IIT जैसे संस्थानों को ढूंढे नहीं मिल रहे शिक्षक, 35 फीसद से ज्यादा पद खाली
दिल्ली, मद्रास, खड़गपुर सहित देश भर के सभी 23 आइआइटी में मौजूदा समय में फैकेल्टी के 35 फीसद से ज्यादा पद खाली पड़े है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आइआइटी जैसे संस्थानों को खोजने के बाद भी अच्छे शिक्षक (फैकेल्टी) नहीं मिल पा रहे हैं। आइआइटी मद्रास के डायरेक्टर डॉ भास्कर रामामूर्ति ने इस हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि खाली पदों को भरना उनके लिए चुनौतीपूर्ण है। हालांकि वह इससे निपटने कोशिश में जुटे हुए हैं। देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में लगातार विज्ञापन के जरिये अच्छे शिक्षकों की तलाश करने के कुछ सकारात्मक नतीजे भी मिले हैं। इसी वजह से सालाना सिर्फ 15 से 20 अच्छी फैकेल्टी मिल जा रही है।
आइआइटी मद्रास के डायेक्टर डॉ रामामूर्ति ने 'जागरण' से चर्चा करते हुए बताया कि फैकेल्टी की कमी के मामले में आइआइटी मद्रास जैसी स्थिति कमोबेश स्थिति दूसरे आइआइटी की भी है। समस्या के सवाल पर उनका कहा था कि उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद कम छात्र ही ऐसे होते हैं, जो फैकेल्टी के रुप में अपना कैरियर शुरु करना चाहते हैं। यहां से निकलने वाले अधिकतर छात्र विदेशों की तरफ चले जाते है। उनका कहना था कि सरकार की तरफ से भी खाली पदों को जल्द से जल्द भरने की दबाव है, लेकिन मूल समस्या अच्छी फैकेल्टी के न मिलने की है।
गौरतलब है कि दिल्ली, मद्रास, खड़गपुर सहित देश भर के सभी 23 आइआइटी में मौजूदा समय में फैकेल्टी के 35 फीसद से ज्यादा पद खाली पड़े है। इनमें सबसे खराब स्थिति आइआइटी खड़गपुर की है, जहां करीब 69 फीसद पद खाली है। वहीं आईआईटी दिल्ली में 29 फीसद, बांबे में 27 फीसद, कानपुर में 37 फीसद, मद्रास में 30 फीसद, रूड़की में 58 फीसद फैकेल्टी के पद खाली है।
'ज्ञान' योजना से मिल रही मदद
आइआइटी सहित देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में फैकेल्टी की कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने ज्ञान (ग्लोबल इनिशिएटिव फार एकेडमिक नेटवर्क) योजना शुरू की है। इसके तहत देश-विदेश में बड़े-बड़े संस्थानों की क्लास आयोजित की जाती है। यह क्लास आनलाइन और आफ लाइन दोनों तरह की होती है। इस योजना के तहत दुनिया भर के सभी विश्वस्तरीय संस्थानों को भी जोड़ा गया है। योजना के तहत विदेशी विश्वविद्यालयों की फैकेल्टी को बुलाकर क्लास भी आयोजित कराई जाती है।