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इंटरनेट व सोशल मीडिया पर खतरनाक जाल बिछा रहा है ISIS

अफशा जबीन नाम की महिला को आतंकी संगठन आइएसआइएस से जुड़े होने के चलते पिछले महीने दुबई से भारत लाया गया। तीन बच्चों की मां 38 साल की जबीन पर आरोप है कि वो हैदराबाद के युवाओं के सोशल साइट्स के माध्यम से आइएस की विचारधारा से प्रभावित करती थी।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2015 09:53 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2015 11:56 AM (IST)

नई दिल्ली। अफशा जबीन नाम की महिला के आतंकी संगठन आइएसआइएस से जुड़े होने के चलते पिछले महीने दुबई से भारत लाया गया। तीन बच्चों की मां 38 साल की जबीन पर आरोप है कि वो हैदराबाद के युवाओं को सोशल साइट्स के माध्यम से आइएस की विचारधारा से प्रभावित करती थी।

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आतंकी समूह आइएस द्वारा इंटरनेट व सोशल मीडिया का उपयोग लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके माध्यम से वे जिहादी विचारधारा, हिंसा व धर्मिक कट्टरता का प्रसार कर लोगों से बात करते हैं और उनकी भर्ती करते हैं।

ब्रूकिंग इंस्टिट्यूट द्वारा इस वर्ष मार्च में जारी रिपोर्ट के मुताबिक आइएस समर्थकों द्वारा तकरीबन 46 हजार ट्विटर एकाउंट साल 2014 में सितंबर से दिसंबर के बीच प्रयोग किए गए। जानकारी के अनुसार भारत से अबतक 20 लोग आतंकी संगठन आइएस में शामिल होने इराक व सीरिया गए।

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भारत से अबतक तीन ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें इंटरनेट का प्रयोगकर आइएस की विचारधारा को लोगों तक पहुंचाना व युवाओं में इसके प्रति आकर्षित करने का काम किया गया है। जबीन के अलावा मुंबई के कल्याण का रहनेवाला इंजीनियर अरीब माजिद को पिछले साल नवंबर में गिरफ्तार किया गया था। माजिद आइएस में शामिल होने के लिए मोसूल जाने के तैयारी में था। साथ ही यह भी जानकारी मिली कि वह इंटरनेट से इस संगठन से जुड़ा था। ठीक ऐसा ही मामला बेंगलुरू से सामने आया था। यहां एक निजी कंपनी में काम करने वाले मेहदी मसरूर ट्वीटर के माध्यम से आइएस से जुड़ी भड़काउ बातों का प्रसार कर रहा था। इस तरह से उसने शिक्षण संस्थानों व शोधकर्ताओं से जुड़कर 17 हजार फॉलोवर का मजबूत आधार बनाया था।

इंस्टियूट् फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस से जुड़ी श्रुति पंदालई ने बताया कि इस समूह ने अपनी बात को कहने के लिए अत्याधुनिक तरीके अपनाए जिससे कि इनकी विचारधापा मध्य एशिया के बाहरी देशों में इनका प्रसार हो। यही नहीं युवाओं को समझाने के लिए हॉलीवुड फिल्मों की तरह लघु फिल्में बनाई। पंदालई ने कहा कि वे अपने लक्षित पाठकों व दर्शकों को उसी भाषा में समझाने का प्रयास करते हैं जिस भाषा में वे बेहतर समझ सकें।

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भारतीय खुफिया एजेंसियों के मुताबिक यह आतंकी समूह सोशल मीडिया पर अपने लेख पोस्ट करता है। इन लेखों को पढ़कर युवा प्रभावित होते हैं। आइएस इन युवाओं से तमाम सोशल साइट्स के माध्यम से संपर्क करता है। इनमें स्काइप,व्हाट्स अप, वीचैट जैसे सोशल ऐप शामिल हैं।


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