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खतरनाक आतंकी आइएसआइएस के ढहते गढ़ पर खुफिया एजेंसियों की नजर

मोसुल के धवस्त होने के बाद ISIS के तमाम लड़ाके कहां जाएंगे यह भारत समेत तमाम देशों की सुरक्षा एजेंसियों के लिए सरदर्द है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Mon, 24 Oct 2016 07:24 PM (IST)Updated: Mon, 24 Oct 2016 11:50 PM (IST)
खतरनाक आतंकी आइएसआइएस के ढहते गढ़ पर खुफिया एजेंसियों की नजर

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। कुख्यात आतंकी संगठन आइएसआइएस के पांव अब उसके सबसे बड़े गढ़ मोसुल से भी उखड़ने की खबरें आने लगी हैं। मोसुल को इस्लामिक एस्टेट (आइएसआइएस) का सबसे सुरक्षित गढ़ माना जाता था लेकिन अब इनके इराकी व अमेरिकी सेना के संयुक्त अभियान में इनके लड़ाके अब दूसरी जगह भागने लगे हैं। इस पूरे हालात पर भारतीय खुफिया एजेंसियों की भी नजर है। मोसुल के धवस्त होने के बाद आइएसआइएस के तमाम लड़ाके कहां जाएंगे यह भारत समेत तमाम देशों की सुरक्षा एजेंसियों के लिए सरदर्द है।

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सूत्रों के मुताबिक आइएसआइएस के युद्ध स्थल पर कितने भारतीय हैं इसका ठीक ठाक अंदाजा लगाना मुश्किल है लेकिन आइएसआइएस से प्रभावित होकर देश छोड़ने वालों की संख्या अभी कम से कम 50 है। इनमें से कई के संपर्क सीधे तौर पर आइएसआइएस से हो सकते हैं। हाल ही में राष्ट्रीय जांच ब्यूरो (एनआइए) ने तमिलनाडु में आइएसआइएस के साथ संपर्क होने के सबूत के साथ सुबाहनी हाजा मोइद्दीन नाम के एक आतंकी को गिरफ्तार किया है जिसने स्वीकार किया है कि वह पेरिस हमला में 125 लोगों की जान लेने वाले आइएसआइएस आतंकी के संपर्क में था।

इससे पता चलता है कि भारत में आइएसआइएस के आतंकी इसके वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा था। इसके पहले ही एनआइए ने कुछ गिरफ्तार आइएसआइएस के कुछ अन्य आतंकियों के चार्जशीट में यह बता चुका है कि इन्होंने 25 देशों में आइएस के नेटवर्क से संपर्क बना लिया था। इससे साफ है कि आइएसआइएस के भारत स्थित आतंकी इस संगठन के वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा बने हुए थे।

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सनद रहे कि इस कुख्यात आतंकी संगठन आइएसआइएस के प्रभाव में कितने भारतीय आये हैं इसको लेकर सरकार व देश की खुफिया एजेंसियों की तरफ से अभी तक साफ तौर पर कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन राष्ट्रीय जांच ब्यूरो पिछले तीन वर्षो में केरल से लेकर जम्मू व कश्मीर तक और महाराष्ट्र से लेकर पश्चिम बंगाल तक दर्जनों लोगों को आइएसआइएस के साथ संपर्क होने के संदेह में गिरफ्तार किया जा चुका है।

विदेशी सरकारों की मदद से आइएसआइएस के कई भारतीय आतंकियों को भारत प्रत्यर्पण भी किया गया है। जुलाई, 2016 में जब भारतीय जांच एजेंसियों ने स्वीकार किया कि केरल से गायब लगभग दो दर्जन युवा आइएसआइएस के संपर्क में हो सकते हैं तो यह साफ हो गया कि उम्मीद से ज्यादा भारतीय आइएसआइएस से जुड़े हुए हैं। केरल के गायब इन युवाओं पर भी है खुफिया एजेंसियों की नजर है। आइएसआइएस के संगठन के बिखराव के बाद ये युवा किधर जाते हैं या फिर भारत लौटने की कोशिश करते हैं, इसका पता लगाना खुफिया एजेंसियों की सबसे बड़ी चुनौती है।

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