Move to Jagran APP

भारत में जन्मे तिब्बतियों को पासपोर्ट का अधिकार: हाई कोर्ट

दिल्‍ली हाई कोर्ट ने भारत में पैदा होने वाले सभी तिब्‍बतियों को भारतीय नागरिक मानने व उन्‍हें पासपोर्ट देने का निर्देश दिया है।

By Monika minalEdited By: Published: Fri, 23 Sep 2016 12:17 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2016 12:28 PM (IST)
भारत में जन्मे तिब्बतियों को पासपोर्ट का अधिकार: हाई कोर्ट
भारत में जन्मे तिब्बतियों को पासपोर्ट का अधिकार: हाई कोर्ट

नई दिल्‍ली (आइएएनएस)। दिल्‍ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि सिटीजनशिप एक्‍ट के तहत 1950 से 1987 के बीच भारत में पैदा होने वाले तिब्‍बतियों की राष्‍ट्रीयता पर सवाल नहीं किया जा सकता है साथ ही सरकार को उन सभी तिब्‍बतियों को पासपोर्ट देने का आदेश दिया कि जो भारतीय नागरिक होने के नियमों पर खरा उतरते हैं। जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा कि उन मामलों में राष्ट्रीयता का सवाल नहीं उठता जहां व्यक्ति सिटीजनशिप एक्‍ट के तहत भारत का नागरिक माना जाता है।

loksabha election banner

तिब्‍बतियों को राहत

इसके पहले गृह मंत्रालय ने कहा था कि यह भारत में रह रहे तिब्‍बतियों द्वारा नागरिकता की अर्जी को विषयानुसार देख रहा है। कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर गृह व विदेशी मंत्रालयों को सभी तिब्‍बतियों के आग्रह पर विचार का निर्देश दिया। भारत में पैदा होने वाले तीन तिब्‍बतियों की याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हो रही थी। इन तीन तिब्‍बतियों- 1970 में पैदा हुए लोबसांग वांगयाल, 1977 में लोबसांड वांगयाल और 1992 में तेनजिन धौदेन को कहा गया कि पासपोर्ट से पहले वे गृहमंत्रालय से नागरिकता प्रमाणपत्र लाएं।

चार हफ्ते में मिले पासपोर्ट

कोर्ट ने कहा कि तीनों याचिकाकर्ता जन्म के अनुसार भारतीय नागरिक हैं इसलिए उन्हें पासपोर्ट देने से मना नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने निर्देश दिया कि सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद इन्हें चार हफ्ते में पासपोर्ट जारी कर दिया जाए। भारतीय नागरिकता अधिनियम के तहत प्रावधान है कि 26 जनवरी 1950 के बाद इंडिया में पैदा हुआ हर शख्स भारतीय नागरिक है। ये कानून 1955 में बनाया गया था, लेकिन बाद में कानून में बदलाव हुआ और कहा गया कि एक जुलाई 1987 तक पैदा हुए शख्स ही भारतीय नागरिक होंगे।

नागरिकता का अधिकार

वांगयाल व धौदेन के वकील गिरीराज सुब्रमण्‍यम ने कहा कि उनके क्‍लाइंट्स को पासपोर्ट के लिए गलत तरीके से मना कर दिया गया था जबकि उनके पास नागरिकता के अन्‍य सबूत जैसे वोटर आइडी कार्ड थे। उन्‍होंने यह भी कहा कि 1987 के बाद पैदा होने वाले लेकिन 2003 से पहले के सभी व्‍यक्‍ति भारतीय नागरिकता के हकदार हैं बशर्ते उनमे माता पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक हों। बता दें कि 2003 में नागरिकता के कानून में संशोधन किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.