POK पर ये फैसला लेकर भारत ने पाकिस्तान को दी करारी शिकस्त
सरकारी सूत्रों के मुताबिक पीओके से भारत आये हजारों कश्मीरी दशकों बीत जाने के बावजूद बेहद खराब जीवन स्तर जी रहे हैं।
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। कश्मीर में हिंसा भड़का कर इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हवा देने की कोशिश में जुटे पाकिस्तानी हुक्मरानों को अपना दांव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है। भारत ने भी पाक अधिकृत कश्मीर को लेकर अपनी कूटनीतिक पहल बढ़ाने के संकेत दिए हैं। एक तरफ जहां पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से विस्थापित हो कर भारत में जीवन यापन कर रहे लोगों को भारत अच्छी खासी वित्तीय राहत पैकेज देने की योजना बना रहा है वहीं अगले वर्ष होने वाले प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) में पीओके के साथ ही गिलगिट-बाल्तिस्तान के लोगों को विशेष तौर पर आमंत्रित करने पर विचार कर रहा है। भारत इस क्षेत्र के लोगों को पीबीडी में आमंत्रित कर उन्हें नत्थी लगा हुआ वीजा जारी कर पकिस्तान के लिए और मुसीबत पैदा कर सकता है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक पीओके से भारत आये हजारों कश्मीरी दशकों बीत जाने के बावजूद बेहद खराब जीवन स्तर जी रहे हैं। इन्हें एक बेहतर जीवन देना भारत का कर्तव्य है क्योंकि इन्होंने भारतीय लोकतंत्र व प्रशासन को अपनी बेहतरी के लिए पसंद किया है। ऐसे में सरकार इनके लिए 2,000 करोड़ रुपये का पैकेज देने पर विचार कर रही है। पैकेज का स्वरूप गृह मंत्रालय ने तैयार किया है जिसे जल्द ही कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। जम्मू व कश्मीर सरकार ने 36,348 ऐसे परिवारों का चयन किया है जिन्हें यह पैकेज दिया जाना है।
मोटे तौर पर हर परिवार को 5.5 लाख रुपये की राशि बतौर अनुदान मिलेगी। सनद रहे कि पीएम मोदी ने कश्मीर पर सर्वदलीय बैठक और उसके बाद स्वतंत्रता दिवस समारोह में पहली बार सार्वजनिक तौर पर गुलाम कश्मीर, गिलगिट-बाल्टिस्तान और ब्लूचिस्तान के लोगों का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि इन क्षेत्रों के लोग काफी मुश्किल हालात में जीवन यापन कर रहे हैं। मोदी के इस बयान को कश्मीर विवाद के संदर्भ में ही नहीं बल्कि भारत व पाकिस्तान के द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर भी एक बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
उधर, पीओके या ब्लूचिस्तान को लेकर भारत की नई कूटनीति यहीं खत्म नहीं होने जा रही है। भारत ने इस बात के संकेत दिए हैं कि अगले वर्ष बंगलुरू में होने वाले प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) में पीओके व गिलगिट व बाल्टिस्तान के नुमाइंदों को खास तौर पर बुलाया जा सकता है। विदेश मंत्रालय में इस बात को लेकर विचार विमर्श चल रहा है कि किस तरह से दुनिया के तमाम हिस्सों में रह रहे इस क्षेत्र के लोगों से संपर्क साधा जाए और उन्हें पीबीडी में हिस्सा लेने के लिए बुलाया जाए।
सूत्रों के मुताबिक पहले के पीबीडी में भी गिलगिट, ब्लूचिस्तान व पीओके के कुछ प्रतिनिधि हिस्सा लेते रहे हैं लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। एक सोच यह है कि इन प्रतिनिधियों को अब नत्थी लगा हुआ वीजा दिया जाए। जैसा कि कुछ समय पहले तक चीन भारतीय हिस्से वाले जम्मू व कश्मीर के लोगों को देता रहा है। भारत की तरफ से कड़े ऐतराज के बाद चीन ने इसे हाल ही में बंद किया है। नत्थी लगे वीजा का मतलब यह है कि भारत उस व्यक्ति के पास जिस देश का पासपोर्ट है उसे स्वीकार नहीं करता। इससे पाकिस्तान की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।