में दूसरा स्थान हासिल किया था। इससे पहले 2014 में भी वह इस परीक्षा में शामिल हुए। लेकिन उस समय आमिर की रैंक 560 थी। कड़े परिश्रम के बाद अतहर को शानदाय कामयाबी मिली और वो यूपीएससी परीक्षा में दूसरा स्थान हासिल करने में कामयाब हुए।
2009 में फैजल थे यूपीएससी टॉपर
फैजल पर पूरे देश के साथ साथ कश्मीर को नाज है। कश्मीर की तस्वीर आतंक से जूझ रही जनता, गुमराह नौजवान की तस्वीर ही सामने उभर कर आती है। लेकिन फैजल की कामयाबी ने कश्मीरी युवकों की एक नई तस्वीर दुनियां के सामने रखी है। कुपवाड़ा के फैजल ने 2009 में IAS परीक्षा में नेशनल टॉप किया था. वह पहले ऐसे कश्मीरी हैं जिन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में नेशनल टॉपर का स्थान हासिल किया।
रुवेदा सलाम पहली कश्मीरी आइएएएस
कुपवाड़ा के एक छोटे से गांव में रहने वाली रुवेदा सलाम ने कश्मीर में होने वाली हिंसा, आतंकवाद, कर्फ्यू आदि सभी मसलों से दूर रहकर अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित किया। किया और इसका नतीजा यह हुआ कि वह पहली कश्मीरी महिला आइएएस अधिकारी बन गईं। रुवेदा साल 2013 में सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाली पहली कश्मीरी महिला बनीं।
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