पाकिस्तानी टैंकों को तबाह कर सेना ने कहा- 'दशहरे की शुभकामनाएं'
भारतीय सेना की अपनी तैयारियां थीं और सेना ने जब 1971 का दशहरा मनाया था, तभी सेना के अंदरुनी हलकों में ये चर्चा थी कि यदि युद्ध हुआ तो हम 'रावण" को मार गिराएंगे।
नई दिल्ली। सन् 1971 के युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी मात दी थी। ये वही युद्ध था, जिसके बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और बांग्लादेश का जन्म हुआ।
उस युद्ध के दौरान राजस्थान से लगी भारत व पाकिस्तान की सीमा पर जबरदस्त लड़ाई हुई थी। इसमें विजय के बाद भारतीय सेना ने अपनी ऊपरी कमांड को संदेश भेजा था 'ऑपरेशन ओवर, दशहरे की शुभकामनाएं।"
यूं तो 1971 के युद्ध की सीधी लड़ाइयां नवंबर, दिसंबर और जनवरी में हुई थीं, लेकिन इसका अंदेशा अगस्त-सितंबर से ही था। उस दौरान भारतीय सेना की अपनी तैयारियां थीं और सेना ने जब 1971 का दशहरा मनाया था, तभी सेना के अंदरुनी हलकों में ये चर्चा थी कि यदि युद्ध हुआ तो हम 'रावण" को मार गिराएंगे।
ये सारी बातें अनौपचारिक थीं और इन्हें कहीं भी रिकॉर्ड में नहीं लिया गया, लेकिन सैनिकों को ये पता था कि युद्ध की स्थिति में 'उन्हें क्या करना है"। दरअसल, सैनिकों में जोश फूंकने और उन्हें प्राणपण से लड़ने की तैयारी रखने के लिए इसे दशहरे से भावनात्मक रूप से जोड़ा गया ताकि संभावित लड़ाई में विजय पाने के लिए सैनिक पूरी क्षमता से लड़ें।
आखिरकार 4 दिसंबर 1971 की रात पाकिस्तान की सेना ने भारत के जैसलमेर बॉर्डर एरिया में घुसैपठ की। पाकिस्तान की एक टैंक रेजिमेंट और पैदल सैनिकों की तीन बटालियन ने रात में ही लोंगेवाला पर आक्रमण कर दिया।
तब जैसलमेर में 120 जवानों के साथ मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी तैनात थे। तभी कैप्टन धर्मवीर ने दुश्मन के टैंकों की सूचना दी। इधर, पाकिस्तानी फौज ने ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी। इस पर मेजर कुलदीप सिंह ने जवानों को याद दिलाया कि उन्हें 'दशहरा" मनाना है।
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इतना सुनते ही सैनिकों में जोश भर गया और वे पाकिस्तानी पैदल सैनिकों पर हमला करने लगे। पाकिस्तान की पूरी आर्म्ड रेजिमेंट और दो इंफेंट्री स्क्वाड्रन ने हमला किया था, इसलिए वे संख्या में कहीं ज्यादा थे। मगर भारतीय लड़ाकों ने संख्या में कम होने और टैंक रेजिमेंट द्वारा घेर लिए जाने के बावजूद हौंसला नहीं खोया। ये रातभर लड़ते रहे।
उधर, भारतीय वायुसेना अपने इन जवानों की मदद इसलिए नहीं कर सकती थी क्योंकि उस समय अंधेरा होने से लड़ाकू विमानों का उड़ान भरना संभव नहीं था। इध्ार, हमारे लड़ाके रातभर लड़े और कुछ शहीद भी हो गए।
रातभर जबरदस्त जंग चली और सुबह जैसे ही सूरज की पहली किरण आई, भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान पाकिस्तानी टैंकों पर टूट पड़े। देखते ही देखते पाकिस्तान के 40 टैंक वहां धू-धूकर जल रहे थे और लोंगेवाला उनकी कब्रगाह बन चुका था।
दरअसल, पाकिस्तान की सेना ने जैसलमेर बॉर्डर एरिया में जबरदस्त हमला कर लोंगेवाला को कब्जे में लेने की योजना बनाई थी। मगर हमारे रणबांकुरों ने उन्हें रातभर जंग में उलझाए रखा। आखिरकार जीत के साथ हमारे जवानों ने अपनी ऊपरी कमांड को संदेश भेजा - 'दशहरे की शुभकामनाएं।"