आर्बिट में भारतीय अंतरिक्ष संपदा की सुरक्षा यूं करता है इसरो, जानें
अंतरिक्ष में रॉकेट के साथ इतने सारे सैटेलाइट का सफल लांच के बाद भी इसरो को चैन नहीं, वहां आर्बिट में इनकी सुरक्षा के लिए भी एजेंसी को सख्त निगरानी करनी होती है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को श्रीहरिकोटा से एक और उपग्रहों का झ़ुंड अंतरिक्ष में भेजा है। इसके साथ ही अब तक इसरो द्वारा भेजे गए स्पेसक्राफ्ट मिशन की संख्या 90 से अधिक हो गयी। हालांकि अभी ये सब कार्यरत नहीं हैं लेकिन अभी भी अंतरिक्ष में हैं। अंतरिक्ष में सैटेलाइट को भेज देने से ही इसरो का काम समाप्त नहीं होता बल्कि वहां भी इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी इन्हें ही लेनी होती है और इसके लिए कड़ी निगरानी भी की जाती है।
सुरक्षा है शीर्ष प्राथमिकता
इसरो का मुख्य लक्ष्य यही होता है कि कक्ष में प्रवेश करने के बाद सैटेलाइट काम करना शुरू कर दें और वहां अंतरिक्ष के मलबे से उनकी सुरक्षा करना भी एजेंसी की शीर्ष प्राथमिकता होती है। अंतरिक्ष मलबे का अर्थ मानवनिर्मित सामग्रियां हैं जैसे पुराने खराब हो चुके सैटेलाइट्स, रॉकेट के हिस्से, अंतरिक्ष यान के विभिन्न चरणों के लॉन्च के दौरान अलग हुए टुकड़े आदि होता है। ये मलबे वास्तव में खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि इनकी स्पीड 30,000 किमी प्रति घंटा होती है जो स्पेस शटल, सैटेलाइट और स्पेस स्टेशनों को भी क्षति पहुंचा सकती है।
अंतरिक्ष में जमा मलबे से है खतरा
अंतरिक्ष में अपनी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए इसरो कई गतिविधियों में शामिल है। इसके लिए इसरो इंटर एजेंसी स्पेस डेबरिस कमिटी (आइएडीसी) का सदस्य है जो अंतरिक्ष में मानव निर्मित व प्राकृतिक मलबे को कम करने के लिए प्रयासरत रहता है। अहमदाबाद के स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (एसएसी) के डायरेक्टर तपन मिश्रा ने बताया, जब भी स्पेस एजेंसी के किसी सैटेलाइट पर अंतरिक्ष के मलबे के कारण खतरा होता है तब आइएडीसी संबंधित स्पेस एजेंसी को अलर्ट करता है। 2015 से क्रियाशील इसरो का मल्टी ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग रडार मलबे का पता लगा रहा है।
मलबे की कमी में इसरो का प्रयास
स्पेस एजेंसी अधिकाधिक सैटेलाइट लांच कर अंतरिक्ष में जमा हुए मलबे को कम करने का प्रयास कर रहा है। 15 फरवरी को एक बार में 104 सैटेलाइट के सफल लांच के बाद इसरो ने आज 31 सैटेलाइट एक साथ लांच किया है। एसएसी डायरेक्टर ने कहा, ‘अनेक सैटेलाइट के लिए एक रॉकेट का उपयोग कर इसरो अंतरिक्ष में मलबे को कम करने में मदद कर रहा है क्योंकि हर रॉकेट से स्पेस में मलबा जमा होता है।
रॉकेट के मलबा जमा होने की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए तिरुअनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के डायरेक्टर डॉ. के सिवान ने कहा, सैटेलाइट को उसके ऑर्बिट में छोड़ने के बाद रॉकेट का चौथा स्टेज बेकार हो जाता है। चौथे स्टेज में कुछ प्रोपेलेंट होते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं क्योंकि यह फट सकता है और अंतरिक्ष में मलबा जमा हो सकता है। लेकिन हमने इसे फटने से रोकने के लिए एक मेकैनिज्म लगाया है जिससे अपना मिशन पूरा करने के बाद यह स्टेज स्वत: डिएक्टिवेट हो जाएगा।
5 जुलाई 2016 तक यूनाइटेड स्टेट स्ट्रैटजिक कमांड ने आर्बिट में कुल 17,852 आर्टिफिशियल वस्तुओं का पता लगाया था जिसमें 1,419 क्रियाशील सैटेलाइट थे। जुलाई 2013 में 1 सेमी से भी छोटा 170 मिलियन से अधिक मलबा, 1-10 सेमी का करीब 670,000 मलबा, और 29,000 बड़े मलबों का पता चला। रात दिन इसरो अपने स्पेसक्राफ्ट को ट्रैक कर रहा है ताकि अंतरिक्ष के मलबे से उन्हें कोई क्षति न पहुंचे।
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