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नीतीश की शरद को दो टूक: अपना फैसला ले सकते हैं, देखें जागरण फेसबुक चर्चा

महगठबंधन से अलग होकर भाजपा के समर्थन से बिहार में सरकार बनाने के चलते शरद यादव लगातार सार्वजनिक मंच पर नीतीश के खिलाफ बोल रहे हैं

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 11 Aug 2017 07:57 PM (IST)Updated: Sat, 12 Aug 2017 04:34 PM (IST)
नीतीश की शरद को दो टूक: अपना फैसला ले सकते हैं, देखें जागरण फेसबुक चर्चा
नीतीश की शरद को दो टूक: अपना फैसला ले सकते हैं, देखें जागरण फेसबुक चर्चा

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार बगावती रूख़ अपनाने वाले जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव के खिलाफ बोलते हुए कहा कि वो अपना कोई भी फैसला लेने को स्वतंत्र हैं। महगठबंधन से अलग होकर भाजपा के समर्थन से बिहार में सरकार बनाने के चलते शरद यादव लगातार सार्वजनिक मंचों पर नीतीश के खिलाफ बोल रहे हैं और बिहार की जनता के साथ इसे धोखा बता रहे हैं।

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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शरद यादव की नाराजगी बीजेपी के साथ सरकार बनाने से नहीं है बल्कि इसके पीछे कई और कारण भी हैं, जिससे शरद यादव ने बगावती सुर अख्तियार कर लिया है। 
 
1.जदयू की कार्यकारिणी में होने वाला है फेर बदल
 
जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 19 अगस्त को पटना में होनी वाली है और पार्टी की इस बैठक में संगठन में भी बड़ी फेरबदल होने की संभावना है। फिलहाल राष्ट्रीय कार्यकारिणी में कई सदस्य शरद समर्थक बताए जा रहे हैं जिनका पार्टी से पत्ता कटना तय माना जा रहा है। इस बात की आशंका से शरद यादव खुश नहीं हैं और अभी हाल ही में शरद के समर्थक पार्टी के महासचिव अरुण श्रीवास्तव को भी महासचिव पद से हटा दिया गया है।
 
2.केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में जगह
 
आने वाले दिनों में जदयू केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल हो सकती है। ऐसे में शरद यादव मंत्रिमंडल में जगह चाहते हैं लेकिन नीतीश इसके लिए राजी नहीं है और इस संबंध में शरद यादव को दो टूक बता दिया गया है, जिसकी वजह से भी उनकी नाराजगी देखी जा रही है।  नीतीश नहीं चाहते है कि शरद मंत्री बनकर सत्ता का एक और केंद्र उभरे।
 
3.राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से भी हटाया गया
 
राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि पार्टी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद शरद यादव नाराज हैं। फिलहाल नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री के साथ साथ पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर काबिज हैं। इसके साथ अध्यक्ष पद से हटने के बाद कई मुद्दों पर उनसे राय भी नहीं ली जाती है और इस बात से शरद यादव खुश नहीं हैैं।
 
4.बेेटे-दामाद के लिए पद की इच्छा

शरद यादव 70 साल के हो गए है और बतौर सासंद उनकी यह अंतिम पारी हो सकती है। वो चाहते हैं अन्य राजनेताओं की तरह ही राजनीतिक विरासत के तौर पर वो अपने बेटे शांतनु और दामाद राजकमल को स्थापित करें।
 
शरद यादव अपने बेटे को बिहार के मधेपुरा से चुनाव लड़ाना चाहते हैं जबकि उनका दामाद राजकमल हरियाणा की राजनीति में आगे बढ़ना चाहते हैं। शरद के बेेटे शांतनु विदेश से पॉलिटिकल रिलेशन में एक साल का डिप्लोमा कर चुके हैं और ऐसी चर्चा है कि बेटा और दामाद को स्थापित करनेे के लिए शरद आगे बढ़ना चाहते हैं। 


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