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ISIS ने ली पेरिस हमले की जिम्मेदारी, जानिए क्या है ISIS

इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ईराक़ एक तकफिरी इस्लामी संगठन था। इसका उद्देश्य इराक के सुन्नी बहुमत क्षेत्रों में एक इस्लामी राज्य की स्थापना करना था। इसकी स्थापना 15 अक्टूबर 2006 को इराक के कुछ विद्रोही संगठनों के विलयन से हुई थी। अप्रैल 2013 में यह इराक एवं शाम का इस्लामी राज्य (आईएसआईएस,आतंकवादी

By Test1 Test1Edited By: Published: Sat, 14 Nov 2015 09:16 AM (IST)Updated: Sat, 14 Nov 2015 10:07 AM (IST)

नई दिल्ली। फ्रांस की राजधानी पेरिस आतंकी हमलों से दहला गया। पेरिस में बीती रात छह सिलसिलेवार आतंकी हमले हुए, जिसमें करीब 158 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा घायल हैं। इसके अलावा 80 लोगों की हालत गंभीर बनी हुई है। उधर आतंकी संगठन आइएसआइएस ने हमले की जिम्मेदारी ली है।

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क्या है ISIS

इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ईराक़ एक तकफिरी इस्लामी संगठन था। इसका उद्देश्य इराक के सुन्नी बहुमत क्षेत्रों में एक इस्लामी राज्य की स्थापना करना था। इसकी स्थापना 15 अक्टूबर 2006 को इराक के कुछ विद्रोही संगठनों के विलयन से हुई थी।

अप्रैल 2013 में यह इराक एवं शाम का इस्लामी राज्य (आईएसआईएस, आईएसआईएल, आईएस) में तब्दील हो गया। फिलहाल लोग इसे आईएसआईएस अभी भी सक्रिय है। और लोग इसे इसी नाम से जानते हैं।


आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट आफ़ इराक़ एंड लिवेंट आईएसआईएल, या आईएसआईएस या दाइश का गठन अप्रैल वर्ष 2013 में हुआ और अपने गठन के आरंभ में ही यह कहा जाने लगा कि यह अक्तूबर वर्ष 2006 में गठित होने वाली अलक़ायदा की शाखा “दौलतुल इराक़ अलइस्लामिया” और सीरिया में सक्रिय सशस्त्र तकफ़ीरी गुट नुस्रा फ़्रंट को मिलाकर बनाया गया एक संगठन है। दौलतुल इराक़ अलइस्लामिया के सरग़ना अबू बक्र अलबग़दादी की ओर से होने वाली विलय की घोषणा का नुस्रा फ़्रंट ने तुरंत इन्कार कर दिया।

इसके दो महीने बाद अलक़ायदा के सरग़ना अयमन अज़्ज़वाहिरी के आदेश पर इस विलय को समाप्त कर दिया गया किन्तु तब तक अबू बक्र बग़दादी विलय की प्रक्रिया को पूरा कर चुका था और इराक़ और सीरिया में आतंक फैलाने वाला और लोगों का जनसंहार करने वाला सबसे बड़ा संगठन आईएसआईएल दाइश अस्तित्व में आ चुका था।

आईएसआईएल का इतिहास
आईएसआईएल या दाइश, इस्लामिक स्टेट आफ़ इराक़ एंड लिवेंट का संक्षेप है जबकि इराक़ और सीरिया में जिन क्षेत्रों पर इनका नियंत्रण है वहां के स्थानीय लोग इशारों में संगठन को “दौलत” अर्थात सरकार कहते हैं। यह सशस्त्र तकफ़ीरी सलफ़ी और जेहादी संगठन है जिसका घोषित उद्देश्य इस्लामी शासन व्यवस्था और इस्लामी क़ानून को लागू करना है।

इस आतंकवादी संगठन के गठन, इसके अस्तित्व में आने, इसकी गतिविधियों, लक्ष्यों और कौन से देशों से इसके संपर्क है, इस बारे में विरोधाभासी बातें बयान की जाती हैं। इस विषय पर चर्चा और टीका टिप्पणी, इस संगठन के गठन से लेकर आज तक जारी है। चर्चा और टीका टिप्पणी इतनी अधिक हो गयी कि इस चरमपंथी संगठन की सही पहचान, इसके लक्ष्य और उद्देश्य भुला दिये गये हैं।

कुछ लोगों का कहना है कि यह सीरिया में अलक़ायदा की एक शाखा है जबकि दूसरों का कहना है कि यह एक स्वतंत्र संगठन है जो इस्लामी सरकार के गठन का प्रयास कर रहा है, तीसरे गुट का कहना है कि सीरिया सरकार के विरोधियों को विभाजित करने के लिए सीरिया की सरकार ने इस संगठन का गठन किया, इधर उधर, यहां वहां के बीच मन में यह प्रश्न उठता है कि आईएसआईएल क्या है?

