आतंकी मसूद अजहर पर यूएन प्रतिबंध लगने तक जारी रहेगी कोशिश
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक एक हफ्ते पहले ही चीन ने मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को ब्लाक किया है लेकिन उससे अजहर के खिलाफ भारत के विचारों में कोई बदलाव नहीं आया है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पाकिस्तानी आतंकी मौलाना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र संगठन (यूएनओ) का प्रतिबंध लगाने के लिए यूं ही भारत ने जमीन आसमान एक नहीं कर रखा है। बल्कि इस कोशिश के पीछे मौलाना अजहर और उसके पाकिस्तानी आका (खुफिया एजेंसी आइएसआइ व पाक सेना) की साजिश है। अजहर अभी इन दोनों की कश्मीरी साजिश का अभिन्न हिस्सा है और भारत जानता है कि मौलाना अजहर पर नकेल कसने का सीधा असर कश्मीर में आतंकी गतिविधियों पर दिखेगा। इस महीने अजहर के खिलाफ प्रतिबंध लगाने को लेकर भारत की अमेरिका से भी खास बात होने वाली है।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक एक हफ्ते पहले ही चीन ने मौलाना मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव को ब्लाक किया है लेकिन उससे अजहर के खिलाफ भारत के विचारों में कोई बदलाव नहीं आया है। मौलाना अजहर एक खूंखार आतंकी है जिसके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर तरह के प्रतिबंध लगने चाहिए ताकि वह खुल कर अपने मंसूबों को अंजाम नहीं दे सके। चीन के अड़ंगे के बावजूद भारत दूसरे देशों के साथ इस बारे में संपर्क में है। इस महीने ही आतंकवाद पर भारत और अमेरिका की बैठक है जिसमें किस तरह से अजहर पर नकेल कसने के प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जाए, इस पर बात होगी। उक्त भारतीय अधिकारी बताते हैं कि चीन और पाकिस्तान यह समझते हैं कि एक निश्चित समय के बाद भारत अजहर के खिलाफ प्रस्ताव लाना बंद कर देगा। लेकिन भारत की रणनीति ऐसी बिल्कुल नहीं है। भारत यूएन के नियमों के मुताबिक लगातार इस तरह के प्रस्ताव को लाता रहेगा। इससे आतंकवाद पर चीन की दोहरी नीति का पर्दाफाश होता है।
खुफिया एजेंसियों के सूत्र बताते हैं कि अजहर इस समय आइएसआइ के साथ ही पाकिस्तान सेना का भी प्रमुख हथियार है। इन्हें पता है कि कश्मीर में जेहाद के नाम पर पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों से युवाओं को जिस तरह से मसूद अजहर तैयार करता है वैसा काम लश्कर प्रमुख हफीज सईद भी नहीं कर सकते। वैसे भी हफीज सईद राजनीति में उतरने की कोशिश में जुटा है। ऐसे में मसूद अजहर पाकिस्तान में भारत केंद्रित आतंकी गतिविधियों की धुरी है। उस पर प्रतिबंध लगने का संदेश व्यापक होगा। अजहर को भारत सरकार ने अपने एक अपOत जहाज के बदले दिसंबर, 1999 में रिहा किया था। माना जाता है कि उसके बाद वह तालिबान, अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों के संपर्क रहा। जनवरी, 2014 में वह सामने आया और इसके बाद जैश की तरफ से भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का सिलसिला भी शुरु हुआ। उसके संगठन ने पठानकोट और उरी जैसे हमले किये। हाल ही में मसूद अजहर का भतीजा तल्हा रशीद के मारे जाने से यह भी साफ हो गया है कि वह कश्मीर में खूनी खेल के लिए किस हद तक जा सकता है। यह एक वजह है कि पाक हुक्मरान मसूद अजहर को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तत्पर हैं।
सनद रहे कि जनवरी, 2016 में पठानकोट हमले के बाद तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के निर्देश पर जब मसूद अजहर को नजरबंद किया गया तो पाक सेना को यह बात बहुत बुरी लगी थी। पाक सेना के दबाव की वजह से पाक सरकार की तरफ से पठानकोट हमले के लिए गठित जांच समिति की रिपोर्ट भी सार्वजनिक नहीं की गई। कुछ दिनों तक बहावलपुर में जैश के मुख्यालय में ताला लगा लेकिन अब सूचना है कि वहां फिर से सब कुछ सामान्य है। पूरे शहर में जैश की तरफ से रोहंग्यिा मुस्लिमों के नाम पर खुलेआम चंदा वसूला जा रहा है।