50 हत्याओं में लिप्त पंद्रह लाख का इनामी आतंकी कय्यूम नजार ढेर
50 से ज्यादा हत्याओं में लिप्त 15 लाख का इनामी आतंकी कय्यूम नजार उरी सेक्टर में एलओसी पर घुसपैठ करते समय मारा गया।
श्रीनगर, ब्यूरो। कश्मीर में दो साल पहले मोबाइल फोन नेटवर्क को लगभग ठप करने वाला और करीब 50 से ज्यादा हत्याओं में लिप्त 15 लाख का इनामी आतंकी कय्यूम नजार मंगलवार त़़डके उत्तरी कश्मीर के उरी सेक्टर में एलओसी पर घुसपैठ करते समय मारा गया। उसके दो साथी वापस पीओके में भाग गए। कय्यूम ने ही साथियों के साथ 2003 में तत्कालीन हिज्बुल कमांडर माजिद डार की सोपोर में उसके घर में घुसकर हत्या कर दी थी। डार ने कश्मीर में संघषर्ष विराम का एलान करते हुए केंद्र सरकार से कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की प्रक्रिया में हिस्सा लिया था। कय्यूम हर वारदात के बाद देश के विभिन्न भागों में फेरीवाल बनकर घूमता था।
बारामुला के एसएसपी इम्तियाज हुसैन मीर ने बताया कि ममकाक [ सोपोर ] का रहने वाला 43 वर्षीय कय्यूम नजार 16 साल की उम्र में तहरीक-ए-आजादी संगठन का आतंकी बना था। वर्ष 2015 में उसने लश्कर, जैश व तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के साथ मिलकर लश्कर-ए-इस्लाम की कश्मीर में नींव रखी। इसके बाद उसने कश्मीर में मोबाइल नेटवर्क को निशाना बनाने के साथ सुरक्षा बलों के लिए काम करने वाले कई ग्रामीणों के साथ हुर्रियत नेताओं व कार्यकर्ताओं को भी मुखबिरी के संदेह में मौत के घाट उतारा था। उसने 30 के करीब लोगों की हिटलिस्ट बनाई थी, लेकिन सुरक्षा बलों का दबाव प़़डने पर वह अक्टूबर 2015 में पीओके चला गया था।
कमांडर बनने आया था
पिछले माह आतंकी यासीन यत्तू और परवेज अहमद वानी उर्फ मुबशिर के मारे जाने के बाद हिज्ब के लिए अपने स्थानीय कैडर को संभालना मुश्किल हो रहा था। इसलिए गत दिनों आईएसआई ने सलाहुद्दीन की लश्कर व अल--बदर और तहरीकुल मुजाहिदीन के कमांडरों के साथ बैठक में सुलह करा कय्यूम को उत्तरी कश्मीर में हिज्ब की कमान संभालने को राजी किया था। मंगलवार त़़डके वह इसी इरादे से उरी सेक्टर लछीपोरा से घुसपैठ की कोशिश कर रहा था। तभी 34 आरआर के जवानों ने उन्हें देख लिया और मुठभे़़ड शुरूहो गई। सुबह चार बजे शुरूहुई मुठभे़ड करीब दो घंटे चली। इसमें कयूम मारा गया। अन्य दो आतंकी वापस भाग निकले। पुलिस अफसरों का कहना है कि कय्यूम का मारा जाना बहुत ब़़डी कामयाबी है।
फेरीवाला, राजमिस्त्री बन काम करता था
आतंकी कय्यूम नजार ब़़डा शातिर था। कश्मीर में अक्सर ब़़डी वारदात को अंजाम देने के बाद वह गायब हो जाता था। वह देश के अन्य भागों में कुछ समय तक मजदूर बनकर रहता था। वह ब़़ढई और राज मिस्त्री का काम करने के अलावा फेरी पर शॉल भी बेचने का काम कर लेता था। जब मामला शांत होता तो वह फिर कश्मीर में सक्रिय हो जाता था।