इराक़ में आईएसआईएल के सिद्धांत और गठन का लक्ष्य
हालांकि यह संगठन सीरिया में अस्तित्व में आया किन्तु यह कोई नया संगठन नहीं है बल्कि क्षेत्र विशेषकर सीरिया में संघर्षरत सभी सशस्त्र गुटों से सबसे पुराना संगठन है। इस संगठन के गठन का इतिहास वर्ष 2004 की ओर पलटता है जब ख़ूंख़ार आतंकवादी अबू मुस्सअब ज़रक़ावी ने जमातुत्तवहीद व अलजेहाद नामक संगठन का गठन किया और ओसामा बिन लादेन के नेतृत्व में आतंकवादी संगठन अलक़ायदा के आज्ञापालन का प्रण लिया और इस प्रकार से वह क्षेत्र में अलक़ायदा का प्रतिनिधि हो गया। इस संगठन ने इराक़ पर अमरीकी सैन्य चढ़ाई के बाद से अपनी गतिविधियां आरंभ की।

इस संगठन ने अमरीकी सैनिकों के विरुद्ध जेहाद की घोषणा कर दी और यही कारण था कि देश के कोने कोने से युवा अमरीकी सैनिकों के विरुद्ध लड़ने के लिए इस संगठन से जुड़ते रहे और बहुत तेज़ी से इस संगठन ने इराक़ी युवाओं में पैठ बना लिया और इसके परिणाम स्वरूप यह इराक़ का सबसे शक्तिशाली छापामार गुट बन गया।


वर्ष 2006 में अबू मुस्सअब ज़रक़ावी ने एक वीडियो संदेश में अब्दुल्लाह रशीद अलबग़दादी के नेतृत्व में मुजाहेदीन परिषद का गठन किया। इसी महीने ज़रक़ावी मारा गया और उसके बाद अबू हमज़ा अल मुहाजिर को इराक़ में अलक़ायदा का मुखिया बना दिया गया।

2006 के अंत तक विभिन्न संगठनों को मिलाकर एक संगठन बनाया गया जिसका लक्ष्य उसके नाम से साफ़ तौर पर स्पष्ट होता है, दौलतुल इस्लामिया फ़िल इराक़ वश्शाम। अर्थात इराक़ और सीरिया में इस्लामी संगठन । इस संगठन का मुखिया अबू उमर अबग़दादी था।

आईएसआईएल का मुखिया अबू बक्र अलबग़दादी कौन है?
19 अप्रैल वर्ष 2010 में, अमरीकी सैनिकों ने सरसार क्षेत्र में एक घर पर हमला किया जिसमें अबू उमर अलबग़दादी और अबू हमज़ा अल मुहाजिर मौजूद थे। हमले के बाद दोनों ओर से ज़बरदस्त फ़ायरिंग होने लगी जिसके बाद अमरीकी सैनिकों ने हेलीकाप्टर की मदद ली और अमरीकी सैन्य हेलीकाप्टर ने उस घर पर भीषण बमबारी कर दी जिसमें दोनों मारे गये। एक सप्ताह के बाद संगठन ने इन्टरनेट पर एक बयान जारी करके अपने दोनों सरग़नाओं के मारे जाने की पुष्टि की । इस घटना के दस दिन के बाद मुजाहेदीन परिषद की बैठक बुलाई गयी ताकि अबू बक्र अलबग़दादी को संगठन का मुखिया चुना जाए। अब प्रश्न यह उठता है कि इस संगठन का मुखिया अबू बक्र बग़दादी कौन है।

अबू बक्र अल बग़दादी का जन्म इराक़ के सामर्रा नगर में वर्ष 1971 में हुआ था। संगठन की ओर उसे कई नामों से पुकारा जाता था जैसे अली बदरी सामर्राई, अबू दुआ, डाक्टर इब्राहीम, अल कर्रार और अबू बक्र अलबग़दादी। उसने बग़दाद विश्वविद्यालय से इस्लामी विषय से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और फिर अपनी शिक्षा जारी रखते हुए पीएचडी करने के बाद धर्म प्रचारक और शिक्षक बन गया।

उसका जन्म सलफ़ी तकफ़ीरी आस्था रखने वाले परिवार में हुआ और उसके पिता अलबू बदरी क़बीले के गणमान्य लोगों में थे। इसी प्रकार उसके चाचा, तकफ़ीरी विचारधारा के प्रचारकों में थे।

अबू बक्र बग़दादी ने धर्म के प्रचार और प्रशिक्षण से अपना काम आरंभ किया किन्तु वह जेहादी विचारधारा की ओर अधिक झुकाव रखता था। इस प्रकार से वह इराक़ के दियाला और सामर्रा में जेहादी पृष्ठिभूमि के केन्द्रों में से एक केन्द्र में परिवर्तित हो गया। उसने सबसे पहले अपनी गतिविधियां इमाम अहमद बिन हंबल नामक मस्जिद से आरंभ की और क्षेत्र के कुछ युवाओं को मिलाकर एक सशस्त्र गुट बनाया और उसके बाद उसके गुट ने कई आतंकवादी कार्यवाहियां अंजाम दीं।

