Move to Jagran APP

गैस के अभाव वाले देशों की कीमत को मानक माने भारत

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने कुछ अटपटी सलाह दी है। उसका कहना है कि भारत को प्राकृतिक गैस का मूल्य निर्धारण अपने जैसे गैस की कमी वाले देशों के आधार पर करना चाहिए।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2015 09:09 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2015 10:14 PM (IST)

नई दिल्ली। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स (एसएंडपी) ने कुछ अटपटी सलाह दी है। उसका कहना है कि भारत को प्राकृतिक गैस का मूल्य निर्धारण अपने जैसे गैस की कमी वाले देशों के आधार पर करना चाहिए। बजाय इसके कि वह अमेरिका और कनाडा जैसे गैस-प्रचुर मुल्कों की दरों को बेंचमार्क बनाए। इस सलाह को यदि भारत सरकार मान ले तो गैस की कीमतें बेतहाशा बढ़ जाएंगी। इससे कंपनियों का मुनाफा भले बढ़े, लेकिन लोगों पर भारी बोझ पड़ेगा।

loksabha election banner

गैस-प्रचुर देशों की दरों का उपयोग करते हुए बीते सप्ताह घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमतें 18 फीसद घटाकर 4.24 प्रति दस लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) की गई। एजेंसी का कहना है कि यह अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों को हतोत्साहित करेगा। वे नए पूंजी निवेश से कन्नी काटेंगी।

एजेंसी ने कहा कि घरेलू गैस के मूल्य निर्धारण का फॉर्मूला अमेरिका और कनाडा जैसे गैस-प्रचुर मुल्कों में कीमतों को देखते हुए तय किया गया है। ये देश गैस ट्रांसपोर्टेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर चुके हैं। भारत के गैस उत्पादन अभाव और बढ़ रहे गैस परिवहन ढांचे को देखते हुए उसके लिए अपनी जैसी ही अर्थव्यवस्थाओं में कीमतों में तुलना करना ज्यादा प्रासंगिक होगा। एसएंडपी ने कहा कि भारत में गैस मूल्य अपने क्षेत्रीय समकक्षों की तुलना में कम हैं।

थाइलैंड और इंडोनेशिया में प्राकृतिक गैस के मूल्य औसतन आठ-दस प्रति एमएमबीटीयू हैं। उसका मानना है कि फॉर्मूला आधारित गैस प्राइसिंग की शुरुआत करके निजी सेक्टर की हिस्सेदारी और पारदर्शिता को बढ़ाने की सरकार की योजना अच्छी है। हालांकि, बीते एक साल में प्राकृतिक गैस की कीमतों के फिसलने से अन्वेषण प्रोजेक्टों की व्यावहार्यता पर अनिश्चितता पैदा हो गई है। गैस कीमतों का घटना भारत में गैस भंडार के अन्वेषण और विकास में निवेश को हतोत्साहित कर सकता है। हाइड्रोकार्बन की कम कीमतों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों ने खर्च घटा दिए हैं। साथ ही नए एक्सप्लोरेशन या अन्वेषण प्रोजेक्टों को रोक दिया है।

सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी ने केजी-बेसिन गैस डिस्कवरी में 40 हजार करोड़ रुपये निवेश की योजना बनाई है। कम गैस कीमत वास्तव में कंपनी की प्रॉफिटेबिलिटी को घटा सकती है। एजेंसी ने कहा कि भारत में निजी सेक्टर की तेल और गैस कंपनियों का निवेश कम रहा है। मूल्य संशोधन के कारण उनकी निवेश प्रतिबद्धताओं के प्रभावित होने की आशंका है। कटौती ने मौजूदा क्षेत्रों से उत्पादित गैस की प्रॉफिटेबिलिटी को कम कर दिया है। साथ ही नए एक्सप्लोरेशन और डेवलपमेंट प्रोजेक्टों की व्यावहार्यता को बुरी तरह प्रभावित किया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.