इरोम शर्मिला को नहीं मिली मतदान की इजाजत
सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) के खिलाफ पिछले बारह साल से आमरण अनशन कर रहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला चानू को गुरुवार को लोकसभा चुनावों में मतदान करने की अनुमति नहीं मिली। चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया, जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1
इंफाल। सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (अफस्पा) के खिलाफ पिछले बारह साल से आमरण अनशन कर रहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला चानू को गुरुवार को लोकसभा चुनावों में मतदान करने की अनुमति नहीं मिली।
चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया, जनप्रतिनिधि अधिनियम, 1951 की धारा 62 (5) के तहत जेल में बंद किसी भी व्यक्ति को मतदान का अधिकार नहीं है। शर्मिला ने एक अर्जी दाखिल कर मतदान करने की इच्छा जाहिर की थी। लेकिन कानून के तहत हम उनकी यह इच्छा पूरी नहीं कर सकते। 42 वर्षीय शर्मिला ने हाल ही में पत्रकारों से बातचीत में कहा था, 'मैंने कभी मतदान नहीं किया, क्योंकि लोकतंत्र पर मेरा विश्वास खत्म हो गया था। लेकिन भ्रष्टाचार विरोधी आम आदमी पार्टी (आप) ने मेरे विचारों को बदल दिया।'
मणिपुर के आंतरिक हिस्से में गुरुवार को लोकसभा के दूसरे चरण के चुनाव हुए। वर्ष 2000 में असम रायफल्स के जवानों ने मणिपुर में एक कथित मुठभेड़ में दस लोगों को मार गिराया था, जिसके बाद से शर्मिला आमरण अनशन पर हैं। उनपर जंतर-मंतर पर अनशन के दौरान कथित रूप से आत्महत्या करने का मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में उन्हें एक साल और न्यायिक हिरासत में रखा जा सकता है। शर्मिला के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के विशेष वार्ड को 'उप जेल' घोषित किया गया है।