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मनमोहन सिंह हैं क्या

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। कभी विदेशी मीडिया के दुलारे रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अचानक उनकी नजरों से गिरते जा रहे हैं। पिछले हफ्ते 'टाइम' पत्रिका ने उन पर हमला बोला। अब ब्रिटेन के 'द इंडिपेंडेंट' अखबार ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सत्ता पर सवालिया निशान लगाया है।

By Edited By: Published: Tue, 17 Jul 2012 01:03 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2012 01:12 AM (IST)
मनमोहन सिंह हैं क्या

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। कभी विदेशी मीडिया के दुलारे रहे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अचानक उनकी नजरों से गिरते जा रहे हैं। पिछले हफ्ते 'टाइम' पत्रिका ने उन पर हमला बोला। अब ब्रिटेन के 'द इंडिपेंडेंट' अखबार ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सत्ता पर सवालिया निशान लगाया है। अमेरिकी पत्रिका ने तो प्रधानमंत्री को 'ओवररेटेड' अर्थशास्त्री और 'अंडररेटेड' राजनेता कहा था, लेकिन द इंडिपेंडेंट ने तो सारी हदें पार कर दीं और उनके लिए अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल किया। बाद में अखबार के ऑनलाइन संस्करण ने शीर्षक को काफी हद तक संयमित कर दिया, लेकिन तब तक पहले वाली सुर्खियां संक्रमण की तरह फैल चुकी थी।

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द इंडिपेंडेंट प्रधानमंत्री के बारे में काफी दुविधा में नजर आया। अखबार के ऑनलाइन संस्करण में सुबह खबर का शीर्षक था, 'मनमोहन सिंह: भारत के उद्धारक या सोनिया के गोद के कुत्तो ?'। कुछ घंटे बाद शीर्षक में 'सोनिया के गोद के कुत्तो' को बदलकर 'सोनिया की कठपुतली' कर दिया गया। कुछ मिनट बाद पहले वाला शीर्षक चलने लगा। आखिरकार 12 बजकर 10 मिनट पर शीर्षक लगाया गया, 'मनमोहन सिंह: उद्धारक या उम्मीद से कमतर'।

प्रधानमंत्री पर लिखी गई खबर की सुर्खी ही नहीं बल्कि मजमून भी हमलावर अंदाज बयान कर रहा है। अखबार लिखता है, 'प्रेक्षकों के अनुसार सिंह की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पास वास्तविक राजनीतिक सत्ता नहीं है। उन्हें सारी ताकत सोनिया से मिली है..इसका नतीजा यह हुआ कि कई बार अपने मंत्रिमंडल पर भी उनका वश नहीं चलता है..उनकी पार्टी कांग्रेस के अंदर से ही कई बार अप्रत्यक्ष रूप से उन्हें अपने संभावित उत्ताराधिकारी राहुल गांधी के लिए कुर्सी छोड़ने को भी कहा जा चुका है।'

अखबार का मानना है कि मनमोहन सिंह 'एक ऐसे शख्स है जिनकी प्रतिष्ठा पर न मिटने वाला दाग लगने का खतरा है।..हो सकता है कि प्रशासन की तमाम खामियों को बेवजह प्रधानमंत्री पर थोपा जा रहा हो, लेकिन वह इतिहास में अपना नाम सुरक्षित रखना चाहते हैं तो उन्हें कुछ न कुछ करना ही होगा।'

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