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टुंडा का आका था आइएसआइ का पूर्व प्रमुख

भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे लश्कर आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को पाकिस्तान में आइएसआइ के पूर्व प्रमुख हामिद गुल ने संरक्षण दिया था। गुल को चार अन्य आइएसआइ अधिकारियों के साथ अमेरिका अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की सूची में डाल चुका है। पूछताछ में टुंडा ने बताया कि हामिद गुल लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद, अल कायदा व तालिबान के साथ जुड़ा हुआ है। उसे आइएसआइ से भी पूरा समर्थन मिलता है।

By Edited By: Published: Mon, 19 Aug 2013 09:49 PM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2013 12:14 AM (IST)
टुंडा का आका था आइएसआइ का पूर्व प्रमुख

जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे लश्कर आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा को पाकिस्तान में आइएसआइ के पूर्व प्रमुख हामिद गुल ने संरक्षण दिया था। गुल को चार अन्य आइएसआइ अधिकारियों के साथ अमेरिका अंतरराष्ट्रीय आतंकियों की सूची में डाल चुका है। पूछताछ में टुंडा ने बताया कि हामिद गुल लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद, अल कायदा व तालिबान के साथ जुड़ा हुआ है। उसे आइएसआइ से भी पूरा समर्थन मिलता है। इस बात के सार्वजनिक होने पर पाकिस्तान में बैठे गुल का कहना है कि वह टुंडा को नहीं जानता। उसे उसका नाम नापसंद है। गुल ने अंडरव‌र्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को भी न जानने का दावा किया।

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टुंडा ने रहस्योद्घाटन किया कि आइएसआइ ही पाकिस्तान में कट्टरपंथी तंजीम (संगठन) व भारत से वहां पहुंचे भारत विरोधी लोगों के बीच समन्वय का काम करती है। इसके लिए चाहे दाऊद को लश्कर चीफ हाफिज सईद से मिलवाना हो या बब्बर खालसा इंटरनेशनल के वधावा सिंह को टुंडा से। मकसद एक ही होता है एक दूसरे के नेटवर्क व संसाधनों का प्रयोग कर भारत में तबाही मचाना।

गुल के कार्यकाल (1987-1989) में जम्मू-कश्मीर और पंजाब में आइएसआइ खासी सक्रिय रही थी। जांच एजेंसियों को टुंडा से पता लगा कि नेपाल व बांग्लादेश के अलावा पाकिस्तान से सटी पंजाब और राजस्थान की सीमाओं पर आइएसआइ का मजबूत नेटवर्क है। इस नेटवर्क का प्रयोग नकली नोट व मादक पदार्थो की खेप तथा विस्फोटक खपाने में होता है। टुंडा के अनुसार, नकली नोटों की खेप भारत भेजने के लिए आइएसआइ की तरफ से मेजर तैयब व अल्ताफ उससे संपर्क करते थे।

वहीं, टुंडा के आरोपों पर हामिद गुल ने कहा कि 'टुंडा का नाम मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। अगर कभी मुलाकात होगी तो उसे अपना नाम बदलने के लिए कहूंगा। मैं किसी भी जांच एजेंसी के समक्ष जाने को तैयार हूं।' गत शनिवार को दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए 70 वर्षीय टुंडा ने बताया कि देश में स्लीपर सेल बनाने के लिए जेहाद शिक्षा के अलावा धन का भी प्रयोग किया जाता है। उसे भी 1996 में पाकिस्तान प्रवास के दौरान आइएसआइ ने चार हजार रुपये मासिक तनख्वाह प्रदान की थी।

टुंडा का पुतला फूंका

हापुड़। टुंडा के पैतृक कस्बे पिलखुवा (उत्तर प्रदेश) में सोमवार को लोगों ने आतंकी का पुतला फूंककर जल्द से जल्द फांसी पर लटकाए जाने की मांग की। इस मौके पर आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने कहा कि टुंडा ने न केवल देश को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि पिलखुवा के नाम को भी बदनाम किया। उसे अति शीघ्र फांसी मिलनी चाहिए।

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