सोशल मीडिया पर भी चल रहा है सरकार का बचाव अभियान
आधुनिक दुनिया में आभासी मीडिया यानी सोशल नेटवर्किंग साइट्स की लोकप्रियता और पहुंच पर भारत सरकार की भी नजर है। सरकार इसी वजह से भूकंप से तबाह नेपाल में लोगों से संपर्क करने के लिए ट्विटर और फेसबुक का इस्तेमाल पूरी सक्रियता से कर रही है।
नई दिल्ली । आधुनिक दुनिया में आभासी मीडिया यानी सोशल नेटवर्किंग साइट्स की लोकप्रियता और पहुंच पर भारत सरकार की भी नजर है। सरकार इसी वजह से भूकंप से तबाह नेपाल में लोगों से संपर्क करने के लिए ट्विटर और फेसबुक का इस्तेमाल पूरी सक्रियता से कर रही है। किसी लापता व्यक्ति की सूचना लेने-देने से लेकर सहायता पहुंचाने तक में सरकार और इंटरनेट से जुड़े लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं।
शनिवार को 7.9 की तीव्रता वाले भूकंप ने नेपाल और भारत के कुछ हिस्से को जैसे ही झकझोरा, उसके कुछ ही देर बाद विदेश मंत्रालय ऐट द रेट ऑफ एमईएकंट्रोलरूम नाम से ट्विटर पर सक्रिय हो गया। इसका मकसद चल रहे लोगों को बचाव कार्य की अद्यतन जानकारी देना और हेल्पलाइन नंबर साझा करना था। नेपाल में लापता या फंसे हुए लोगों के बारे में उनके परिजनों या दोस्तों की पूछताछ का जवाब देने के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खुद सक्रिय हो गई। केंद्र सरकार के इस तत्काल उठाए कदम की ट्विटर से जुड़े लोगों ने जमकर सराहना की। उदाहरण के तौर पर अमृतांश दास नाम के व्यक्ति ने एक 78 वर्षीय बुजुर्ग की ट्विटर पर तस्वीर और उसका विस्तृत ब्योरा डालकर सरकार से उसका पता लगाने की गुहार लगाई। उसके बाद 20 मिनट से भी कम समय में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट में कहा, 'आपकी जानकारी देने के लिए धन्यवाद।
हम वहां अपने अधिकारियों से इस बारे में बातचीत कर रहे हैं।' सोशल मीडिया पर स्वयंसेवक नेपाल के जरूरतमंदों के लिए खून का इंतजाम भी कर रहे हैं। वे ट्विटर पर प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और गृह मंत्री को इसके बारे में जानकारी भेज रहे हैं। इसी तरह सोशल मीडिया के जरिये प्रधानमंत्री राहत कोष में भूकंप पीडि़तों के लिए चंदा देने के अपील भी की जा रही है। जिन्हें इसके बारे में नहीं मालूम है वे सोशल मीडिया के इसके बारे में पूछ रहे हैं कि चंदा कहां दिया जाए।