उसके बाद अबू बक्र बग़दादी ने जैशे अहले सुन्नत व अल जमाअत नामक संगठन का गठन किया जिसने इराक़ के बग़दाद, सामर्रा और दियाला में कई आतंकवादी कार्यवाहियां अंजाम दी। उसके बाद उसने अपने संगठन को मुजाहिद परिषद में विलय कर दिया और उसके बाद एक शरिया अदालत की स्थापना की और दौलतुल इराक़ अल इस्लामिया नामक संगठन के गठन तक उसका सदस्य बना रहा।

धीरे धीरे अबू बक्र अल बग़दादी, अबू उमर अल बग़दादी से निकट होता गया और मामला यहां तक पहुंच गया कि अबू उमर अल बग़दादी ने अपनी मौत से पहले यह वसीयत की कि उसकी मौत के बाद अबू बक्र अलबग़दादी उसका उतराधिकारी होगा। 16 मार्च वर्ष 2010 को अबू बक्र अलबग़दादी को दौलतुल इस्लामिया फ़िल इराक़ का मुखिया बना दिया गया।

इस संगठन ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में कई आतंकवादी कार्यवाहियां और हज़ारों निर्दोष लोगों का जनसंहार किया। इस संगठन ने अलक़ायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन की मौत का बदला लेने के लिए कई आतंकवादी कार्यवाहियां अंजाम दी जिसमें सैकड़ों पुलिसकर्मी, सुरक्षा कर्मी और नागरिक मारे गये हैं। आंकड़ों के अनुसार इस गुट ने ओसामा की मौत का बदला लेने के लिए सौ से अधिक कार्यवाहियां अंजाम दी हैं जिसमें इराक़ के सेन्ट्रल बैंक, न्याय मंत्रालय और अबू ग़ुरैब जेल और कूत की जेल पर हमले का उल्लेख किया जा सकता है।

कहां से आता है आईसिस को पैसा

आईएसआईएस (आईसिस) के नाम में ही उसका मकसद छुपा है। उसका नाम है इराक और सीरिया में इस्लामी राज्य. मोसुल पर कब्जे के साथ उसे वहां के केंद्रीय बैंक में जमा 500 अरब दीनार मिल गए, जो 42 करोड़ डॉलर के बराबर है. इसे मिलाकर अब इस गुट के पास जिहाद के लिए करीब 2 अरब डॉलर हैं. ये धन कहां से आ रहा है, इस पर विवाद है.
इराक की शिया सरकार का आरोप है कि सउदी अरब आईएसआईएस को मदद दे रहा है. प्रधानमंत्री नूरी अल मालिकी ने इसी हफ्ते कहा है, "हम आईएसआईएस को मिली वित्तीय और नैतिक मदद के लिए सउदी अरब को जिम्मेदार ठहराते हैं." सउदी अरब का साथी अमेरिका नूरी अल मालिकी के आरोपों का खंडन करता है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता जेन साकी ने इस बयान को "गलत और अपमानजनक" बताया है.
खाड़ी देशों का पैसा
ब्रूकिंग्स दोहा सेंटर के चार्ल्स लिस्टर अल मालिकी के आरोपों से इत्तेफाक नहीं रखते. वे कहते हैं, "सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कोई सबूत नहीं है कि किसी देश की सरकार आईएसआईएस के बनने और संगठन के रूप में उसे पैसा देने में शामिल है." इसके विपरीत जर्मनी के माइंस यूनिवर्सिटी में अरब रिसर्च सेंटर के गुंटर मायर को आईएसआईएस को मिल रहे धन के बारे में कोई संदेह नहीं है. "अब तक का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत खाड़ी देशों से आ रहा पैसा था, खासकर सउदी अरब से, लेकिन कतर, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात से भी."

मायर का कहना है कि खाड़ी के सुन्नी देशों का मकसद सीरिया में बशर अल असद की सरकार के खिलाफ आईएसआईएस की लड़ाई था. सीरिया की तीन चौथाई आबादी सुन्नी है, लेकिन देश का शासन अल्पसंख्यक शिया संप्रदाय की शाखा अलावी समुदाय के हाथों है. इस बीच सउदी अरब की सरकार को खतरों का पता है. आईएसआईएस के साथ लड़ रहा सबसे बड़ा जत्था सउदी लोगों का है. मायर का कहना है कि सरकार को पता है कि जब वे वापस लौटेंगे तो उनका निशाना सउदी सरकार होगी. लेकिन आईएसआईएस को सउदी अरब के धनी लोगों से पैसा लगातार जा रहा है.
फिरौती का पैसा
गुंटर मायर के अनुसार आईएसआईएस को मिल रहे धन का दूसरा स्रोत उत्तरी सीरिया के तेल भंडारों से आने वाला पैसा है. "आईएसआईएस समझ गया है कि इस स्रोत को अपने नियंत्रण में रखना होगा. उसके बाद तेल ट्रकों में भरकर तुर्की ले जाया जाता है. यह सबसे अहम स्रोत है." चार्ल्स लिस्टर के अनुसार आईएसआईएस बहुत हद तक खुद धन की व्यवस्था करने की हालत में है. "वह समाज के अंदर नेटवर्क बनाने का प्रयास कर रहा है ताकि आमदनी का नियमित जरिया मिल सके।"


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