चीनी ग्वादर का जबाव होगा भारत का चाबहार!
भारत और ईरान वैसे तो पारंपरिक तौर पर एक मित्र देश रहे हैैं लेकिन अभी दोनों देशों की तरफ से रिश्तों में नई गर्माहट भरने की जो कोशिश हो रही है वैसी पहले कभी नहीं हुई।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत और ईरान वैसे तो पारंपरिक तौर पर एक मित्र देश रहे हैैं लेकिन अभी दोनों देशों की तरफ से रिश्तों में नई गर्माहट भरने की जो कोशिश हो रही है वैसी पहले कभी नहीं हुई। ऐसे समय जब दुनिया के तमाम बड़े देश अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध से बाहर निकले ईरान को रिझाने में लगे हुए हैैं, भारत भी इसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहा।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शनिवार को ईरान पहुंची है जो पिछले दस दिनों के भीतर किसी वरिष्ठ भारतीय कैबिनेट मंत्री की दूसरी यात्रा है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान अभी ईरान की दो दिवसीय यात्रा करके वापस लौटे ही हैैं। बहुत जल्द भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी भी तेहरान जाने की तैयारी में हैैं।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक स्वराज की इस यात्रा के दौरान मुख्य बातचीत द्विपक्षीय कारोबार और चाबहार बंदरगाह के विकास से जुड़ी होगी। भारत की तरफ से चाबहार बंदरगाह के पास विशेष आर्थिक क्षेत्र स्थापित करने का प्रस्ताव किया गया है। यहां भारत की सरकारी व निजी कंपनियां 20 अरब डॉलर का निवेश करने की मंशा रखती हैैं।
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पेट्रोलियम मंत्री प्रधान की यात्रा के दौरान भी इस पर बात हुई थी लेकिन इसे किस तरह से आगे बढ़ाया जाए इसके रोडमैप पर स्वराज के नेतृत्व में बात आगे बढ़ेगी। अगर सब कुछ ठीक रहा तो पीएम नरेंद्र मोदी की आगामी ईरान यात्रा के दौरान इस पर समझौता किया जाएगा।
चाबहार पोर्ट को लेकर भारत ने हाल के दिनों में काफी गहरी रुचि दिखानी शुरु कर दी है। अभी तक वहां दो बर्थ बनाने के लिए भारत 8.50 करोड़ डॉलर की राशि निवेश कर चुका है। माना जा रहा है कि भविष्य में यह भारत के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण से काफी अहम होगा। खास तौर पर जिस तरह से चीन पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट को विकसित कर रहा है उसे देखते चाबहार को भारत की बढ़ती आर्थिक कूटनीति का एक अहम कदम माना जा रहा है।
भारत चाबहार में दो पेट्रो रसायन प्लांट लगाने के साथ ही वहां से अफगानिस्तान तक रेलवे नेटवर्क बिछाने की भी मंशा रखता है। अफगानिस्तान सरकार के साथ ही अमेरिका भी इस प्रस्ताव को समर्थन कर रहा है क्योंकि यह अफगानिस्तान की आर्थिक प्रगति में अहम भूमिका निभा सकता है। इन सभी मुद्दों पर विदेश मंत्री स्वराज रविवार को ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जारीफ से बात करेंगी। उनकी मुलाकात ईरान के राष्ट्रपति हुुसैन रोहानी से भी मुलाकात करेंगी।
माना जा रहा है कि ईरान में चीन, जापान, फ्रांस समेत यूरोपीय संघ के तमाम देश जिस स्तर पर निवेश करने को तैयार हैैं उसे देखते हुए भारत को भी ज्यादा तेजी दिखानी होगी। ईरान की तरफ से लगातार इस तरह के बयान आ रहे हैैं कि वह भारत से होने वाले निवेश प्रस्तावों पर जल्द फैसला करेगा। हालंाकि उसने भारत में द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढाऩे पर बहुत सुस्ती से कदम बढ़ाने पर ईरान अपनी नाराजगी भी दिखा चुका है।