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भारत ने अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के लिए फिर किया जज दलवीर भंडारी का नामांकन

1945 में स्थापित आईसीजे ने कई देशों के बीच कानूनी विवाद सुलझाया और कानूनी मुद्दों पर महत्‍वपूर्ण सलाह दी है। अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट में कुल 15 जज होते हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 12:21 PM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 08:06 PM (IST)
भारत ने अंतरराष्‍ट्रीय कोर्ट के लिए फिर किया जज दलवीर भंडारी का नामांकन

संयुक्त राष्ट, प्रेट्र। भारत ने जस्टिस दलवीर भंडारी को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) के जज के दूसरे कार्यकाल के लिए फिर उम्मीदवार बनाया है। उनका कार्यकाल फरवरी 2018 में समाप्त होने वाला है। अगले कार्यकाल के लिए चुनाव इस साल नवंबर में होंगे।

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69 वर्षीय भंडारी को अप्रैल 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में एक साथ हुए मतदान के जरिए आइसीजे के लिए चुना गया था। हेग स्थित यह अदालत संयुक्त राष्ट्र की न्यायिक संस्था है। भारत ने भंडारी के लिए सोमवार को संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरस के समक्ष नामांकन दाखिल किया। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तीन जुलाई है।

अगर भंडारी चुने जाते हैं तो उनका कार्यकाल नौ साल का होगा। आइसीजे में अपने मौजूदा कार्यकाल के दौरान भंडारी काफी सक्रिय रहे। उन्होंने समुद्री विवाद, नरसंहार, परमाणु निरस्त्रीकरण और आतंकवाद जैसे 11 मामलों में अपनी राय जाहिर की।

जाधव मामले से भी रहा जुड़ाव

भारतीय नौ सेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव मामले में फैसला सुनाने वाली आइसीजे की 11 सदस्यीय पीठ में भंडारी भी रहे थे। पाकिस्तान की सैन्य अदालत की ओर से जाधव को दी गई फांसी की सजा पर आइसीजे ने अंतरिम रोक लगाने का फैसला सुनाया था।

दिल्ली हाई कोर्ट में रहे जज

अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से जुड़ने से पहले भंडारी भारत की विभिन्न अदालतों में 20 साल से ज्यादा समय तक कार्यरत रहे। वह दिल्ली हाई कोर्ट में जज रहे और इसके बाद बांबे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए। वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश भी रह चुके हैं।

1945 में आइसीजे की स्थापना

आइसीजे में 15 जज होते हैं। इन्हें नौ साल के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद में एक साथ चुनाव के जरिये चुना जाता है। हेग स्थित इस अदालत की स्थापना 1945 में देशों के बीच विवादों के समाधान और कानूनी राय देने के लिए की गई।

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